
Rohtas Famous Mutton Shop: शहर में यूं तो कई जगहों पर मटन मिलता है पर इस दुकान ही बात ही अलग है. ये 78 सालों से बेहतरीन स्वाद परोस रहे हैं. सासाराम के अरी अधिवक्ता संघ, कचहरी के पास स्थित श्री रामचंद्र जी मीट होटल ना केवल इस शहर का सबसे पुराना बल्कि सबसे मशहूर मीट होटल भी है. इस दुकान को शिव चौधरी और उनके परिवार ने पीढ़ियों से संभाला है.

सासाराम कचहरी के पास स्थित एक छोटा सा होटल सालों से मटन प्रेमियों की पहली पसंद बना हुआ है. इसकी शुरुआत एक साधारण ढाबे के रूप में हुई थी, लेकिन आज यह शहर की एक खास विरासत बन गया है. इस जगह पर सिर्फ मसाले ही नहीं, बल्कि इतिहास और परंपरा की भी खुशबू है.

होटल हर दिन तय समय पर खुलता है, लेकिन वहां पहुंचने वालों की भीड़ पहले से ही जुट जाती है. होटल के अंदर और बाहर लोगों की लाइन इस बात की गवाही देती है कि वर्षों बाद भी इस स्वाद का जादू कम नहीं हुआ है.

होटल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां के मटन में कोई भी भड़कीला मसाला नहीं डाला जाता. फिर भी स्वाद ऐसा होता है कि लोग एक बार खाकर बार-बार लौटते हैं. यही गुप्त रेसिपी पीढ़ियों से परिवार के भीतर रही है.

सुबह जैसे ही मटन तैयार होता है, कुछ ही घंटों में होटल का सारा स्टॉक साफ हो जाता है. ग्राहकों की संख्या इतनी अधिक होती है कि कई बार लोगों को खाली हाथ भी लौटना पड़ता है. फिर भी उनके चेहरे पर निराशा नहीं होती, बस अगली बार जल्दी पहुंचने की ठान लेते हैं.

होटल की एक प्लेट में चार मटन के टुकड़े, गरमागरम चावल, नरम रोटियां और प्याज की चटनी होती है. कोई झांझट नहीं, कोई दिखावा नहीं, बस स्वाद और संतोष से भरी एक थाली जो मन को तृप्त कर दे.

शहर के स्थायी ग्राहक इस होटल को अपने परिवार जैसा मानते हैं. कुछ लोगों के लिए यह होटल उनके बचपन की यादें हैं, तो कुछ के लिए यह हर रविवार की परंपरा. जो एक बार आया, उसने कभी दूसरी जगह मटन की चाह नहीं की.

कई लोग 20 किलोमीटर दूर से सिर्फ इस मटन का स्वाद लेने आते हैं. चाहे कितनी भी भीड़ हो, इंतजार करना मंजूर है लेकिन बिना खाए वापस लौटना मंजूर नहीं. इस होटल ने स्वाद को सीमाओं से परे पहुंचा दिया है.

शिव चौधरी ने जिस परंपरा को संभाला है, वह सिर्फ खानपान तक सीमित नहीं है. यह जगह लोगों की यादों, रिश्तों और शहर की सांस्कृतिक परंपरा से जुड़ी हुई है. सासाराम आकर इस होटल का मटन न खाना, जैसे बनारस आकर टमाटर चाट न खाना. शिव चौधरी के दादा जी ने इस होटल की शुरुआत की थी जिसके बाद उनके पिता ने दुकान संभाली और अब वे संभाल रहे हैं.
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