
- कॉपी लिंक
एक्टर से राजनेता बने राज बब्बर की गिनती फिल्म इंडस्ट्री में बेहतरीन एक्टर्स में की जाती है। हालांकि करियर के शुरुआत में उन्हें कई फिल्मों में छोटी-मोटी भूमिकाएं करनी पड़ीं। सबसे बड़ा मौका उन्हें दिलीप कुमार की फिल्म ‘शक्ति’ में मिला था, लेकिन बाद में इस फिल्म में उनकी भूमिका में अमिताभ बच्चन की एंट्री हुई।
इतना ही नहीं अमिताभ बच्चन की वजह से राज बब्बर डायरेक्टर प्रकाश मेहरा की फिल्म ‘नमक हलाल’ भी नहीं कर पाए। बी आर चोपड़ा की फिल्म ‘इंसाफ का तराजू’ राज बब्बर के करियर की सबसे यादगार फिल्मों में से एक है। एक्टर ने फिल्म में नेगेटिव रोल निभाया था। जिसे करने से कई स्टार्स पहले मना कर चुके थे। राज बब्बर ने नेगेटिव रोल को इतनी शिद्दत से निभाया था कि दर्शक उनसे नफरत करने लगे थे।
आज राज बब्बर के 73वें जन्मदिन पर आइए जानते हैं, उनके जीवन से जुड़े कुछ और खास किस्से..

फिल्म में सेकेंड लीड फिर भी मिले सिर्फ 500 रुपए
करियर के शुरुआत में राज बब्बर ने लगभग 14 फिल्मों में छोटी-मोटी भूमिकाएं की। उनमें से कुछ फिल्में रिलीज हुई थी। जिसमें से एक फिल्म ‘शारदा’ है। लेख टंडन के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में जितेंद्र और रामेश्वरी लीड भूमिका में थीं। इंडिया टीवी को दिए इंटरव्यू में राज बब्बर ने कहा था- ‘शारदा’ में मुझे सिर्फ 500 रुपए मिले थे। कहने को तो सारिका के सामने सेकेंड हीरो की भूमिका थी, लेकिन फिल्म के एंड में चेहरा नजर आता है। जितेंद्र जब पकड़ते हैं तब सिर्फ इतना भी डायलॉग था कि ‘नहीं पहचाना मुझे..’सारिका कहती हैं वही है। बस इतनी सी लाइन फिल्म में थी।
खलनायक बनकर छाए, दर्शक नफरत करने लगे
राज बब्बर के करियर की ‘इंसाफ का तराजू’ ऐसी फिल्म थी, जिससे बतौर एक्टर वे फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गए। इस फिल्म में राज बब्बर ने एक बलात्कारी की भूमिका निभाई थी। इस किरदार को निभाने से कई स्टार्स ने पहले मना कर दिया था। राज बब्बर ने अपने किरदार को परदे पर ऐसा जीवंत किया था कि लोग उनसे नफरत करने लगे थे। फिल्म में रेप सीन को देखकर दर्शक कहने लगे थे कि ऐसे एक्टर को गोली से मार देनी चाहिए।
रेपिस्ट के किरदार पर दिमाग अटक गया
राज बब्बर ने बताया था- जब बीआर चोपड़ा के ऑफिस पहुंचा तो चोपड़ा साहब ने कहा कि वह एक फिल्म बना रहे हैं। जीनत से बात हो गई है। जब उन्होंने कहानी सुनाई गई तो मेरा दिमाग रमेश के किरदार पर अटक गया। मैं थिएटर के बैकग्राउंड से आया था। मेरे दिमाग में हीरो और विलेन वाली बात नहीं थी। बस मुझे अच्छे किरदार करने थे। मैं मन ही मन प्रार्थना कर रहा था कि रमेश का किरदार मिल जाए। कहानी सुनाने के बाद चोपड़ा साहब ने खुद कहा कि तुम रमेश का किरदार कर रहे हो।
बड़ी हीरोइनें पहले ‘हीरो दिखाई’ करती थीं
जैसे आजकल शादी के लिए लड़कियां देखी जाती हैं। वैसे बड़ी हीरोइनें किसके साथ काम करेंगे, ये देखती थीं। पहली मुलाकात में ही जीनत जी ने मेरे साथ काम करने के लिए हामी भर दी थीं। उन्होंने मुझसे कहा, तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं है ना, मेरा रोल बढ़िया, मैं तो करूंगी।
फोटो के लिए अच्छी शर्ट नहीं थी
जब फिल्म के लिए फोटो शूट रखा गया तब मेरे पास अच्छी शर्ट नहीं थी। तब रेनू भाभी (रवि चोपड़ा की पत्नी) ने रवि जी का शर्ट दिया था। उसी शर्ट में मेरा फोटो शूट जीनत अमान और दीपक पाराशर के साथ हुआ था। फिल्म के पोस्टर में जो शर्ट दिखता है, वही है।

इंसाफ का तराजू अमेरीकी फिल्म लिपस्टिक पर आधारित है।
रेप सीन में थोड़ा सा बदलाव चाहते थे
राज बब्बर फिल्म में काम करने के लिए तैयार हो गए, लेकिन अपनी इमेज को लेकर सबसे ज्यादा डरे हुए थे। राज बब्बर ने कहा था- मैंने चोपड़ा साहब से यह गुजारिश की थी कि रेप सीन में कुछ बदलाव करें। इसे वीभत्स और खौफनाक बनाने की बजाय थोड़ा नरम रुख अपनाएं, लेकिन चोपड़ा साहब अपनी फिल्म और स्क्रिप्ट को लेकर स्पष्ट थे। वह ऐसा कोई बदलाव नहीं चाहते। वह यही चाहते थे कि यह सीन इस कदर भयानक हो कि जब अंत में ऐक्ट्रेस अपने रेपिस्ट को गोली मारे तो वह गुस्सा दर्शकों को भी महसूस होना चाहिए। खास बात है कि ऐसा हुआ भी।
फिल्म देखने के बाद मां फूट-फूटकर रोई थी
फिल्म में रेप सीन की वजह से लोगों ने राज बब्बर को खूब खरी-खोटी सुनाई थी। राज बब्बर ने आप की अदालत में बताया था- मैं अपनी मां के साथ फिल्म देखने गया था। इंटरवल में हर आदमी गाली दे रहा था। खासकर औरतें बहुत गालियां दे रही थीं। मेरी मां को बहुत बुरा लगा। जब हम फिल्म देखकर टैक्सी में बैठ गए तो मेरी मां ने रोना शुरू कर दिया।

अमिताभ की वजह से छिनी थी दो फिल्में
राज बब्बर को पहले रमेश सिप्पी की फिल्म ‘शक्ति’ में अमिताभ बच्चन की जगह साइन किया गया था। राज बब्बर ने ‘आपकी अदालत’ में फिल्म ‘शक्ति’ से जुड़ा किस्सा शेयर किया था। राज ने कहा था- उन दिनों मैं दिल्ली में नाटकों में काम करता था। फिल्म के राइटर सलीम-जावेद साहब ने मुझे वही से फाइनल किया था। मेरा स्क्रीन टेस्ट दिलीप साहब को दिखाया गया था। उन्हें मेरा स्क्रीन टेस्ट पसंद भी आया। सब कुछ फाइनल था, लेकिन कॉमर्शियल कारणों से मुझे फिल्म से हटा दिया गया।
मेकर्स को लगा अमिताभ बच्चन से ज्यादा मुनाफा होगा
राज बब्बर ने बताया बताया था- मैंने कभी भी इस बारे में चर्चा नहीं की, लेकिन जब जावेद साहब ने एक इंटरव्यू के दौरान इस बारे में खुलासा किया था तब मैं यह बात कर रहा हूं।

प्रकाश मेहरा की भी फिल्म हाथ से गई थी
राज बब्बर ने कहा था- मेरे साथ ऐसे हादसे होते रहे। जो मुझे मिलना चाहिए था वो छीनकर कोई और ले जाता था। प्रकाश मेहरा ने मुझे दो फिल्मों के लिए साइन किया था। उनमें से एक फिल्म ‘नमक हलाल’ थी। उस समय मैं दिल्ली में रहता था। मैंने प्रकाश मेहरा से कहा कि मेरे पास मुंबई में रहने की कोई जगह नहीं है, आपको मुझे एक घर देना होगा।
प्रकाश मेहरा ने मुझे एक साल तक रहने की जगह दी, लेकिन बाद में जब उन्होंने कहा कि मैं तुम्हें ये रोल नहीं दे सकता, मैंने कहा कि मैं अभी एक साल और इस घर में रहूंगा। ठीक एक साल के बाद मैंने प्रकाश मेहरा का घर छोड़ दिया, लेकिन उसी घर की बदौलत में मुंबई में अपना घर बना पाया।
राज बब्बर के साथ काम करने के लिए अमिताभ तैयार नहीं थे
न्यूज 18 में छपी खबर के मुताबिक ‘नमक हलाल’ में अमिताभ बच्चन, राज बब्बर के साथ काम करने को इच्छुक नहीं थे। वे राज बब्बर के बदले किसी बड़े लोकप्रिय कलाकार को अपने साथ चाहते थे। अमिताभ के दबाव के कारण प्रकाश मेहरा ने राज बब्बर की जगह शशि कपूर को फिल्म में लिया, लेकिन अमिताभ की यह जिद प्रकाश मेहरा को बुरी लगी।
फिर भी प्रकाश मेहरा ने निभाया अपना वादा
अमिताभ बच्चन की वजह से भले ही प्रकाश मेहरा, राज बब्बर के साथ ‘नमक हलाल’ में नहीं काम कर पाए। बाद में उन्होंने राज बब्बर को अपनी अगली फिल्म ‘मुकद्दर का फैसला’ में राज कुमार, राखी, मीनाक्षी शेषाद्रि और टीना मुनीम के साथ कास्ट किया। यह फिल्म 31 जुलाई 1987 को रिलीज हुई थी। इस फिल्म का निर्माण करण जौहर के पिता यश जौहर ने किया था।

रेखा ने राज बब्बर से शादी करने की इच्छा जताई थी।
रेखा के साथ नजदीकियों के चर्चे
राज बब्बर और रेखा के बीच नजदीकियों के भी खूब चर्चे रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो स्मिता पाटिल के निधन के बाद राज बब्बर पूरी तरह से टूट गए थे। उस गम से बाहर निकलने में राज बब्बर को कई साल लगें। उसी दौरान उनकी दोस्ती रेखा से हो गई। बताया जाता है उसी वक्त रेखा और अमिताभ बच्चन का रिश्ता भी टूटा था। ऐसी स्थिति में राज और रेखा एक दूसरे का सहारा बन गए थे। राज बब्बर और रेखा के रिश्ते की काफी चर्चा होने लगी थी।
शादी के लिए अप्रोच किया
जब दोनों के रिश्ते की खबरें बॉलीवुड में फैलने लगी तब रेखा ने राज बब्बर से शादी की बात की। जैसे ही रेखा ने उन्हें शादी के लिए अप्रोच किया तो वह उन्हें छोड़कर वापस अपनी पहली पत्नी नादिरा के पास लौट गए थे। इस वजह से रेखा टूट गईं थीं।
फिर लगाया घरेलू हिंसा का आरोप
राज बब्बर से ब्रेकअप के बाद रेखा ने उनके खिलाफ पुलिस स्टेशन में शिकायत करने की कोशिश की थी। उन्होंने स्थानीय पुलिस स्टेशन में राज बब्बर के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करने का प्रयास किया था। हालांकि अधिकारियों ने इस घटना को प्रेमी का झगड़ा बताकर खारिज कर दिया था और एक्ट्रेस को वापस घर भेज दिया था।
एक दूसरे के इमोशनल सपोर्ट बन कर उभरे थे
IBTimes को दिए एक इंटरव्यू में राज बब्बर ने कहा था- रेखा ने उस तरह से मेरी मदद की थी जैसे हालातों में मैं था। रेखा भी अपने लंबे रिलेशनशिप के टूटने के बाद बिखरी हुई थीं। वह भी उस दुख से बाहर निकलना चाहती थीं। मेरी भी ऐसी ही हालत थी। उस वक्त हम दोनों साथ में काम भी कर रहे थे। ऐसे में हम दोनों एक दूसरे के इमोशनल सपोर्ट बन कर उभरे थे। क्योंकि हम एक दूसरे की परेशानी और दुख को समझ पा रहे थे।

स्मिता पाटिल के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहें
फिल्म ‘भीगी पलके’में काम करने के दौरान ही राज बब्बर को एक्ट्रेस स्मिता पाटिल से प्यार हो गया। बताया जाता है कि स्मिता पाटिल के साथ काम करने के लिए राज बब्बर अपनी फीस आधी कर देते थे। दोनों के बीच प्रेम इस कदर परवान चढ़ा कि समाज की परवाह किए बगैर लंबे समय तक लिव इन रिलेशनशिप में रहें। जिसकी काफी आलोचना हुई थी, इसके कुछ समय बाद उन्होंने शादी कर ली थी। स्मिता पाटिल यह जानती थी कि राज बब्बर पहले से ही शादीशुदा और दो बच्चों के पिता हैं। स्मिता पाटिल की बायोग्राफी में लेखिका मैथिली राव ने लिखा है कि स्मिता पाटिल ये जानते हुए भी कि उनके प्रेम की वजह से किसी का घर बर्बाद हो रहा है, अपने कदम पीछे नहीं खींच पा रही थीं।
करियर के पीक पर 63 फिल्में छोड़ दी
करियर के पीक पर राज बब्बर फिल्में छोड़कर राजनीति में चले गए। उनकी फिल्म ‘दलाल’ हिट रही, इस फिल्म राज बब्बर ने निगेटिव किरदार निभाया था। इस किरदार में ना सिर्फ राज बब्बर की खूब सराहना हुई थी। बल्कि, इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ नकारात्मक भूमिका के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड में नामांकन मिला था। इस फिल्म के बाद राज बब्बर पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय हो गए।
इंडिया टीवी को दिए इंटरव्यू में राज बब्बर ने कहा था- जब मुझे पहली बार राज्य सभा में सांसद बनाया गया, तब मेरे पास 63 फिल्में थीं। जब राज्य सभा के अंदर आया तो मुझे लगा कि यह तो बड़ी जिम्मेदारी का काम है। वहां ऐसा सक्रिय हुआ कि 63 फिल्में साइन नहीं की।
राज बब्बर का राजनीतिक करियर
राज बब्बर ने 1989 में जनता दल के साथ राजनीति की शुरुआत की थी। 1994-99 तक वो राज्यसभा के सांसद थे। इस बार उन्होंने गुरुग्राम लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2014 में भी उन्होंने गाजियाबाद सीट से चुनाव लड़ा था और तब भी उनकी हार ही हुई थी। राज बब्बर यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वो साल 2004 में फिरोजाबाद सीट से सपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे थे। साल 2009 में उन्होंने डिंपल यादव को फिरोजाबाद सीट पर हुए चुनाव में हराया था। हालांकि दो साल बाद ही सपा से निकाले जाने के बाद वो कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
_________________________________________________________
बॉलीवुड की यह खबर भी पढ़ें..
लाइट्स, कैमरा…शोषण!:बॉलीवुड के पीछे छिपा कास्टिंग काउच का काला सच; न लड़कियां सुरक्षित न लड़के, एक साल में 50 फिल्ममेकर्स पर रेप के आरोप

कास्टिंग काउच एक ऐसा घिनौना कृत्य है जो वर्षों से फिल्म इंडस्ट्री को कलंकित कर रहा है। आखिर इसके पीछे सच्चाई क्या है? यह मजबूरी है या समझौता। फिल्म इंडस्ट्री में लड़कियों के साथ-साथ लड़के भी कास्टिंग काउच का शिकार होते हैं। पिछले साल 50 फिल्ममेकर्स पर रेप के आरोप लगे। पूरी खबर पढ़ें..
Discover more from हिंदी न्यूज़ ब्लॉग
Subscribe to get the latest posts sent to your email.