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कनाडा के अल्बर्टा राज्य के कैननास्किस में जारी G7 समिट में मोदी पहुंचे। कनाडा के पीएम ने हाथ मिलाकर स्वागत किया।
कनाडा के अल्बर्टा राज्य के कैननास्किस में जारी G7 समिट का आज आखिरी दिन है। पीएम मोदी समिट में पहुंच गए हैं। मोदी ने साउथ कोरिया के राष्ट्रपति ली जे-म्यांग और मेक्सिकन राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम के साथ द्विपक्षीय बैठक की। थोड़ी देर में G7 समिट में शामिल देशों और गेस्ट का एकसाथ फोटो सेशन होगा।
उधर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प G7 समिट छोड़कर अमेरिका वापस चले गए। व्हाइट हाउस ने बताया कि मिडिल ईस्ट में तनाव के चलते ट्रम्प ने यह फैसला लिया है। इस बीच ट्रम्प ने कहा, ‘मैं सीजफायर के लिए वॉशिंगटन नहीं लौट रहा हूं। बात उससे कहीं बड़ी है।’
इस पर ब्रिटेन के पीएम कीर स्टार्मर ने कहा- राष्ट्रपति ट्रम्प ने ऐसा कुछ नहीं कहा जिससे लगे कि वे इस संघर्ष में शामिल होने वाले हैं। इसके विपरीत, जी7 का बयान तनाव कम करने के बारे में था।
G7 समिट का पहला दिन- 4 वजहों से ट्रम्प चर्चा में

जी7 समिट में ट्रम्प अपने कोट पर कनाडा और अमेरिका दोनों के झंडे लगाकर आए।
- इजराइल-ईरान विवाद: जी7 समिट में इजराइल-ईरान संघर्ष रोकने को लेकर एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा था। कनाडाई न्यूज वेबसाइट का दावा है कि ट्रम्प इस प्रस्ताव पर साइन नहीं करेंगे। उधर, ट्रम्प ने समिट शुरू होने से पहले कहा कि ईरान यह जंग हार रहा है। उन्होंने बात करने में देर कर दी।
- समिट बीच में छोड़कर गए: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प G7 समिट छोड़कर अमेरिका वापस चले गए। व्हाइट हाउस ने बताया कि मिडिल ईस्ट में तनाव के चलते ट्रम्प ने यह फैसला लिया है। इस बीच ट्रम्प ने कहा, ‘मैं सीजफायर के लिए वॉशिंगटन नहीं लौट रहा हूं। बात उससे कहीं बड़ी है।’
- कनाडा के फ्लैग वाली पिन: समिट में हिस्सा लेने आए डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका और कनाडा के झंडे वाली पिन अपने कोट पर लगाई। दरअसल, ट्रम्प कनाडा को 51वां राज्य बनाना चाहते हैं। वहीं कनाडा हर बार इसका विरोध करता रहा है।
- रूस के एग्जिट पर: समिट से पहले ट्रम्प ने कहा- G7 पहले G8 हुआ करता था। बराक ओबामा और ट्रूडो दो ऐसे शख्स थे जो रूस को इसमें शामिल नहीं करना चाहते थे। और मैं कहूंगा कि यह एक गलती थी।

G7 समिट के पल-पल के अपडेट के लिए नीचे के ब्लॉग से गुजर जाएं…
लाइव अपडेट्स
9 मिनट पहले
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PM मोदी ने मेक्सिकन राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय मुलाकात की


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा के कनानास्किस में G7 समिट के दौराने मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम पार्डो से मुलाकात की। यह दोनों नेताओं के बीच पहली मुलाकात थी। दोनों पक्षों ने व्यापार, फार्मास्यूटिकल्स, साइंस एंड टेक्नोलॉजी को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।
17 मिनट पहले
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कनाडा पीएम ने मोदी का G7 समिट में स्वागत किया
34 मिनट पहले
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जी7 समिट- 17 जून को क्या-क्या हुआ
- ट्रम्प ने एक बार फिर रूस को G8 से बाहर करने को गलती माना। दरअसल रूस पहले इसी ग्रुप का हिस्सा हुआ करता था। लेकिन 2014 में यूक्रेन से क्रीमिया को अपने कब्जे में लेने के बाद उसे बाहर कर दिया गया।
- ट्रम्प ने कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का जिक्र करते हुए कहा, G7 पहले G8 हुआ करता था। बराक ओबामा और ट्रूडो दो ऐसे शख्स थे जो रूस को इसमें शामिल नहीं करना चाहते थे। और मैं कहूंगा कि यह एक गलती थी, क्योंकि मुझे लगता है कि अगर रूस इसमें शामिल होता तो आज युद्ध नहीं होता और अगर चार साल पहले ट्रम्प राष्ट्रपति होते तो आज युद्ध नहीं होता।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ब्रिटेन के साथ समझौते का दस्तावेज दिखाया।
- जी7 समिट के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प और ब्रिटेन के पीएम स्टार्मर के बीच द्विपक्षीय मुलाकात हुई। ट्रम्प ने प्रेस के सामने स्टार्मर को ‘यूके का महान प्रधानमंत्री’ बताया। फिर अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक दस्तावेज दिखाया। ट्रम्प ने कहा कि यह एक बिजनेस डील है जो दोनों देशों में बहुत सारी नौकरियां और इनकम लाएगी।
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प G7 समिट छोड़कर अमेरिका वापस चले गए। व्हाइट हाउस ने बताया कि मिडिल ईस्ट में तनाव के चलते ट्रम्प ने यह फैसला लिया है। इस बीच ट्रम्प ने कहा, ‘मैं सीजफायर के लिए वॉशिंगटन नहीं लौट रहा हूं। बात उससे कहीं बड़ी है।’

- G7 के सदस्यों ने एक फैमिली फोटो भी खिंचवाई। फोटो सेशन के बाद, कुछ नेता मंच से उतर गए।
- कनाडा में G7 देशों ने इजराइल-ईरान संकट पर चिंता जताई है। एक साझा बयान में ईरान से तनाव कम करने की अपील की है। G7 नेताओं ने कहा- ईरान के पास कभी भी परमाणु हथियार नहीं होना चाहिए। बयान में यह भी जोर दिया गया है कि मिडिल ईस्ट में तनाव को कम करने के किसी भी कोशिश में गाजा में सीजफायर भी शामिल होना चाहिए, ताकि पूरे इलाके में शांति की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए जा सकें।
40 मिनट पहले
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G7 क्या है, इसमें कौन-कौन से देश हैं?
जवाब: G7 यानी ‘ग्रुप ऑफ सेवन’, दुनिया के उन 7 देशों का समूह है, जिन्हें दुनिया की ‘मॉडर्न इकोनॉमी’ वाला देश कहा जाता है। ये देश हैं- अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जापान, इटली, कनाडा और जर्मनी।
पहले इसका नाम G-8 हुआ करता था। 2014 में रूस ने पड़ोसी देश क्रीमिया पर कब्जा कर लिया तो बाकी सदस्य देशों ने रूस को ग्रुप से बाहर कर दिया। इसका नाम G7 हो गया।

40 मिनट पहले
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G7 समिट क्या है, इस बार इसके एजेंडे की खास बात क्या है?
जवाब: एक तय एजेंडे पर बातचीत के लिए हर साल G7 समिट होती है, जिसका आयोजन G7 का अध्यक्ष देश करता है। दरअसल, G7 के सभी 7 देश बारी-बारी से इसकी अध्यक्षता करते हैं। इस साल कनाडा अध्यक्षता कर रहा है। ऐसे में G7 समिट कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कानानास्किस शहर में होगी। इस समिट के एजेंडे में वैश्विक शांति और सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता, विकास और डिजिटल डेवलपमेंट जैसे मुद्दे हैं।
इसके अलावा G7 के सदस्य देशों के लीडर्स और ऑफिसर्स साल में कई बैठकें करते हैं, जिनमें कई समझौते होते हैं और दुनिया की बड़ी घटनाओं पर आधिकारिक बयान जारी किए जाते हैं। शुरुआत में G7 का एजेंडा आर्थिक चुनौतियों और क्लाइमेट चेंज जैसे मुद्दों का हल निकालना था। बाद में राजनीतिक और सुरक्षा से जुड़े मुद्दे भी इसमें शामिल हो गए। वैश्विक मुद्दों पर G7 के फैसलों का असर पूरी दुनिया पर पड़ता है।
उदाहरण के लिए G7 ने 2002 में मलेरिया और एड्स से लड़ने के लिए ग्लोबल फंड बनाया। 1998 में वित्तीय संकट के दौरान इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे देशों को आर्थिक मदद की। रूस-यूक्रेन जंग के दौरान रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने और यूक्रेन की मदद करने का फैसला किया।

2024 में इटली में हुई समिट के दौरान G7 के टॉप लीडर्स।
41 मिनट पहले
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इससे पहले पीएम मोदी G7 समिट में कितनी बार शामिल हुए?
जवाब: G7 समिट के लिए आमतौर पर भारतीय प्रधानमंत्रियों को बुलाया जाता रहा है। 2004 से 2014 तक पीएम रहे मनमोहन सिंह ने पांच बार G-8 समिट में हिस्सा लिया था।
वहीं पीएम मोदी को पहली बार 2019 में फ्रांस के बियारिट्ज में हुई समिट में बुलाया गया था। इसके बाद 2020 में अमेरिका को मेजबानी करनी थी, लेकिन अमेरिका ने तब समिट रद्द कर दी। इस एक साल को छोड़ दें तो 2019 से 2024 तक हर साल पीएम मोदी G7 समिट में शामिल हुए। 2021 में वे वर्चुअल मीडियम से इसमें शामिल हुए। फिर 2022 में जर्मनी, 2023 में जापान और 2024 में इटली में हुई G7 समिट में शामिल हुए।

42 मिनट पहले
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समिट में पीएम मोदी क्या करेंगे?
जवाब: प्रो. राजन कुमार बताते हैं कि समिट में आर्थिक मुद्दों, क्लाइमेट चेंज जैसे मुद्दों पर ही बात होगी। आतंकवाद पर भी देशों के लीडर्स गोल-मोल बातें करेंगे। हालांकि G7 की अहमियत अब घटी है। ट्रम्प ने इसके बाकी सदस्य देशों पर टैरिफ लगा रखा है। ऐसे में G7 के अंदर एक तरह का डिवाइड हो गया है। पीएम मोदी बैठक में द्विपक्षीय बातचीत कर सकते हैं।

G7 इटली समिट के दौरान अन्य देशों के नेताओं के साथ पीएम मोदी।
43 मिनट पहले
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क्या इस दौरान खालिस्तानी गुट प्रोटेस्ट कर सकते हैं?
जवाब: कनाडा के अल्बर्टा प्रांत में 1 लाख से ज्यादा सिख रहते हैं। कानानास्किस शहर में जहां समिट होनी है, वहां बड़े विरोध प्रदर्शन होने वाले हैं। कनाडाई न्यूज चैनल CTV के मुताबिक, कानानास्किस के सीनियर पुलिस ऑफिसर डेविड हॉल ने कहा है कि प्रोटेस्ट के लिए 3 जोन तय किए गए हैं, जहां से प्रोटेस्ट को G7 में शामिल हो रहे नेताओं को लाइव दिखाया जाएगा, क्योंकि नेता इन प्रोटेस्ट को देख-सुन नहीं सकते थे।’
दरअसल, कनाडा सरकार ‘शांतिपूर्ण प्रोटेस्ट’ को जनता का अधिकार बताती है। इससे पहले भी भारत के एतराज के बावजूद कनाडा ने भारतीय दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी थी।
प्रो. एके पाशा बताते हैं,

पीएम मोदी के पहुंचने पर सिख ग्रुप उग्र प्रोटेस्ट कर सकते हैं। संभव है कि इसीलिए पीएम मोदी के समिट में शामिल होने को लेकर फैसला लेने में देरी हुई।
43 मिनट पहले
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क्या G7 समिट से कनाडा और भारत के रिश्ते सुधरेंगे?
जवाब: इसके लिए पहले कनाडा और भारत के रिश्तों का थोड़ा बैकग्राउंड समझ लीजिए-
- 2023 में तब के कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर कनाडा में रह रहे खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था। भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया था। इसके बाद भारत और कनाडा के संबंध अच्छे नहीं रहे।
- जनवरी 2025 में ट्रूडो के इस्तीफे के बाद 14 मार्च को मार्क कार्नी कनाडा के नए पीएम बने थे। 25 मई को नई विदेश मंत्री अनीता आनंद और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच फोन पर बात हुई। मार्क कार्नी के सत्ता में आने के बाद दोनों देशों की ये पहली ऑफिशियल बातचीत थी।
- इसके बाद अनीता ने एक इंटरव्यू में कहा कि कनाडा, बिजनेस बढ़ाने के लिए अमेरिका से अलग, भारत के साथ संबंधों को दोबारा बेहतर कहना चाहता है।
- मई में एक इंटरव्यू में अनीता ने कहा था, ‘कानून के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा, इस केस (निज्जर हत्याकांड) में जांच जारी है। हम भारत के साथ पार्टनरशिप बढ़ाने पर भी ध्यान दे रहे हैं।’
प्रो. एके पाशा कहते हैं, ‘भारत ने निज्जर की हत्या में किसी भी तरह का हाथ होने से इनकार कर दिया था, लेकिन कार्नी सरकार भारत से इस मामले की जांच में सपोर्ट मांग रही है। ये मुद्दा अभी भी गर्म है। हालांकि कार्नी के सत्ता में आने के बाद भारत और कनाडा के संबंध बेहतर होने की उम्मीद बढ़ी है।’
प्रो. राजन कुमार कहते हैं,

ट्रम्प ने कनाडा को अमेरिका का 51वां स्टेट बनाने को कहा था। वहीं कनाडा पर अमेरिकी टैरिफ बढ़ने से कनाडा को नुकसान हुआ। चीन से उसके रिश्ते ठीक नहीं हैं। ऐसे में इस समिट के जरिए कनाडा, भारत से रिश्ते सुधारने की कोशिश करेगा।
43 मिनट पहले
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G20 से कैसे अलग है G7 ?
जवाब: G7 का कोई स्थायी कार्यालय नहीं है और इसके सदस्य देश कोई अंतरराष्ट्रीय कानून पारित नहीं कर सकते। G20 में सबसे बड़ा मुद्दा वर्ल्ड इकोनॉमी होता है, जबकि G7 के लिए राजनीतिक मुद्दे भी अहम होते हैं। 1999 में बने G20 में G7 के देशों के अलावा BRICS के देश भी शामिल हैं। इन देशों में भारत के अलावा अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन, इंडोनेशिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्किये और यूरोपीय संघ शामिल हैं। राजन कुमार के मुताबिक G20 में नई और बढ़ती हुई इकोनॉमी वाले देशों को भी शामिल किया गया है। भले ही G7 और G20 का एजेंडा एक जैसा हो, लेकिन इस समय G20 ज्यादा प्रभावी गुट है। 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भी G7 को बहुत आउटडेटेड ग्रुप कहा था।
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