
अपने बच्चों से इस विषय पर बात करने में झिझकें नहीं. उन्हें बताएं कि आप जो काम करते हैं, उससे ही घर चलता है. समझाएं कि हर चीज़ खरीदने में पैसा लगता है-चाहे वो दूध हो, किताबें हों या बिजली का बिल. जब वे ये देखेंगे कि आप ईमानदारी से मेहनत कर पैसा कमा रहे हैं, तो वे भी उसे हल्के में नहीं लेंगे.
बच्चों को गुल्लक देना आज भी एक बेहतरीन शुरुआत है. जब वे खुद से पैसे जमा करके कुछ खरीदते हैं, तो उन्हें गर्व महसूस होता है. आप चाहें तो उनके नाम से बैंक में खाता भी खोल सकते हैं, ताकि वे बचत को और बेहतर समझ सकें.
3. ज़रूरत और चाहत में फर्क
बच्चों को सिखाएं कि ज़रूरी चीज़ों और सिर्फ पसंद आने वाली चीज़ों में अंतर होता है. एक जैकेट जो सर्दी से बचाती है, वो ज़रूरत है; लेकिन एक महंगी ब्रांड की घड़ी सिर्फ दिखावे के लिए है. इस तरह की बातें उनकी सोच को मजबूत बनाती हैं.
बच्चे सबसे ज़्यादा अपने माता-पिता से सीखते हैं. अगर आप बेवजह खर्च करते हैं या बिना सोचे खरीदारी करते हैं, तो वे भी वही करेंगे. लेकिन अगर आप प्लान करके खर्च करते हैं, तो बच्चे भी वो आदत अपनाएंगे.
5. खेल-खेल में सिखाना
बोर्ड गेम जैसे मोनोपोली, या फेक पैसे से खेलते समय उन्हें कमाने, खर्च करने और बचाने की समझ आ सकती है. ये तरीका मज़ेदार भी होता है और सीखने वाला भी.
छोटे-छोटे कामों के लिए उन्हें थोड़ा पैसा देना-जैसे पौधों को पानी देना या सामान लाने में मदद करना-उन्हें ये सिखाता है कि पैसा मेहनत से आता है, माँगने से नहीं.
7. गलती करने दें
अगर वे अपने पैसे से कोई फिजूल चीज़ खरीद लें, तो उन्हें टोकें नहीं, बल्कि समझाएं कि अगली बार सोच-समझकर फैसला लें. यही गलतियां उन्हें बेहतर निर्णय लेना सिखाती हैं.
उन्हें सिखाएं कि पैसा सिर्फ अपने लिए नहीं होता. जब वे कुछ हिस्सा दूसरों की मदद के लिए देते हैं, तो उनके भीतर दया और जिम्मेदारी दोनों आती हैं.
9. निवेश की शुरुआती समझ
थोड़े बड़े होने पर आप उन्हें सिखा सकते हैं कि पैसा सिर्फ बचाने से नहीं, बल्कि सही जगह लगाने से बढ़ता भी है. शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड की बुनियादी बातें धीरे-धीरे बताएं.
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