
भारत ने शुक्रवार को इस फैसले को दृढ़ता से खारिज करते हुए कहा था कि उसने पाकिस्तान के साथ विवाद समाधान के तथाकथित ढांचे को कभी मान्यता नहीं दी है। इसके बाद पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि 27 जून को मध्यस्थता न्यायालय द्वारा सुनाए गए पूरक निर्णय ‘‘पाकिस्तान की इस स्थिति की पुष्टि करता है कि सिंधु जल संधि वैध और क्रियाशील है, तथा भारत को इसके बारे में एकतरफा कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है।’’ पाकिस्तान के बयान में कहा गया, ‘‘हम भारत से आग्रह करते हैं कि वह सिंधु जल संधि के सामान्य कामकाज को तुरंत बहाल करे तथा संधि के अपने दायित्वों को पूरी तरह और ईमानदारी से पूरा करे।’’ वहीं पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री इशाक डार ने एक अलग बयान में कहा कि मध्यस्थता अदालत के फैसले से यह पुष्टि हो गई है कि सिंधु जल संधि पूरी तरह वैध है।
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उन्होंने सोमवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”पाकिस्तान किशनगंगा-रातले मामले में अपने अधिकार क्षेत्र की पुष्टि करने वाले मध्यस्थता न्यायालय के पूरक निर्णय का स्वागत करता है। यह निर्णय पुष्टि करता है कि सिंधु जल संधि पूरी तरह से वैध है। भारत इसे एकतरफा रूप से स्थगित नहीं रख सकता। देशों को अंतरराष्ट्रीय समझौतों के पालन से मापा जाता है। सिंधु जल संधि को अक्षरशः और भावना, दोनों रूप से बरकरार रखा जाना चाहिए।”
हम आपको यह भी बता दें कि अभी पिछले सप्ताह ही भारत के जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा था कि सिंधु जल संधि के निलंबन को रद्द करने के लिए पाकिस्तान का पत्र लिखना एक औपचारिकता भर है और इससे इस मामले में भारत का रुख नहीं बदलने वाला है। हम आपको बता दें कि पाकिस्तान ने भारत को कई बार पत्र लिखकर संधि पर अपने फैसले की समीक्षा करने को कहा है। सीआर पाटिल ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि सिंधु जल संधि के तहत मिलने वाला पानी कहीं नहीं जाएगा। संधि पर पाकिस्तानी नेता बिलावल भुट्टो की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर पाटिल ने कहा था कि बिलावल भुट्टो ने राजनीतिक कारणों से कई बातें कही हैं। हम आपको याद दिला दें कि पाकिस्तानी नेता ने सिंधु जल संधि को निलंबित किये जाने को लेकर हाल में भारत को धमकी दी थी। इस पर पूछे जाने पर पाटिल ने कहा, ‘‘उन्होंने खून और पानी बहने की बात भी कही, लेकिन हम ऐसी खोखली धमकियों से नहीं डरते।’’
हम आपको याद दिला दें कि जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया गया था। हम आपको यह भी बता दें कि भारत सरकार लंबे समय से रुकी हुई तुलबुल परियोजना को फिर से शुरू करने की योजना पर आगे बढ़ रही है और यह सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के तहत पश्चिमी नदियों से देश के हिस्से के पानी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। तुलबुल परियोजना के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है और इसके पूरा होने में लगभग एक वर्ष का समय लगने की उम्मीद है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि परियोजना को फिर से पटरी पर लाने के लिए चर्चा अग्रिम चरण में है।
हम आपको बता दें कि सिंधु जल संधि के तहत भारत के पास सिंधु, चिनाब और झेलम पर सीमित अधिकार हैं, जो मुख्य रूप से पाकिस्तान में बहती हैं। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि इन नदियों से भारत के हिस्से के पानी के उपयोग को बढ़ाने के लिए कई प्रस्ताव विचाराधीन हैं। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘पश्चिमी नदियों में से एक का पानी पंजाब और हरियाणा की ओर ले जाने की संभावना है, जो तकनीकी रूप से संभव है।’’ हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि सिंधु नदी के पानी के लिए ऐसा करने पर विचार नहीं किया जा रहा है। इस बीच, किशनगंगा जलविद्युत परियोजना, जिस पर कभी पाकिस्तान ने आपत्ति जताई थी, पहले ही पूरी हो चुकी है। रतले परियोजना के निर्माण में भी तेजी लाई गई है।
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