
अपने भाषण में मुनीर ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान ने भारत द्वारा किए गए “गंभीर उकसावों” के बावजूद संयम और परिपक्वता दिखाई और क्षेत्रीय शांति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखा। उन्होंने कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान पाकिस्तान ने भारत को “दृढ़ और निर्णायक जवाब” दिया।
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हम आपको बता दें कि असीम मुनीर के इस बयान को भारत में एक और उकसावे की कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है। यह बयान घाटी में शांति की कोशिशों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। साथ ही पाक सेना प्रमुख का यह नवीनतम बयान पाकिस्तान की उसी पुरानी नीति की पुष्टि करता है, जिसके तहत वह कश्मीर में आतंकवाद को “जन आंदोलन” बताकर दुनिया की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश करता है।
हम आपको यह भी याद दिला दें कि असीम मुनीर ने अप्रैल महीने में भी इस्लामाबाद में प्रवासी पाकिस्तानियों के एक सम्मेलन में भड़काऊ बयान दिया था। उस बयान के बाद ही पहलगाम में आतंकवादी हमला हुआ था। उस समय मुनीर ने कहा था कि हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग राष्ट्र हैं, जिनका धर्म, संस्कृति, सोच और आकांक्षाएँ पूरी तरह अलग हैं और इसी सिद्धांत के आधार पर पाकिस्तान का निर्माण हुआ था। हम आपको बता दें कि सुरक्षा विश्लेषकों का मानना है कि पाक सेना प्रमुख के ऐसे बयान आतंकियों को परोक्ष रूप से उकसाते हैं।
बहरहाल, जनरल असीम मुनीर के इस तरह के बयान आतंकवाद को खुलेआम समर्थन देने जैसा है। इससे यह भी साफ होता है कि पाकिस्तान की सेना आज भी अपनी पुरानी नीति पर कायम है। साथ ही ऐसे बयानों और उसके बाद होने वाली घटनाओं से भारत-पाक संबंधों में सुधार की उम्मीदें धुंधली हो जाती हैं और यह पूरे दक्षिण एशिया की शांति के लिए खतरा बनता है।
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