
Israel Attack Iran: इजरायल ने हाल ही में ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ एक साहसिक सैन्य अभियान चलाया, जिसे ऑपरेशन राइजिंग लायन नाम दिया गया. इस अभियान का शुरुआती मकसद ईरान के परमाणु हथियारों की क्षमता को कमजोर करना और संभावित खतरे को वैश्विक स्तर पर फैलने से रोकना था.
इजरायली के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बार-बार यह चेतावनी दी थी कि अगर ईरान को परमाणु हथियार मिलते हैं, तो यह न केवल इजरायल बल्कि यूरोप और अमेरिका तक के लिए विनाशकारी हो सकता है. इस संदर्भ में ऑपरेशन राइजिंग लायन को इजरायल की अस्तित्व रक्षा की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है.
ईरान के मुख्य परमाणु साइट्स पर हमला
इजरायल ने ईरान के मुख्य परमाणु साइट्स पर हमला किया है. इसमें नतांज शामिल है, जो ईरान के केंद्रीय पठार में स्थित है. ये देश की सबसे महत्वपूर्ण यूरेनियम संवर्धन सुविधा है. यह सुविधा अतीत में भी कई बार अंतर्राष्ट्रीय ध्यान का केंद्र रही है, विशेष रूप से Stuxnet वायरस और 2021 के इज़रायली साइबर हमले के कारण. लेकिन इस बार, नुकसान भौतिक था.
मैक्सार टेक्नोलॉजीज की ओर जारी की गई सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि साइट का एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह से नष्ट हो चुका है. संयुक्त राष्ट्र की IAEA एजेंसी ने भी इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि साइट की बिजली आपूर्ति को व्यापक नुकसान पहुंचा है.
सैटेलाइट तस्वीरों में हुआ खुलासा
ईरान का फोर्डो परमाणु सुविधा, जो क़ुम शहर के पास एक पहाड़ के नीचे बनी हुई है, अधिक संरक्षित मानी जाती थी, लेकिन यहां भी सैटेलाइट तस्वीरों में मामूली क्षति दिखती है. ईरानी अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से यह दावा किया है कि फोर्डो को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि विद्युत आपूर्ति बाधित होने से इसकी संवर्धन प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर पड़ा हो सकता है.
इस्फ़हान पर इजरायली हमला
तीसरी मुख्य साइट इस्फहान में स्थित यूरेनियम रूपांतरण सुविधा है. यहां स्टोरेज डिपो और संवर्धन से पूर्व रूपांतरण प्रक्रिया होती है. अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि वहां संग्रहीत यूरेनियम पर हमला हुआ या नहीं, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर हमला सफल रहा तो ईरान के पास उपलब्ध संवर्धन योग्य समानों की मात्रा पर बड़ा प्रभाव पड़ा होगा.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और IAEA की चेतावनी
IAEA प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने हमलों की पुष्टि करते हुए एक बयान में कहा कि किसी भी परमाणु सुविधा पर हमला “खतरनाक और गंभीर परिणामों वाला” होता है. हालांकि अभी तक किसी भी स्थल पर रेडियोधर्मी रिसाव नहीं पाया गया है, लेकिन भविष्य में इसके पर्यावरणीय और मानवीय परिणामों से इंकार नहीं किया जा सकता. यूरोपीय संघ, संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका सहित कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं और सरकारें इस घटना पर गहरी चिंता जता चुकी हैं. यह घटनाक्रम वैश्विक परमाणु सुरक्षा को एक बार फिर बहस के केंद्र में ला खड़ा करता है.
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