
M.Tech जैसे पोस्टग्रेजुएट कोर्स के लिए छात्र 10 लाख से लेकर 25 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन ले सकते हैं. भारत में पढ़ाई करने पर आमतौर पर 10-15 लाख का लोन काफी होता है, लेकिन विदेश में पढ़ाई के लिए जरूरत के हिसाब से 25 लाख या उससे अधिक तक का लोन भी मिल जाता है. सरकारी बैंकों में कुछ खास संस्थानों (जैसे – IIT, NIT, IISc आदि) के लिए लोन जल्दी और कम ब्याज दर पर मिल जाता है.
लोन के लिए जरूरी दस्तावेज
- एडमिशन लेटर (कॉलेज या यूनिवर्सिटी से)
- कोर्स की फीस स्ट्रक्चर
- छात्र की पहचान और एड्रेस प्रूफ
- पिछले शैक्षणिक प्रमाण पत्र (10वीं, 12वीं, ग्रेजुएशन)
- माता-पिता या गारंटर की इनकम प्रूफ
- अगर लोन की राशि ज्यादा है (7.5 लाख रुपये से ऊपर), तो बैंक को सिक्योरिटी (जैसे जमीन या प्रॉपर्टी) देने की जरूरत पड़ सकती है.
कितना होगा EMI का बोझ?
मान लीजिए आपने 10 लाख रुपये का एजुकेशन लोन लिया है और उसकी ब्याज दर 9% सालाना है. बैंक आपको आमतौर पर 1 से 2 साल का मॉरिटोरियम पीरियड देता है यानी पढ़ाई के दौरान और उसके बाद 6-12 महीने तक आपको EMI नहीं भरनी होती. इसके बाद आप 7 साल में लोन चुकाते हैं, तो हर महीने करीब 14,000 से 16,000 रुपये तक EMI बन सकती है. अगर आप जल्दी चुकाना चाहें, तो बैंक आपको प्री-पेमेंट की भी सुविधा देते हैं, जिससे ब्याज कम लग सकता है.
आसान भुगतान के लिए क्या करें?
पढ़ाई के बाद जल्दी नौकरी पाने की योजना बनाएं ताकि EMI शुरू होने से पहले आपकी आय सुनिश्चित हो जाए.
इंटर्नशिप, पार्ट टाइम जॉब या स्कॉलरशिप की मदद से कुछ कमाई करते रहें.
EMI चुकाने के लिए ऑटो डेबिट या ECS सुविधा का उपयोग करें, जिससे कोई किस्त मिस न हो.
अगर नौकरी मिलने में समय लग रहा है, तो बैंक से मॉरिटोरियम बढ़ाने की अपील कर सकते हैं.
सरकार की मदद भी है साथ
भारत सरकार की क्रेडिट गारंटी फंड योजना (CGFSEL) के तहत 7.5 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन बिना किसी गारंटी के मिल सकता है. इसके अलावा इंटरेस्ट सब्सिडी स्कीम के तहत कुछ चुनिंदा छात्रों को ब्याज में राहत भी मिलती है, खासकर अगर परिवार की आय 4.5 लाख रुपये से कम हो.
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