
आज की तेज रफ्तार जिंदगी में हम सब कहीं न कहीं तनाव, बेचैनी और गुस्से के शिकार हो रहे हैं. मोबाइल की स्क्रीन पर चलते नोटिफिकेशन, करियर का प्रेशर, रिश्तों की खटास और भीतर पलती असुरक्षा, ये सब हमारे मन को बेकाबू कर रहे हैं.
नींद कम हो रही है, शांति खो रही है, और गुस्सा जिंदगी के हर कोने में रिसने लगा है. लेकिन क्या मानसिक तनाव और क्रोध का इलाज सिर्फ मेडिटेशन ऐप्स या दवाओं से ही संभव है?
भगवद गीता, हजारों साल पुराना यह ग्रंथ सिर्फ धर्म या युद्ध की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक आंतरिक युद्ध का समाधान है. हमारे मन और उसके विकारों का.
अर्जुन जब युद्धभूमि में मानसिक रूप से टूट जाते हैं, तब श्रीकृष्ण उन्हें जो ज्ञान देते हैं, वही आज के इंसान के लिए मेंटल हेल्थ थेरेपी बन सकता है.
गीता के 5 ऐसे श्लोक, जो तनाव, चिंता और गुस्से को शांत कर सकते हैं, और मन को फिर से आत्मा से जोड़ सकते हैं. जानते हैं इन श्लोक की शक्ति.
गीता के 5 श्लोक जो मानसिक स्वास्थ्य की कुंजी हैं
आत्मोद्धार का सूत्र (गीता 6.5)
‘उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्. आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः॥’
भावार्थ मनुष्य स्वयं ही अपना मित्र है और स्वयं ही अपना शत्रु. यदि मन नियंत्रित है तो आत्मा उद्धार करती है, यदि नहीं, तो विनाश का कारण बनती है.
प्रयोग
- प्रतिदिन ‘सोऽहम्’ ध्यान, आत्मा से जुड़ने की विधि.
- एकांत में बैठकर स्वयं से 5 मिनट संवाद करें ‘मैं क्या चाहता हूं, और क्यों?’
क्रोध की जड़ (गीता 2.62–63)
‘संगात्सञ्जायते कामः, कामात्क्रोधोऽभिजायते…’
श्लोक का अर्थ-आसक्ति से इच्छा, इच्छा से क्रोध, क्रोध से भ्रम, भ्रम से स्मृति लोप, स्मृति लोप से बुद्धि का नाश और अंततः व्यक्ति का पतन होता है.
प्रयोग
- क्रोध के समय मौन व्रत या 21 बार ‘ॐ शान्तिः’ का जप.
- ‘मैं प्रतिक्रिया नहीं, उत्तर दूंगा’, यह मंत्र मन में दोहराएं.
वर्तमान सन्दर्भ: ऑनलाइन बहस, रिश्तों में असहमति या जॉब स्ट्रेस में यदि आप तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं, तो यह श्लोक स्मरण कर ठहरना सीखें.
अस्थायी सुख-दुख का ज्ञान (गीता 2.14)
‘मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः. आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत॥’
गीता का श्लोक बताता है कि सुख-दुख, गर्मी-सर्दी , ये सब क्षणिक हैं. इन्हें सहने का अभ्यास ही जीवन की स्थिरता की नींव है.
प्रयोग
- चिंताओं को अस्थायी मानकर, उनका विश्लेषण करें, ‘ये अनुभव मेरे साथ क्यों है?’
- ‘यह भी बीत जाएगा’, यह वाक्य अपने डेस्क या मोबाइल स्क्रीन पर रखें.
मन का नियंत्रण (गीता 6.26)
‘यतो यतो निश्चरति मनश्चञ्चलमस्थिरम्. ततस्ततो नियम्यैतदात्मन्येव वशं नयेत्॥’
भावार्थ: जब-जब चंचल मन भटके, तब-तब उसे आत्मा में ही लाकर स्थिर करना चाहिए.
प्रयोग
- स्क्रीन टाइम के बीच हर 3 घंटे में 5 मिनट ‘Look Within Pause’ लें.
- नासिकाग्र ध्यान: आंखें बंद कर सिर्फ नाक की नोक पर ध्यान केंद्रित करें.
कर्म में कुशलता ही योग है (गीता 2.50)
‘योगः कर्मसु कौशलम्’
भावार्थ: जो अपने कर्मों में कुशलता और संतुलन बनाए रखता है, वही सच्चा योगी है.
प्रयोग
- जॉब या करियर में असमंजस हो तो छोटे-छोटे कार्यों को पूर्णता से करें.
- सेवा, लेखन, सृजन, जो भी कर्म करें, उसमें मन की अशांति विसर्जित करें.
7 दिन की गीता साधना: मानसिक उपचार की राह
दिन | अभ्यास | उद्देश्य |
सोमवार | श्लोक 2.63 और 108 बार ‘ॐ शान्तिः’ जाप | क्रोध नियंत्रण |
मंगलवार | ‘सोऽहम्’ ध्यान | आत्मसंवाद |
बुधवार | अध्याय 6 का पाठ | मन की स्थिरता |
गुरुवार | 3 घंटे मौन, दान करें | वाणी संयम |
शुक्रवार | ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ जप | चित्त शुद्धि |
शनिवार | गीता श्लोक लेखन (5 श्लोक) | शास्त्र स्मरण |
रविवार | आत्मनिरीक्षण | मानसिक पुनर्निर्माण |
व्यवहारिक और वैदिक सुझाव
- तुलसी पत्र का सेवन, गंगाजल का छींटा, आंतरिक शुद्धि का वैदिक उपाय
- हर सप्ताह एक दिन ‘डिजिटल मौन व्रत’, सोशल मीडिया से दूरी
- त्राटक ध्यान (दीपक की लौ पर दृष्टि), मन शक्ति और फोकस के लिए
अगर मन युद्धभूमि बन जाए, तो गीता ही शांति का शस्त्र है. भगवद गीता आज की सबसे जरूरी किताब है, चाहे आप Gen Z हों या 9 to 5 नौकरी कर रहे हों, फ्रीलांसर हों या नौकरी की तलाश में.
गीता बताती है कि जीत पहले बाहर नहीं, मन के भीतर होती है. आज, जब हर दूसरा व्यक्ति anxiety, self-doubt या burnout से जूझ रहा है, तब गीता वह आंतरिक reset है जिसकी हमें जरूरत है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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