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मणिपुर में 9 जून को हुए प्रदर्शन में सुरक्षाकर्मियों पर गोली चलाने के आरोप में पुलिस ने एक शख्स को गिरफ्तार किया। पुलिस ने बुधवार को बताया कि एक मैतेई ग्रुप के एक सदस्य बोइनाओ पंगेइजम (39 साल) को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया। वह अरम्बाई टेंगोल (AT) का सदस्य है।
बोइनाओ समेत कुछ अन्य प्रदर्शनकारी इम्फाल पश्चिम जिले में सड़क जाम खुलवाने की कोशिश कर रहे सुरक्षाकर्मियों पर गोली चलाकर भागे थे। मजिस्ट्रेट ने उसे आठ दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा है। इसके अलावा इम्फाल पूर्वी जिले में हिंसा के आरोप में 19 अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया है।
मैतेई नेता अशेम कनन सिंह की 7 जून को को गिरफ्तारी के बाद राज्य में हिंसा भड़क गई थी। इंफाल के कई इलाकों में गाड़ियां जला दी गईं, सड़कों पर टायर और पुराने फर्नीचर भी जलाए थे। पुलिस से झड़प के अलावा प्रदर्शनकारियों ने पेट्रोल डालकर खुद को जलाने की भी कोशिश की थी।
3 मई, 2023 को कुकी-मैतेई के बीच जातीय हिंसा में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 1500 से ज्यादा घायल हुए। 70 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो गए हैं। हिंसा मामलों में 6 हजार से ज्यादा FIR दर्ज हुई हैं।

अशेम कनन सिंह मणिपुर पुलिस में रहते हुए हथियारों की तस्करी कर रहा था।
अरम्बाई टेंगोल नेता की रिहाई के लिए प्रदर्शन जारी
मैतेई नेता अशेम कनन सिंह को CBI ने गिरफ्तार किया था। वह मणिपुर पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल था। आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने की वजह से मार्च में उसे सस्पेंड कर दिया गया था। वह AT का सदस्य था और पुलिस में रहते बॉर्डर पार हथियारों की तस्करी करता था।
बंदूक तस्करी में पहली बार कनन 2020 में सस्पेंड हुआ था। 27 फरवरी, 2024 को उसके खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। 3 मार्च, 2025 को सस्पेंड किया गया था। कनन एडिशनल एसपी अमित के घर हमले का भी मुख्य आरोपी है। अमित का अपहरण कर उनके साथ मारपीट की गई थी।
CBI ने कई महीनों की जांच के बाद ठोस सबूतों के आधार पर 7 जून को गिरफ्तार किया था। इसके बाद से ही कनन और चार अन्य की रिहाई की मांग को लेकर मणिपुर में अभी भी प्रदर्शन हो रहे हैं। इसके चलते इंफाल घाटी के कई जिलों में सुरक्षा बलों के साथ झड़पें भी हुई हैं।
7 जून की रात हुई हिंसा की 3 तस्वीरें…

इंफाल की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों ने टायर-फर्नीचर को आग लगा दी।

इंफाल वेस्ट जिले के खुरई लामलोंग इलाके में बस में आग लगा दी।

इंफाल ईस्ट और वेस्ट जिलों में 7 जून को प्रदर्शनकारियों ने कई गाड़ियों को आग लगा दी।
13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन, नई सरकार 15 जून तक बनने की संभावना मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन है, लेकिन मौजूदा विधानसभा भंग नहीं हुई है। सिर्फ निलंबित है। हालांकि, 30 अप्रैल को 21 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भेजकर राज्य में तत्काल लोकप्रिय सरकार बनाने की मांग की थी। पत्र पर भाजपा के 14 विधायकों ने साइन किए हैं।
इसके बाद इंफाल राजभवन में 28 मई को NDA के 10 विधायकों ने राज्यपाल अजय भल्ला से मुलाकात की थी। इनमें से एक विधायक ने भास्कर को बताया था, ‘नई सरकार के ढांचे पर चर्चा हुई है। उम्मीद है कि 15 जून तक एक सरकार बन जाएगी।’

4 पॉइंट्स में समझिए मणिपुर हिंसा की वजह… मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
- कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
- मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
- नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
- सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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