
Global Economy in Recession : विश्व बैंक ने अपनी हालिया रिपोर्ट में भारत सहित दुनियाभर के 70 देशों के विकास दर अनुमान को घटा दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेश और खपत में गिरावट की वजह से 2008 के बाद पहल…और पढ़ें

हाइलाइट्स
- विश्व बैंक ने 70 देशों की विकास दर का अनुमान घटाया.
- भारत की विकास दर 2026-27 में 6.5% रहने का अनुमान.
- ग्लोबल इकनॉमी की विकास दर 2025 में 2.3% रहने का अनुमान.
नई दिल्ली. रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-फिलिस्तीन की लड़ाई और ट्रेड वॉर से जूझती दुनिया क्या मंदी की तरफ बढ़ रही है. विश्व बैंक ने हाल में जारी अपनी ग्रोथ रिपोर्ट में जो आंकड़े पेश किए हैं, वह ग्लोबल इकनॉमी की चिंताजनक स्थिति को बयां करते हैं. इन आंकड़ों को देखते हुए ये कयास भी लगाए जाने लगे हैं कि क्या वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जा रही है. अगर ऐसा होता है तो किन देशों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा.
क्या है विकास दर घटने का कारण
- बढ़ती व्यापार बाधाएं : विश्व बैंक की जून 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, व्यापारिक टैरिफ और प्रतिबंधों में वृद्धि, विशेष रूप से अमेरिका और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं द्वारा लगाए गए टैरिफ ने ग्लोबल ट्रेड में समस्या पैदा की है.
- पॉलिसी में भ्रम : वैश्विक स्तर पर नीतिगत अनिश्चितता, जैसे व्यापार नीतियों और ब्याज दरों में बदलावों ने निवेशकों का भरोसा कम किया है. यह अनिश्चितता उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (EMDEs) में पूंजी प्रवाह को सीमित कर रही है.
- महंगाई और ब्याज दर में बढ़ोतरी : केंद्रीय बैंकों द्वारा महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाई गई हैं, जिससे उपभोक्ता खर्च और निवेश में कमी आई है. विश्व बैंक ने जनवरी 2025 में बताया कि यह विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए चुनौती है.
- डिमांड में कमी : प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं जैसे अमेरिका, चीन और यूरोप में डिमांड कमजोर होने से वैश्विक व्यापार और उत्पादन प्रभावित हुआ है. विश्व बैंक के अनुसार, 70% अर्थव्यवस्थाओं के लिए 2025 के विकास अनुमान को कम किया गया है.
- ऊर्जा और खाद्य संकट : रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे भू-राजनीतिक तनावों ने ऊर्जा और खाद्य आपूर्ति को बाधित किया है, जिससे वैश्विक कीमतें बढ़ी हैं. यह विशेष रूप से कम आय वाले देशों (LICs) और उप-सहारा अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में विकास को प्रभावित कर रहा है.
- उभरते बाजारों पर कर्ज का बोझ : कई विकासशील देशों पर बढ़ता कर्ज और घटता विदेशी निवेश दबाव डाल रहा है. विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि कम आय वाले देशों में विकास दर गरीबी कम करने के लिए अपर्याप्त है.
विश्व बैंक ने कहा है कि ग्लोबल इकनॉमी भले ही दबाव में चल रही है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका ज्यादा असर नहीं दिखेगा. भारत की विकास दर मामूली रूप से ही नीचे आएगी और यह अब भी दुनिया की सबसे तेज ग्रोथ करने वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी. विश्व बैंक के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था लचीली है, जो वैश्विक चुनौतियों के बावजूद सबसे तेज ग्रोथ करने वाली इकनॉमी बनी रहेगी. भारत का मजबूत सेवा निर्यात और कम चालू खाते का घाटा इसे बाहरी झटकों से बचाने में मदद करता है.
निवेश और खपत में कमी सबसे बड़ी चुनौती
विश्व बैंक ने साफ कहा है कि ग्लोबल इकनॉमी में खपत कम होती जा रही है, जिससे उत्पादन पर असर पड़ रहा और रोजगार पैदा करने में भी गिरावट आ रही है. ज्यादातर देश आज विदेशी निवेश और पूंजीगत प्रवाह में गिरावट से जूझ रहे हैं. यही वजह है कि विश्व बैंक ने करीब 70 देशों के विकास दर अनुमान को कम कर दिया है.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि…और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि… और पढ़ें
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