
भविष्य को देखते हुए प्लान करती है रिलायंस
अंबानी ने कहा कि रिलायंस का हर नया बिजनेस शुरू करने से पहले वे यह सोचते हैं कि भारत के डेवलपमेंट के लिए सबसे जरूरी चीज क्या है और उसे कैसे लंबे समय तक और बड़े पैमाने पर पूरा किया जा सकता है. यही रिलायंस की ताकत है. वे भविष्य को देखकर प्लान बनाते हैं, जैसे 20 साल बाद क्या होगा, इसका अंदाजा लगाकर काम शुरू करते हैं. उदाहरण के लिए, उन्होंने पॉलिस्टर और 4G को सही समय से पहले शुरू किया था, और अब ग्रीन एनर्जी में भी वही कर रहे हैं.
सबसे बड़ा रिस्क था जियो
रिलायंस ने समय के साथ खुद को बदला है. पहले पॉलिस्टर, फिर पेट्रोकेमिकल्स, टेलीकॉम और अब ग्रीन एनर्जी में कदम रखा है. इन सब में सबसे बड़ा रिस्क था जियो. 2016 में रिलायंस ने टेलीकॉम मार्केट में 25 बिलियन डॉलर का इनवेस्टमेंट किया, जो बहुत कॉम्पिटिटिव था.
अंबानी ने बताया कि जियो में उन्होंने अपनी खुद की पूंजी लगाई थी, क्योंकि वे रिलायंस के सबसे बड़े शेयरहोल्डर थे. कुछ लोग सोचते थे कि भारत इतनी एडवांस डिजिटल टेक्नोलॉजी के लिए तैयार नहीं है, और हो सकता था कि यह बिजनेस फाइनेंशियली कामयाब न हो. लेकिन अंबानी ने अपने बोर्ड से कहा कि अगर ऐसा हुआ तो भी ठीक है, क्योंकि यह उनका अपना पैसा था. फिर भी, जियो ने भारत में डिजिटल क्रांति ला दी. अंबानी का मानना है कि बड़े रिस्क लेना जरूरी है, क्योंकि रिलायंस के लिए स्केल बहुत मायने रखता है.
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