नई दिल्ली. राजधानी दिल्ली का आईटीओ चौराहे से होकर जाने से हर कोई डरता है. इसका कारण है यहां लगने वाला जाम. रिंग रोड, विकास मार्ग, बहादुर शाह जफर मार्ग और तिलक मार्ग जैसे प्रमुख मार्गों का ट्रैफिक इसी चौराहे पर आकर मिलता है. इसी वजह से यहां अक्सर भारी जाम लगता है. अब दिल्ली सरकार ने दिल्ली के दिल का जाम खत्म करने का बीड़ा उठाया है. लोक निर्माण विभाग (PWD) ने इस जाम को खत्म करने के लिए एक समग्र ट्रांजिट कॉरिडोर बनाने तथा रोड नेटवर्क को दोबारा डिजाइन करने की योजना बनाई है. इस योजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने के लिए दो करोड़ रुपये का टेंडर भी विभाग ने जारी कर दिया है.
एक कंसल्टेंसी फर्म नियुक्त की जाएगी, जो छह महीने के भीतर इस चौराहे के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करेगी. फर्म को ITO और उसके आसपास के क्षेत्र के लिए एकीकृत ट्रांजिट कॉरिडोर योजना का खाका बनाना होगा. पीडब्ल्यूडी विभाग ITO पर फ्लाईओवर या अंडरपास बना बनाकर जाम खत्म करने की तैयारी में है. इस परियोजना के लिए 18 जून को प्री-बिड मीटिंग होगी और 2 जुलाई तक टेंडर भरे जा सकेंगे. एक बार सलाहकार की नियुक्ति हो जाने के बाद DPR, डिजाइन और अनुमोदन की प्रक्रिया अगले सात महीनों में पूरी कर ली जाएगी. PWD का यह प्रयास दिल्लीवासियों को जाम की समस्या से राहत दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
सबसे व्यस्त चौराहा है आईटीओ
PWD के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक रूप से व्यवहारिक समाधान तैयार करना है, जिसमें एलिवेटेड या अंडरग्राउंड सड़क मार्ग के साथ-साथ मल्टीमॉडल इंटीग्रेशन शामिल होगा. ITO चौराहा दिल्ली के सबसे व्यस्त क्षेत्रों में से एक है, जहां हर दिन हजारों वाहन गुजरते हैं. ट्रैफिक जाम की इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए यह योजना बेहद जरूरी मानी जा रही है.
टेंडर डॉक्यूमेंट्स के अनुसार, चयनित कंसल्टेंसी फर्म को परियोजना की व्यवहार्यता का पूरा अध्ययन करना होगा. इसमें भू-तकनीकी जांच, यूटिलिटी मैपिंग, रोड सेफ्टी ऑडिट, भूमि अधिग्रहण योजना, ट्रैफिक वॉल्यूम सर्वे, गति और विलंब विश्लेषण, ओरिजिन-डेस्टिनेशन सर्वे, 3D वॉकथ्रू आदि शामिल हैं. इन रिपोर्टों को UTTIPEC और दिल्ली अर्बन आर्ट कमीशन (DUAC) जैसी संस्थाओं को प्रस्तुत किया जाएगा.
आसपास की रोड का डिजाइन भी बदलेगा
डीपीआर में परियोजना की लागत, डिजाइन, आर्थिक और वित्तीय विश्लेषण, सामाजिक और पर्यावरणीय आकलन, कार्य योजनाएं और सिफारिशें भी शामिल होंगी. खास बात यह है कि अध्ययन क्षेत्र केवल ITO चौराहे तक सीमित नहीं होगा, बल्कि इसके 500 मीटर के दायरे में आने वाली सभी संपर्क सड़कों और गलियों को भी कवर करेगा.
अधिकारियों ने बताया कि अध्ययन में यह भी देखा जाएगा कि भविष्य में मेट्रो, बस रैपिड ट्रांजिट (BRT), रेलवे जैसी सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं के साथ इस योजना का कैसे समन्वय किया जा सकता है. इसके अलावा ट्रैफिक सिग्नल टाइमिंग, संकेत चिह्न, फुटपाथ, बैरिकेडिंग, यूटिलिटी शिफ्टिंग, वृक्ष स्थानांतरण, जल निकासी सुधार, नई स्ट्रीट लाइट, रैंप, बेंच और हरित क्षेत्र तैयार करने की योजना भी बनेगी.