
घाना की यात्रा पर जा रहे पीएम मोदी की बातचीत का केंद्र भारत के विकास कार्यक्रम ही हैं. भारत ने यहां प्राइवेट बिजनेस के जरिये 2 अरब डॉलर (करीब 17 हजार करोड़ रुपये) का निवेश किया है, जबकि सरकार ने भी 1 अरब डॉलर (8.5 हजार करोड़ रुपये) का ग्रांट दे रखा है. भारत यहां के राष्ट्रपति का घर बनाने के साथ ही जुबली हाउस सहित कई इन्फ्रा परियोजनाओं के विकास में भागेदारी निभा रहा है.
इस अफ्रीकी देश की जनसंख्या हमारी राजधानी दिल्ली के बराबर है, जहां करीब 3.5 करोड़ लोग रहते हैं. देश ने वैसे तो आर्थिक प्रगति की राह काफी तेजी से पकड़ी है, लेकिन इसका सबसे बड़ा संकट बढ़ती महंगाई और कर्ज का बोझ है. यही वजह है कि भारत ने यहां लगातार निवेश बढ़ाकर देश की आर्थिक प्रगति को बढ़ाने में मदद की है. यहां की प्रति व्यक्ति आय 4,600 डॉलर है, जो भारत से भी कहीं ज्यादा नजर आती है.
क्यों है इस पर भारत की नजर
घाना दुनिया का 11वां सबसे बड़ा सोना उत्पादक देश है और इसकी खनिज संपदा (विशेषकर सोना) अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख आधार है. इसके अलावा घाना दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोको उत्पादक देश है और यहां के कोको से बनी चॉकलेट दुनियाभर में प्रसिद्ध है. साल 2007 में घाना के तट पर तेल की खोज ने आर्थिक रूप से काफी ताकत दी है. घाना को भले ही गरीब देशों की सूची में रखा जाता हो, लेकिन यहां की साक्षरता दर करीब 77 फीसदी है. यह अफ्रीकी देशों के लिहाज से काफी ज्यादा है.
भारत और घाना के बीच द्विपक्षीय कारोबार 5 अरब डॉलर से भी ज्यादा पहुंच गया है. भारत अपनी जरूरी का करीब 80 फीसदी सोना घाना से ही आयात करता है. कोरोनाकाल के बाद दोनों देशों का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है. भारत से खासकर दवाएं, कृषि मशीनरी, कॉमर्शियल वाहन, बिजली उपकरण, प्लास्टिक उत्पाद, लोहा और इस्पात, एल्कोहल, अनाज व कपड़ों का निर्यात किया जाता है. आयात की बात करें तो भारत 70 से 80 फीसदी सोना तो यहीं से मंगाता है, जबकि कोको प्रोडक्ट, काजू, लकड़ी के प्रोडक्ट, मसाले और स्क्रैप मेटल मंगाता है.
निवेश में चीन को सीधी टक्कर
घाना में निवेश के मामले में भारत दूसरे पायदान पर है और चीन को सीधी टक्कर दे रहा है. यहां भारतीय कंपनियों ने 870 प्रोजेक्ट में निवेश किया है, जबकि 10 करोड़ डॉलर का विदेशी निवेश भी भारत से ही मिला है. भारत यहां तीसरा सबसे बड़ा एफडीआई निवेशक है. भारत अभी घाना के शामा जिले में करीब 10 हजार करोड़ रुपये की लागत वाले उर्वरक संयंत्र की स्थापना में बड़ी भूमिका निभा रहा है. इसके अलावा 100 किलोमीटर की रेलवे लाइन बिछाने के साथ यहां यूपीआई सुविधा भी शुरू कर रहा है.
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