नई दिल्ली. देश में बहुत जल्द नई टोल पॉलिसी लागू होने वाली है. नई टोल नीति में आपको फास्टैग की चिंता करने की भी जरूर नहीं होगी. ऐसा प्रस्ताव है कि टोल कलेक्शन को सैटेलाइट से जोड़ा जाएगा. अगर फास्टैग काम नहीं कर रहा है तो प्लाजा पर लगा कैमरा आपकी नंबर प्लेट पढ़ेगा और सीधे अकाउंट से ही टोल का पैसा कट जाएगा. इतना ही नहीं जितना गाड़ी हाईवे पर चलेगी केवल उतने हिस्से का ही आपसे टोल भी वसूला जाएगा. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने जिस नई टोल नीति का ऐलान किया है उसमें और भी कई खूबियां हैं जिसके बारे में आप आगे पढ़ेंगे.
इस नीति के तहत यात्री अब कम खर्च में नेशनल हाईवे पर सफर कर सकेंगे, साथ ही टोल प्लाजा पर लगने वाले जाम से भी राहत मिलेगी. इसमें कई नई सुविधाएं जोड़ी जा रही हैं, जिनमें सालाना और लाइफटाइम पास, दूरी के हिसाब से टोल, और बिना रुकावट टोल वसूली जैसे प्रावधान शामिल हैं. यह नीति खास तौर पर उन लोगों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है जो रोजाना या लगातार नेशनल हाईवे का इस्तेमाल करते हैं. मौजूदा समय में एक टोल प्लाजा के मासिक पास की लागत करीब ₹340 यानी साल भर में ₹4,080 तक जाती है. वहीं, नई नीति के तहत सिर्फ ₹3,000 में पूरे साल किसी भी नेशनल हाईवे पर असीमित सफर किया जा सकेगा. इस बदलाव से निजी गाड़ियों के मालिकों को सबसे ज्यादा फायदा होगा, क्योंकि वे टोल ट्रैफिक का 60% हिस्सा हैं, जबकि कुल टोल राजस्व में उनका योगदान सिर्फ 21% है.
बिना रुकावट टोल और दूरी आधारित शुल्क
सरकार ने यह भी साफ किया है कि मई 2025 से पूरे देश में सेटेलाइट आधारित टोलिंग लागू नहीं की जाएगी. इसके बजाय, कुछ चुनिंदा हाईवे पर ANPR (Automatic Number Plate Recognition) तकनीक और FASTag के संयोजन से एक ‘बैरियर-फ्री टोल सिस्टम’ लागू किया जाएगा. इसमें टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी, कैमरे वाहन की नंबर प्लेट को स्कैन करेंगे और टोल अपने-आप कट जाएगा. यह सिस्टम पहले ही बेंगलुरु-माइसूर और पानीपत-हिसार जैसे मार्गों पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सफलतापूर्वक चलाया जा चुका है.
इसके साथ ही, एक और बड़ा बदलाव यह है कि निजी वाहनों के लिए रोज़ाना 20 किलोमीटर की दूरी तक टोल फ्री रखा गया है. यानी अगर कोई व्यक्ति रोज 20 किलोमीटर या उससे कम दूरी की यात्रा करता है, तो उसे टोल नहीं देना पड़ेगा—बशर्ते उसकी गाड़ी में FASTag या GNSS ट्रैकिंग सिस्टम हो. 20 किमी से ज्यादा की दूरी पर ₹50 प्रति 100 किमी की दर से टोल लिया जाएगा. यह व्यवस्था स्थानीय यात्रियों और दैनिक आने-जाने वालों को सीधा फायदा पहुंचाएगी.
सख्ती से लागू होंगे पुराने नियम और शिकायत निवारण व्यवस्था
नई नीति के तहत सरकार 2008 के उस नियम को भी सख्ती से लागू करने जा रही है, जिसके मुताबिक दो टोल प्लाजा के बीच कम से कम 60 किमी की दूरी होनी चाहिए. अब तक इस नियम की अक्सर अनदेखी होती रही है, जिससे यात्रियों को हर थोड़ी दूरी पर टोल देना पड़ता था. हालांकि कुछ स्थितियों—जैसे नगरपालिका सीमा, राज्य की सीमा या परियोजना की व्यावसायिक viability—में छूट मिल सकती है, लेकिन ऐसे मामलों को न्यूनतम रखा जाएगा.
इसके अलावा, सरकार ने यह भी कहा है कि टोल वसूली को लेकर लोगों की शिकायतों को तुरंत हल करने के लिए एक नया ग्रिवांस रिड्रेसल सिस्टम तैयार किया जा रहा है. इसमें टोल ज्यादा कटने, डबल कटौती या अन्य गड़बड़ियों को जल्दी सुलझाया जाएगा. साथ ही, ‘वन व्हीकल, वन FASTag’ नीति के चलते अब हर गाड़ी के लिए सिर्फ एक वैध FASTag रहेगा, जिससे फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी.
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राजस्व और भविष्य की योजना
भारत में टोल कलेक्शन लगातार बढ़ रहा है. वित्त वर्ष 2024 में टोल से ₹64,810 करोड़ की कमाई हुई, जो पिछले साल के ₹48,028 करोड़ से 35% ज्यादा है. उत्तर प्रदेश और राजस्थान इस मामले में सबसे आगे हैं. ये राजस्व भारतमाला परियोजना जैसी राष्ट्रीय योजनाओं में लगाया जा रहा है, जिसमें अब तक 18,700 किमी सड़कों का निर्माण हो चुका है. गडकरी का दावा है कि आने वाले दो सालों में टोल से होने वाली कमाई ₹1.40 लाख करोड़ तक पहुंच सकती है, जिससे लगभग ₹5 लाख करोड़ की नई परियोजनाओं को गति मिलेगी.
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