
India-Iran-Israel Trade : ईरान और इजराइल में जारी युद्ध का भारत के कारोबार पर भी असर पड़ा है. इसी असर और नुकसान का आकलन करने के लिए आज सरकार बैठक करेगी. इसके बाद खुलासा होगा कि इस युद्ध से भारत को क्या नुकसान …और पढ़ें

हाइलाइट्स
- भारत पर ईरान-इजराइल युद्ध का असर
- सरकार व्यापार नुकसान का आकलन करेगी
- होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने की धमकी
नई दिल्ली. ईरान और इजराइल दोनों ही भारत के व्यापारिक साझेदार हैं और अभी दोनों देशों में युद्ध चल रहा है. जाहिर है कि इस युद्ध का असर भारत के कारोबार पर भी दिख सकता है. इसी प्रभाव और नुकसान का आकलन करने के लिए सरकार जल्द मंथन करने वाली है. उद्योग जगत के एक अधिकारी ने बताया कि बैठक की अध्यक्षता वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल करेंगे.
निर्यातकों ने कहा है कि अगर युद्ध और बढ़ता है तो इससे विश्व व्यापार पर असर पड़ेगा और हवाई तथा समुद्री माल ढुलाई की दरें बढ़ जाएंगी. उन्होंने आशंका जताई है कि इस संघर्ष से होर्मुज जलडमरूमध्य और लाल सागर से व्यापारी जहाजों की आवाजाही प्रभावित हो सकती है. भारत का लगभग दो-तिहाई कच्चा तेल और आधा तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का आयात होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर आता है, जिसे अब ईरान ने बंद करने की धमकी दी है.
सबसे प्रमुख मार्ग पर बढ़ रहा खतरा
होर्मुज जलडमरूमध्य एक संकरा जलमार्ग है, जो अपने सबसे संकरे स्थान पर केवल 21 मील चौड़ा है और वैश्विक तेल व्यापार का लगभग 20 फीसदी हिस्सा संभालता है. भारत के लिए यह अपरिहार्य है, जो अपनी 80 फीसदी से अधिक ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर करता है. इस बीच, यमन में हूतियों पर 14-15 जून को इजराइल के हमले से लाल सागर क्षेत्र में भी तनाव बढ़ गया है. लाल सागर क्षेत्र पर हूती विद्रोही पहले ही वाणिज्यिक जहाजों पर हमला कर चुके हैं.
भारत का कितना कारोबार
भारत का इजराइल को निर्यात 2023-24 में 4.5 अरब डॉलर से घटकर 2024-25 में 2.1 अरब डॉलर रह गया. पिछले वित्त वर्ष में इजराइल से आयात 2023-24 के 2 अरब डॉलर से घटकर 1.6 अरब डॉलर रह गया. इसी तरह, ईरान को निर्यात भी प्रभावित हो सकता है. ईरान को हमारा निर्यात 2024-25 और 2023-24 में लगभग 1.4 अरब डॉलर पर स्थिर रहा था. वित्त वर्ष 2024-25 में ईरान से भारत का आयात 44.1 करोड़ डॉलर था, जबकि पिछले वर्ष यह 62.5 करोड़ डॉलर रहा. मौजूदा संघर्ष उस दबाव को और बढ़ाता है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा उच्च शुल्क की घोषणा के बाद विश्व व्यापार पर पड़ा था.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि…और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि… और पढ़ें
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