
India-America Trade Deal : भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता अब अंतिम दौर में पहुंच रही है. इस डील को 8 जुलाई से पहले पूरा करने के लिए भारतीय अधिकारियों ने अपनी यात्रा का समय भी और बढ़ा दिया है.

हाइलाइट्स
- भारतीय अधिकारियों ने अमेरिका में डाला डेरा.
- भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता अंतिम दौर में.
- कृषि उत्पादों पर टैरिफ को लेकर मतभेद.
नई दिल्ली. अमेरिका के साथ टैरिफ पर बातचीत करने पहुंचे भारतीय दल ने काम पूरा होने तक डेरा डाल दिया है. टीम में शामिल अधिकारियों को वैसे तो पिछले शुक्रवार तक ही अमेरिका में रुकना था, लेकिन बात नहीं बनने पर उन्होंने अपनी यात्रा को आगे बढ़ा दिया है. अधिकारियों का कहना है कि कुछ मुद्दों पर अभी तक सहमति नहीं बन सकी है, लिहाजा यात्रा का समय और बढ़ा दिया गया है. उम्मीद है कि टैरिफ की डेडलाइन से पहले ही इन सभी को सुलझा लिया जाएगा.
किन चीजों पर छूट चाहता है भारत
भारत की मंशा न सिर्फ 26 फीसदी के टैरिफ से छुटकारा पाने की है, बल्कि अमेरिका की ओर से उसके उत्पादों जैसे स्टील, एल्यूमीनियम और ऑटो उपकरणों पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ से भी छुटकारा पाने की है. दूसरी ओर, अमेरिका भी अपने ऑटोमोबाइल, वाइन और सेब, सोया व मक्के जैसे कृषि उत्पादों को भारतीय बाजार में बिना टैरिफ के ही प्रवेश दिलाना चाहता है या फिर इस पर बेहद कम टैरिफ लगाने की मांग कर रहा है. भारत की डिमांड है कि उसके कपड़े और जूते जैसे उत्पादों को भी बिना टैरिफ के अमेरिका में आने की इजाजत दी जाए.
भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ की बातचीत फिलहाल कृषि उत्पादों को लेकर अटकी हुई है. अमेरिका अपने एग्री प्रोडक्ट को भारतीय बाजार में बिना किसी रोकटोक के भेजने की डिमांड कर रहा है. चूंकि, भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां करोड़ों किसानों की जीविका इन्हीं उत्पादों पर टिकी है. लिहाजा भारत सरकार अमेरिकी उत्पादों को लाकर इन किसानों की रोजी-रोटी नहीं छीनना चाहती है. इस दबाव के साथ राजनीतिक मसला भी है, क्योंकि इससे सरकार के खिलाफ के विरोधी लहर तैयार हो सकती है. कमोबेश यही स्थिति डेयरी प्रोडक्ट को लेकर भी है, क्योंकि अमेरिका में दुधारू पशुओं को ब्लड मील खिलाया जाता है.
ट्रंप ने किया था डील का इशारा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले दिनों भारत के साथ बड़ी डील होने का इशारा भी किया था. उन्होंने कहा था कि वह भारत के साथ जल्द ही एक बड़ी डील पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं, जिसके बाद भारतीय बाजार खुल जाएंगे. हालांकि, अमेरिका की डिमांड को लेकर भारत को काफी मतभेद है. उसका मानना है कि भारतीय बाजार में जेनिटिकली मोडिफाइड कृषि उत्पादों को अनुमति देना सही नहीं होगा और न ही उनके नॉनवेज डेयरी प्रोडक्ट को यहां आने की इजाजत दी जा सकती है. इसके बदले भारत ने क्रूड जैसे प्रोडक्ट की अमेरिका से खरीदारी 270 फीसदी बढ़ा दी है. अगर अमेरिका अन्य प्रोडक्ट पर छूट चाहता है तो भारत उसके लिए राजी है, लेकिन इन दो उत्पादों पर सहमति देना मुश्किल है.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि…और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि… और पढ़ें
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