
भारत ने जनवरी से अप्रैल 2025 की अविध में अमेरिका से 6.31 मिलियन टन कच्चा तेल खरीदा. पिछले साल इसी अवधि में आयात केवल 1.69 मिलियन टन था. वहीं, भारत रूस से भी कच्चा तेल और हथियार खरीदा रहा है, जिनमें एस 400 प्रम…और पढ़ें

हाइलाइट्स
- भारत ने अमेरिका से सालाना आधार पर 270 फीसदी ज्यादा तेल खरीदा.
- भारत के लिए कच्चे तेल आयात का नया विकल्प बन रहा है अमेरिका.
- रूस के साथ भारत सैन्य सहयोग बढ़ा रहा है.
नई दिल्ली. भारत अब अपनी अर्थव्यवस्था, आर्थिक नीति और बाजार को हथियार की तरह इस्तेमाल करने लगा है. एक तरफ जहां वह रूस से सैन्य साज्जो-सामान खरीदकर अपनी दोस्ती पक्की कर रहा है, वहीं अमेरिका से धड़ाधड़ कच्चा तेल खरीदकर संबंधों को मजबूत कर रहा है. भारत ने रूस से 2018 में एस-400 के पांच स्क्वाड्रन की 40 हजार करोड़ रुपये की डील की थी. भारत को 3 स्क्वाड्रन मिल गए हैं. दूसरी ओर भारत ने अमेरिका से कच्चे तेल का आयात भी बढ़ा दिया है. साल 2025 के पहले चार महीनों में भी भारत ने सालाना आधार पर अमेरिका से 270 फीसदी ज्यादा कच्चा तेल खरीदा. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत की ऊर्जा आपूर्ति में विविधता लाने और अमेरिकी व्यापार घाटे को संतुलित करने की रणनीति का हिस्सा है. ऐसा होने पर भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में भारत बेहतर तरीके से ट्रंप से मोल-भाव कर पाएगा.
अमेरिका से आयात 63 फीसदी बढ़ा
ट्रेड डील के लिए बातचीत कर रहे हैं दोनों देश
भारत और अमेरिका के बीच 9 जुलाई तक संभावित व्यापार समझौते की तैयारी हो रही है, जिसमें भारत को अमेरिका से आयात बढ़ाने की दिशा में कई कदम उठाने हैं. संभावित समझौते के तहत भारत अपने बाजार को अमेरिकी कारों, रक्षा उपकरणों और कृषि उत्पादों के लिए और अधिक खोल सकता है.
एक रणनीतिक कदम
भारत के लिए फायदे का सौदा
भारत अमेरिका से तेल आयात एक रणनीति के तहत ही बढ़ा रहा है. इससे जहां भारत को ऊर्जा सुरक्षा मजबूत करने में मदद मिल रही है, वहीं अमेरिका की व्यापार संतुलन संबंधी चिंताओं का भी काफी हद तक समाधान हो रहा है. जानकारों के मुताबिक, अमेरिकी तेल की खरीद में इजाफा भारत को अन्य कच्चा तेल आपूर्ति करने वाले देशों से बेहतर सौदेबाजी की स्थिति में लाता है. इससे वे भारत को प्रतिस्पर्धी दरों पर तेल देने के लिए मजबूर हो सकते हैं.
Discover more from हिंदी न्यूज़ ब्लॉग
Subscribe to get the latest posts sent to your email.