
आपको बता दें कि इस योजना का ऐलान पिछले साल के बजट में किया गया था लेकिन इसे मंजूरी अब दी गई है. ELI स्कीम के लिए 99,446 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसका लक्ष्य 2 साल में 3.5 करोड़ नौकरियां पैदा करना है, जिनमें 1.92 करोड़ पहली बार नौकरी करने वाले (फर्स्ट-टाइमर्स) होंगे. यह स्कीम 1 अगस्त 2025 से 31 जुलाई 2027 तक बनने वाली नौकरियों पर लागू होगी. आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं.
भाग A: पहली बार नौकरी करने वालों के लिए इन्सेंटिव
पहली बार नौकरी करने वाले कर्मचारियों को, जो EPFO में रजिस्टर्ड हैं, एक महीने की सैलरी (अधिकतम 15,000 रुपये) दो किस्त में दी जाएगी. पहली किस्त 6 महीने की सेवा के बाद के मिलेगी. वहीं, दूसरी किस्त 12 महीने की सेवा और एक ऑनलाइन फाइनेंशियल लिटरेसी कोर्स पूरा करने के बाद में मिलेगी.
1 लाख रुपये तक की मासिक सैलरी वाले कर्मचारी, जो पहली बार औपचारिक क्षेत्र में नौकरी शुरू कर रहे हैं. कर्मचारियों का आधार उनके bank account के साथ लिंक होना जरूरी है.
इंसेंटिव का हिस्सा एक बचत खाते में जमा होगा, जिसे कर्मचारी बाद में निकाल सकता है. इस हिस्से से 1.92 करोड़ नए कर्मचारियों को फायदा होगा.
उदारहरण
भाग B: नियोक्ताओं के लिए समर्थन
नियोक्ताओं को 1 लाख रुपये तक की सैलरी वाले अतिरिक्त कर्मचारियों को काम पर रखने के लिए 2 साल तक प्रति माह 3,000 रुपये तक का इंसेंटिव मिलेगा. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में यह इंसेंटिव तीसरे और चौथे साल तक बढ़ाया जाएगा.
इन्सेंटिव की संरचना
- 10,000 रुपये तक की सैलरी: 1,000 रुपये/माह.
- 10,000-20,000 रुपये की सैलरी: 2,000 रुपये/माह.
- 20,000 रुपये से अधिक (1 लाख तक): 3,000 रुपये/माह.
दिल्ली में एक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी, जो EPFO में रजिस्टर्ड है, 10 नए कर्मचारियों को 30,000 रुपये मासिक सैलरी पर रखती है. कंपनी को प्रत्येक कर्मचारी के लिए 2 साल तक हर महीने 3,000 रुपये का इंसेंटिव मिलेगा, और मैन्युफैक्चरिंग होने के कारण तीसरे-चौथे साल में भी लाभ मिलेगा. अगर कंपनी 1,000 से ज्यादा नौकरियां बनाती है, तो रीइंबर्समेंट तिमाही आधार पर होगा.
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