नई दिल्ली. क्रेडिट कार्ड आज की जिंदगी में फाइनेंशियल फ्लेक्सिबिलिटी और तुरंत ज़रूरतों को पूरा करने का जरिया बन चुके हैं. अगर इनका सही इस्तेमाल हो, तो ये आपकी क्रेडिट हिस्ट्री और स्कोर दोनों को बेहतर बना सकते हैं. लेकिन एक बड़ी गलतफहमी जो ज्यादातर लोगों में देखने को मिलती है, वो है “मिनिमम पेमेंट” को लेकर. लोग मानते हैं कि अगर वो हर महीने मिनिमम अमाउंट भरते रहेंगे, तो सब ठीक रहेगा. मगर हकीकत में ये आदत आपके फाइनेंशियल हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकती है.
जब आप सिर्फ मिनिमम पेमेंट करते हैं, तो इससे आपको लेट फीस से तो बचाव मिल सकता है, लेकिन आपकी क्रेडिट स्कोर बेहतर नहीं होता. बल्कि लंबे समय तक सिर्फ यही तरीका अपनाने से दो बड़े नुकसान होते हैं—एक, आपका क्रेडिट स्कोर गिर सकता है और दो, आप भारी ब्याज दर के बोझ में फंस सकते हैं.
मिनिमम पेमेंट: एक भ्रमित करने वाला संतुलन
जब क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट में “मिनिमम ड्यू” लिखा आता है, तो ऐसा लगता है मानो बैंक आपको एक आसान विकल्प दे रहा है. लेकिन सच्चाई ये है कि ये सिर्फ 2–5% होता है आपके कुल बकाया का, और इसका मकसद बस इतना है कि आपका खाता चालू बना रहे. न तो ये किसी मजबूत फाइनेंशियल प्लानिंग का संकेत देता है और न ही यह क्रेडिट ब्यूरो को दिखाता है कि आप जिम्मेदार कर्जदार हैं.
इसके बजाय, जब आप हर महीने सिर्फ इतना ही भुगतान करते हैं, तो इससे आपकी क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेशियो बढ़ती है, जो आपके स्कोर का एक अहम हिस्सा होती है. इससे ये संदेश जाता है कि आप लगातार अपने क्रेडिट का बड़ा हिस्सा इस्तेमाल कर रहे हैं—यानी आपके ऊपर कैश फ्लो का दबाव है.
क्रेडिट स्कोर और यूटिलाइजेशन का सीधा संबंध
मान लीजिए आपके पास ₹1 लाख की क्रेडिट लिमिट है और आप ₹70,000 हर महीने ओएस (outstanding) रखते हैं, तो आपका यूटिलाइजेशन रेशियो 70% रहेगा. अगर आप हर महीने सिर्फ मिनिमम पेमेंट करते हैं, तो बैलेंस धीरे-धीरे घटेगा और स्कोर सुधारने में काफी वक्त लगेगा. दूसरी तरफ, अगर आप ज्यादा अमाउंट चुकाते हैं और बैलेंस जल्दी घटाते हैं, तो आपका स्कोर तेजी से सुधर सकता है.
ब्याज का बोझ और कर्ज का जाल
क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दरें काफी ज्यादा होती हैं—अक्सर सालाना 30–40% तक. जब आप सिर्फ मिनिमम पेमेंट करते हैं, तो बाकी रकम पर रोज ब्याज जुड़ता रहता है. इससे आपकी देनदारी तेजी से बढ़ती है और जो खर्च आपने शुरू में किया था, उसका बोझ कहीं ज्यादा बढ़ जाता है. इससे बचना तभी मुमकिन है जब आप पूरी बकाया राशि समय पर चुका दें.