टॉरेंट फार्मा के शेयरों में आज हल्की गिरावट देखने को मिली. कंपनी को लेकर बाजार बंद होने से पहले कुछ ऐसी खबर आई जिसकी वजह से स्टॉक लाल निशान में आ गया. यह खबर जीएसटी पेनल्टी को लेकर थी गुजरात के अहमदाबाद से कंपनी पर लगाई गई है.
पहली नजर में ये रकम बड़ी जरूर लगती है, लेकिन फार्मा एक्सपोर्ट के जटिल जीएसटी सिस्टम में ऐसी केस आते रहते हैं. खास बात ये है कि टॉरेंट इस साल तीसरी बार ऐसी जांच और नोटिस में घिरा है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कंपनी की कॉम्प्लायंस मशीनरी में कहां गड़बड़ी है. कंपनी ने खुद स्टॉक एक्सचेंज को बताया है कि ये ऑर्डर 26 नवंबर को मिला और वो इस फैसले के खिलाफ अपील करने जा रही है. उनका दावा है कि इस पेनल्टी से न तो बिजनेस पर कोई अटैक होगा और न ही कंपनी की फाइनेंशियल्स पर बड़ा असर दिखेगा. कंपनी की बात में दम भी है, क्योंकि टॉरेंट का एक्सपोर्ट पोर्टफोलियो भारी है और मार्जिन इतने ऊंचे हैं कि ऐसे रेग्युलेटरी झटके आम तौर पर बैलेंस शीट को नहीं हिलाते.
पेनल्टी लगी क्यों
जीएसटी अफसरों का आरोप है कि टॉरेंट ने एक्सपोर्ट पर जीएसटी रिफंड लेते समय गलत क्लेम किया. सेक्शन 74 के तहत वही केस आता है जिसमें टैक्स गलती से कम जमा किया गया हो, या फिर क्लेम ज्यादा ले लिया गया हो. फार्मा एक्सपोर्ट में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर की वजह से इनपुट टैक्स क्रेडिट ज्यादा और आउटपुट टैक्स कम होता है, इसी वजह से रिफंड की प्रक्रिया बेहद तकनीकी और डॉक्यूमेंट से बोझिल हो जाती है. किसी भी इनवॉइस, बैच नंबर या डॉक्यूमेंट में मामूली गड़बड़ी भी ऑडिट का मौका बना देती है और टॉरेंट इसी पेंच में फंस गया. ये पहला मामला नहीं है. फरवरी में कंपनी पर 20.96 लाख का नोटिस आया था और अक्टूबर में एनपीपीए ने पांच दवाओं के ओवरप्राइसिंग पर 6.63 करोड़ की रिकवरी का ऑर्डर दिया था. इस बार की रकम जरूर बड़ी है, लेकिन पैटर्न वही दिख रहा है कि रेग्युलेटरी एजेंसियां अब फार्मा सेक्टर पर पहले से ज्यादा सख्ती दिखा रही हैं.
कंपनी का जवाब
टॉरेंट का आधिकारिक रुख बिलकुल शांत है. कंपनी कह रही है कि वो ऑर्डर को चुनौती देगी और इससे फाइनेंशियल्स पर कोई बड़ा इम्पैक्ट नहीं होगा. अगर अपील स्वीकार हो जाती है या स्टे मिल जाता है, तो पेनल्टी का असर अगले कई महीनों तक टल जाएगा.

कंपनी की Q2 की 591 करोड़ की प्रॉफिट वाली तिमाही को देखें तो ये पेनल्टी लगभग 2 प्रतिशत के आसपास बैठती है, यानी मार्जिन पर कोई बड़ी चोट नहीं. आज शेयरों में गिरावट जरूर दिखी लेकिन बहुत बड़ा प्रभाव नहीं दिखा. हालांकि, ऐसे मौकों पर रिटेल इन्वेस्टर तुरंत शेयरों से बाहर निकलने का प्रयास करते हैं इसलिए संभव है कि सोमवार को शुरुआती बाजार में यह शेयर नीचे गिर सकता है.
सेक्टर को क्या मैसेज मिल रहा है
इस केस का असर सिर्फ टॉरेंट तक सीमित नहीं है. पिछले एक साल में फार्मा सेक्टर में जीएसटी रिफंड्स की जांच काफी बढ़ी है. एक्सपोर्ट्स पर जीएसटी का ढांचा इतना जटिल है कि छोटी गलती पर भी पेनल्टी का जोखिम रहता है. सरकार ने इस साल अब तक 2.1 लाख करोड़ से ज्यादा रिफंड प्रोसेस किए हैं, और खतरा ये है कि कहीं क्लेम जरूरत से ज्यादा न दे दिए गए हों. यही कारण है कि टॉरेंट जैसा बड़ा खिलाड़ी भी जांच के घेरे में आता जा रहा है.
About the Author
जय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे…और पढ़ें


