AI Impact on Job : आईटी सचिव का कहना है कि आई निश्चित रूप से नौकरियों पर असर डालेगा, लेकिन भारत पर कम और पश्चिमी देशों पर ज्यादा. एआई नौकरियों के अवसर भी पैदा करेगा, जिसका फायदा भारत जैसे देशों को होने की पूरी उम्मीद है.
उन्होंने कहा कि भारत में दफ्तर वाली नौकरियों का अनुपात पश्चिमी देशों की तुलना में काफी कम है, जिससे दिमाग से किए जाने वाले कार्यों पर आधारित नौकरियों पर एआई से पड़ने वाला जोखिम सीमित रहता है. कृष्णन ने कहा कि भारत में अन्य नौकरियों की तुलना में दफ्तर वाली नौकरियों की संख्या कम है. लिहाजा ज्ञान-आधारित नौकरियों पर एआई का जोखिम उतना गंभीर नहीं है जितना अन्य देशों में है. इसके अलावा, दफ्तर वाले अधिकांश रोजगार स्टेम क्षेत्र में हैं, जो हमारे लिए अवसर भी पैदा करते हैं.
पहली बार आई ऐसी चुनौती
आईटी सचिव ने कहा कि एआई ऐसी पहली प्रौद्योगिकी है, जो मुख्य रूप से ज्ञान-आधारित कर्मचारियों और संज्ञानात्मक श्रम को प्रभावित करने की क्षमता रखती है. पहले की औद्योगिक और अन्य क्रांतियों में मशीनों ने मुख्य रूप से शारीरिक श्रम की जगह ली थी, न कि दिमाग से किए जाने वाले कार्यों को प्रतिस्थापित किया था. हालांकि, उन्होंने इस धारणा से असहमति जताई कि एआई निकट भविष्य में इंसानी कामगारों की जरूरत को पूरी तरह समाप्त कर देगा.
क्या खत्म हो जाएगी इंसानों की जरूरत
उन्होंने कहा कि एआई का वास्तविक असर मानवीय क्षमताओं को बढ़ाने में होगा, ताकि लोग अपने विश्लेषणपरक मानवीय कार्यों को अधिक कुशलता और उत्पादकता के साथ कर सकें. कृष्णन ने कहा कि मुझे व्यक्तिगत रूप से ऐसा नहीं लगता है कि हम इतनी जल्दी उस स्थिति में पहुंच जाएंगे, जहां श्रमिकों की जरूरत ही खत्म हो जाए. एआई मानव क्षमता को बढ़ाएगा, जिससे सोच-समझकर किए जाने वाले कार्यों में उत्पादकता बढ़ेगी और संसाधनों तक बेहतर पहुंच संभव होगी.
एआई हैलुसिनेशन बड़ी चुनौती
उन्होंने कहा कि एआई से गलत या भ्रामक जानकारी मिलना यानी ‘हैलुसिनेशन’ अब भी चुनौती बनी हुई है. ऐसे में एआई से तैयार सामग्री की निगरानी और सत्यापन के लिए मानवीय हस्तक्षेप की जरूरत लंबे समय तक बनी रहेगी. सचिव ने कहा कि यह देखना जरूरी है कि दी गई जानकारी सही है या नहीं और कहीं वह हैलुसिनेशन तो नहीं है. इसलिए इस प्रक्रिया में लंबे समय तक इंसानी मौजूदगी की जरूरत बनी रहेगी. आईटी सचिव ने बताया कि एआई प्रणालियों के संचालन के लिए जिस बड़े पैमाने की कंप्यूटिंग क्षमता और मॉडल निर्माण की जरूरत होती है, वह भी आमतौर पर छोटे लेकिन अत्यधिक कुशल पेशेवर समूहों द्वारा संभाली जाती है. यह प्रक्रिया भले ही पूंजी-प्रधान हो, लेकिन इसका रोजगार पर प्रभाव सीमित रहता है.
About the Author
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि…और पढ़ें
Discover more from HINDI NEWS BLOG
Subscribe to get the latest posts sent to your email.


