किशनगंज/गुवाहाटी. भारत के नक्शे में सिलीगुड़ी कॉरिडोर को दुनिया सिर्फ नाम से नहीं, महत्व से पहचानती है. यह जमीन ऐसा हिस्सा है जिसे अगर किसी ने रोक दिया, किसी ने छेड़ दिया या किसी ने कब्जाने की कोशिश की तो भारत के पूर्वोत्तर के सातों राज्यों पर खतरा हो सकता है. यही वजह है कि अब इस इलाके में फाइटर जेट उड़ते हैं, ड्रोन गश्त कर रहे हैं और सेना ने अपनी चाल बदल ली है.हाल के हफ्तों में इस क्षेत्र में तेजी से सैन्य मूवमेंट दर्ज किया गया है, जिसमें एयरबेस अलर्ट, ड्रोन निगरानी, राफेल फाइटर जेट्स की उड़ानें और थल सेना की हाई-इंटेंसिटी पैट्रोलिंग शामिल है. वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के मुताबिक यह बदलाव सामान्य निगरानी से आगे बढ़कर ‘स्ट्रैटेजिक शील्ड फॉर्मेशन’ की दिशा में है. विशेष तौर पर किशनगंज, बिशनपुर, चोपड़ा, सिक्किम और भूटान सीमा से लगे इलाकों में सेना की मौजूदगी और संसाधनों में तेज़ बढ़ोतरी देखी जा रही है.
नो रिस्क, सिर्फ स्ट्रॉन्ग रिस्पॉन्स
दरअसल, भारत ने पूर्वोत्तर के रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण इलाके सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) और उससे जुड़े सीमावर्ती राज्यों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत कर दिया है. यह कदम ऐसे समय में आया है जब पड़ोसी देशों-बांग्लादेश,
पाकिस्तान और चीन की हालिया गतिविधियों ने भारत की सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान खींचा है.दरअसल, हाल ही में इस कॉरिडोर पर संभावित अलर्ट के लिए पर्याप्त कारण सामने आए हैं क्योंकि ऐसी तीन घटनाएं एक साथ हुईं जिसने भारत सरकार को सतर्क रहने के लिए तत्पर कर दिया है.
भारत ने बदली अपनी सैन्य रणनीति
पहला तो बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता से उत्पन्न स्थिति है जो भारत के लिए चिंता का कारण बना है. वहीं पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों का सीमा के बेहद पास पहुंचना भी भारत के अलर्टनेस के लिए एक बड़ी वजह है. जबकि
चीन की डोकलाम में एक्टिविटी बढ़ना भी भारतीय थिंक टैंक के लिए टेंशन का सबब है. अगर ये तीनों बातें अलग-अलग होतीं तो शायद सिर्फ उतनी सतर्कता की जरूरत नहीं होती, लेकिन जब ये इकट्ठा होने लगे तो सुरक्षा एजेंसियों की फाइलों में एक शब्द लिखा जाता है- Maximum Strategic Alert यानी अधिकतम रणनीतिक सतर्कता… यही अभी सिलीगुड़ी के लिए लागू है.
सिलीगुड़ी कॉरिडोर में सेना, राफेल, ड्रोन और मल्टी-लेयर सुरक्षा बढ़ी. भारत ने बांग्लादेश, पाकिस्तान, चीन गतिविधियों पर सतर्कता तेज की है.
बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के बाद सतर्कता बढ़ी
बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक बदलाव और अस्थिर माहौल के बाद भारत ने सीमा इलाकों में सुरक्षा बढ़ाई है. इंटेलिजेंस इनपुट्स के अनुसार हाल के हफ्तों में अवैध आवाजाही, तस्करी और संदिग्ध गतिविधियों में वृद्धि दर्ज की गई है, खासकर मेघालय, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा की सीमा पर. इसी कारण
मेघालय के ईस्ट खासी हिल्स जिले में रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लागू कर दिया गया है. अधिकारियों के अनुसार यह फैसला सुरक्षा और सीमा निगरानी को मजबूत बनाने के उद्देश्य से लिया गया है.
पाकिस्तानी अधिकारियों की सीमा के पास मौजूदगी पर सवाल
खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक पाकिस्तान के कुछ वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने हाल ही में बांग्लादेश के रंगपुर क्षेत्र का दौरा किया है जो सिलीगुड़ी कॉरिडोर से दूरी में बहुत ज्यादा नहीं है. सुरक्षा एजेंसियों ने इसे सामान्य दौरा मानने से इनकार नहीं किया है, लेकिन इसकी टाइमिंग और लोकेशन को ध्यान में रखते हुए इसे ‘निगरानी योग्य गतिविधि’ माना जा रहा है.
चीन की डोकलाम में गतिविधियों पर भी भारत की नजर
2017 के डोकलाम विवाद के बाद से चीन लगातार उस क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण और सैन्य लॉजिस्टिक्स को मजबूत कर रहा है. सूत्र बताते हैं कि ताजा उपग्रह तस्वीरों में सड़क निर्माण और सैन्य तैनाती में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. डोकलाम की भौगोलिक स्थिति सिलीगुड़ी कॉरिडोर के समीप होने के कारण भारत इसे संवेदनशील मानता है और अपनी सतर्कता में कोई ढिलाई नहीं करना चाहता.
सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए किशनगंज में सेना की नई तैनाती.
भारत की बड़ी तैयारी, मल्टी-लेयर सुरक्षा और संकल्प
भारत ने कोई जोखिम नहीं लेने का फैसला किया है और सिलीगुड़ी में बहु-स्तरीय सुरक्षा लागू की गई है. जमीनी निगरानी, एयर डिफेंस (एस-400), राफेल फाइटर जेट्स, ब्रह्मोस मिसाइलें, ड्रोन और सैटेलाइट मॉनिटरिंग से सुरक्षा मजबूत हो चुका है. बिश्नुपुर,
किशनगंज और चोपड़ा में नई गैरिसन तैनात हैं. त्रिशक्ति कोर (सिलीगुड़ी स्थित) ने इंटेलिजेंस-सेना की संयुक्त बैठक में त्वरित कार्रवाई का फैसला लिया है. दूसरी ओर मेघालय कर्फ्यू में सीमा पार करने पर सेना को गोली चलाने का अधिकार है.
वायुसेना और सेना की गतिविधि बढ़ी
सूत्रों ने पुष्टि की है कि हाल के हफ्तों में भारतीय वायुसेना ने पूर्वोत्तर के कई एयरबेस पर हाई-इंटेंसिटी ट्रेनिंग और एयर पेट्रोलिंग बढ़ाई है. सिलीगुड़ी कॉरिडोर के आसपास- फाइटर एयर पेट्रोलिंग, ड्रोन सर्विलांस और मल्टी-टियर ग्राउंड सिक्योरिटी को सक्रिय किया गया है. सैन्य अधिकारियों के अनुसार यह रूटीन सुरक्षा प्रक्रिया है, लेकिन वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए इसे ‘स्ट्रेंथेन्ड सिक्योरिटी प्रोटोकॉल’ के रूप में लागू किया गया है.
भारत ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा सुदृढ़ कर दुश्मनों को चेताया.
अमेरिकी दिलचस्पी भी कारणों में शामिल
हाल ही में
अमेरिका ने पूर्वोत्तर क्षेत्र को एशिया की रणनीतिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण बताया था. भारत ने संकेत दिया है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में विदेशी सामरिक प्रभाव या उपस्थिति अस्वीकार्य होगी. यह स्टैंड मेघालय और सिलिगुड़ी कॉरिडोर में सुरक्षा तैयारियों के संदर्भ में भी देखा जा रहा है. पूर्वोत्तर में नो-फ्लाई जोन और अभ्यास बढ़े हैं और हमारे सैन्य अधिकारी साफ तौर पर करते हैं कि-सिलीगुड़ी कॉरिडोर अब हमारी कमजोरी नहीं, मजबूत रक्षा रेखा है.
बिना जोखिम के क्षेत्र में ताकतवर है भारत
सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, वर्तमान कदम किसी खतरे के जवाब में नहीं बल्कि ‘प्रिकॉशनरी और प्री-एम्पटिव सिक्योरिटी स्ट्रैटेजी’ का हिस्सा हैं. सेना कहती है कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर भारत की रणनीतिक कड़ी है. किसी भी बाहरी गतिविधि या अस्थिरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. सुरक्षा मजबूत की गई है, लेकिन स्थिति नियंत्रण में है. सेना और सुरक्षा एजेंसियों की भाषा में अब एक लाइन साफ सुनाई देती है- चिकन नेक अब भारत की कमजोरी नहीं, बल्कि वह जगह है जहां से भारत ताकत दिखाएगा.