
Khargone News: मध्य प्रदेश के खरगोन की धार्मिक नगरी महेश्वर के नर्मदा तट पर स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में इन दिनों भगवान की विशेष सेवा हो रही है. परंपरा के अनुसार ठंडे जल से स्नान के बाद भगवान अस्वस्थ हो गए हैं.

महेश्वर में भगवान के इलाज के लिए हिमालय की खास जड़ी-बूटियां मंगाई गई हैं. महंत हृदय गिरी ने बताया कि तुलसी, पारिजात, अश्वगंधा, गिलोय, नागकेसर, लेंडी पीपल जैसी करीब 15 औषधियों से आयुर्वेदिक काढ़ा बनाया जा रहा है. यह काढ़ा भगवान को रोज सुबह और शाम पिलाया जा रहा है.

भगवान को सिर्फ काढ़ा ही नहीं दिया जा रहा, बल्कि केसर-बादाम का दूध, ताजे फलों का रस और हल्का भोजन भी दिया जा रहा है. महंत का मानना है कि ये सभी चीजें शरीर को शक्ति देने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती हैं.

भगवान के शरीर पर मलयागिरि चंदन, मुल्तानी मिट्टी, शहद, कर्पूर, हल्दी, गुलाब जल और कस्तूरी से तैयार लेप लगाया जा रहा है. यह लेप भगवान को ठंडक देने के साथ-साथ शारीरिक ऊर्जा भी प्रदान करता है.

बता दें कि, 11 जून को भगवान स्नान पश्चात बीमार हो गए है. उपचार के चलते मंदिर के पट आगामी 15 दिनों के लिए बंद कर दिए गए हैं. फिलहाल भगवान अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विश्राम स्थल पर विराजित हैं. पूरी की तर्ज पर यह परंपरा हर साल महेश्वर में निभाई जाती है.

15 दिनों के उपचार के बाद मंदिर में 26 जून को ब्रह्म मुहूर्त में मंगला आरती के साथ भगवान के पट फिर से खोले जाएंगे. उस दिन भगवान का फिर से विधिवत पूजन होगा और वे अपने सिंहासन पर पुनः विराजमान होंगे.

भगवान के स्वस्थ होने के बाद 27 जून को महेश्वर नगर में भव्य रथयात्रा निकाली जाएगी. इसमें पूरे हजारों श्रद्धालु शामिल होंगे और भगवान के दर्शन करेंगे. रथयात्रा में पारंपरिक गीत-संगीत, ढोल-नगाड़े और भजन मंडलियां भी शामिल होंगी.

महंत हृदयगिरि महाराज का कहना है कि भगवान की सेवा करना भी एक तरह की पूजा है. जैसे बीमार व्यक्ति की सेवा करते हैं, वैसे ही भगवान की भी सेवा करनी चाहिए. सेवा के दौरान हर औषधि और लेप से पहले मंत्रों का जाप किया जाता है.

यह परंपरा हर साल स्नान पूर्णिमा पर निभाई जाती है. यह मान्यता है कि इस दिन भगवान स्नान के बाद अस्वस्थ हो जाते हैं और फिर 15 दिन तक उपचार के बाद रथयात्रा में निकलते हैं. इन 15 दिनों के दौरान मंदिर में दर्शन नहीं होते, लेकिन भक्त मंदिर के बाहर से भगवान की कुशलता की प्रार्थना करते हैं.
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