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आज (10 जून) और कल (11 जून) ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा है। इस तिथि पर संत कबीर की जयंती (11 जून) भी मनाई जाती है। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर व्रत-पूजा के साथ ही पितरों के लिए धूप-ध्यान भी करना चाहिए। जानिए पितरों के धूप-ध्यान की विधि और जरूरी चीजें…
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ज्येष्ठ पूर्णिमा पर किए गए पितरों के लिए किए गए धूप-ध्यान से पितरों को तृप्ति मिलती है और उनकी कृपा से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। पितरों के धूप-ध्यान के लिए दोपहर करीब 12 बजे का समय सबसे अच्छा माना जाता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर तीर्थ स्नान के साथ ही तर्पण और श्रद्धा अनुसार अन्न एवं जल दान किया जाता है। ऐसा करने से पितर देवता तृप्त होते हैं और घर-परिवार के सदस्यों को आशीर्वाद देते हैं।
ऐसे करें पितरों के लिए धूप-ध्यान
जरूरी चीजें – पीतल या तांबे की थाली, गाय के गोबर से बने कंडे, दीपक, जल, सफेद फूल, चावल, तिल, कुशा आसन, गुड़-घी।
पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठ जाएं। हाथ में जल लेकर संकल्प करें कि आप पितरों के लिए धूप-ध्यान कर रहे हैं। पितरों का ध्यान करते हुए दीपक जलाएं, फूल, चावल, तिल आदि पितरों का ध्यान करते हुए अर्पित करें। कंडे जलाएं और जब कंडों से धूआ निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़-घी अर्पित करें। हथेली में जल और काले तिल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को चढ़ाएं।
ऊँ पितृभ्यो नमः मंत्र का जप करें। अपने पूर्वजों का स्मरण करें। अंत में जाने-अनजाने गलतियों के लिए क्षमा मांगे।
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर करें ये शुभ काम
- ज्येष्ठ पूर्णिमा पर वट वृक्ष की पूजा करने की परंपरा है। इस तिथि पर सत्यवान और सावित्री की कथा पढ़ी-सुनी जाती है।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
- भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
- किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें।
- किसी तालाब में मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं।
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