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JEE एड्वांस में ऑल इंडिया रैंक 8 हासिल करने वाले देवेश भईया ने IIT न जाने का फैसला किया है। इसी तरह AIR 5 हासिल करने वाले उज्जवल केसरी को भी IIT जाने में कोई इंट्रेस्ट नहीं है। तो आखिर वो करना क्या चाहते हैं?
दरअसल, देवेश ने कैंब्रिज की मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी MIT को चुना है। वहीं उज्जवल केसरी IISC यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू जाना चाहते हैं।
पहले भी कई टॉपर्स IIT छोड़ चुके हैं
पिछले साल ऑल इंडिया रैंक 1 पाने वाले वेद लाहोती ने IIT बॉम्बे में एडमिशन लिया था। JEE एड्वांस के इतिहास में वेद को सबसे ज्यादा 360 में से 352 अंक मिले थे। एडमिशन के एक साल बाद ही वेद IIT-B छोड़कर फुली-फंडेड स्कॉलरशिप पर MIT जा रहे हैं।
साल 2020 में AIR 1 हासिल करने वाले चिराग फैलोर IIT नहीं MIT गए थे। साल 2014 के टॉप स्कोरर चित्रांग मुर्दिया ने IIT, बॉम्बे छोड़ MIT में एडमिशन लिया। इसके बाद UC बर्कली से उन्होंने PhD भी की।
‘IITs में रिसर्च के मौकों की कमी’
IIT छोड़ विदेशी यूनिवर्सिटीज चुनने वाले टॉप स्कोरर्स का कहना है कि IITs में रिसर्च के मौकों की कमी है। वेद लाहोती कहते हैं, ‘मैं IIT-B से खुश था लेकिन वहां रिसर्च की कमी थी। अतर्राष्ट्रीय स्तर की बात करें तो वो टॉप 100 में भी नहीं है। इसलिए मैंने MIT के लिए अप्लाई कर दिया। मुझसे पहले IIT से जो स्टूडेंट्स MIT गए हैं, उन्होंने इसे अच्छा बताया है।’
रिसर्च के मामले में वर्ल्ड रैंकिंग में पिछड़ा भारत
कई ओलंपियाड्स में मेडल्स जीतने और JEE जैसे एग्जाम्स के टॉप स्कोरर्स रिसर्च करना चाहते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि MIT की नजर ऐसे स्टूडेंट्स पर रहती है और वहां आसानी से इस तरह के स्टूडेंट्स को एडमिशन मिल जाता है। स्टूडेंट्स के IIT को न चुनने के पीछे सबसे बड़ी वजह यही है कि वो रिसर्च की फील्ड में आगे बढ़ना चाहते हैं।
QS वर्ल्ड रैंकिंग में भी यही सामने आता है कि रिसर्च के मामले में IITs पिछड़ गए हैं। इसके अनुसार टॉप 100 में भारत की एक भी यूनिवर्सिटी नहीं है। वहीं MIT पहले नंबर पर है।

IISc की रिसर्च ज्यादा भरोसेमंद
एकेडमिक रेप्यूटेशन और सायटेशंस पर फैकल्टी किसी शिक्षण संस्था में रिसर्च और डिस्कवरी को मापने के पैरामीटर्स हैं। QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग जैसी लिस्ट इन्हीं के आधार पर तैयार की जाती है।
- एकेडमिक रेप्यूटेशन- यूनिवर्सिटी के बारे में यूनिवर्सिटी से बाहर के प्रोफेसर्स, स्कॉलर्स, रिसर्चर्स और स्टूडेंट्स क्या सोचते हैं, उसका सर्वे इसमें शामिल किया जाता है।
- सायटेशंस पर फैकल्टी- यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर्स और रिसर्चर्स द्वारा की गई रिसर्च का रेफ्रेंस बाहर के एकेडमिक्स कितनी बार इस्तेमाल करते हैं, उसे सायटेशंस पर फैकल्टी कहते हैं।
इस साल JEE एड्वांस में 5वीं रैंक हासिल करने वाले उज्जवल केसरी IISc, बेंगलुरू जाना चाहते हैं जबकि IITB और IIT दिल्ली की रैंक उससे बेहतर है। इसकी वजह वहां की रिसर्च हो सकती है। दरअसल, सायटेशंस पर फैकल्टी के मामले में IISc को 99.9 अंक मिले है। वहीं IITB और IIT दिल्ली को इसमें 80 से भी कम अंक मिले है। इससे साफ है कि दुनियाभर में IISc में की गई रिसर्च को रेफ्रेंस के रूप में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है यानी लोग IISc की रिसर्च पर ज्यादा भरोसा करते हैं।

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