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इस साल पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा में सेवक के अलावा अन्य के रथ पर चढ़ने पर प्रतिबंध रहेगा। अगर कोई व्यक्ति रथ पर चढ़ता है तो ओडिशा सरकार उस पर सख्त कानूनी कार्रवाई करेगी।
रथ पर मोबाइल इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध रहेगा। सेवक रथ पर मोबाइल नहीं ले जा सकेंगे। राज्य के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने रविवार को यह जानकारी दी।
अनुशासन बनाए रखने के लिए सरकार ने पूरी रथ यात्रा के दौरान अनुष्ठान करने वाले नामित सेवकों की सूची भी मांगी है।
एआई-इनेबल्ड CCTV कैमरे लगेंगे, कमांड-कंट्रोल सेंटर बनेगा

पुलिस महानिदेशक (DGP) योगेश बहादुर खुरानिया ने रविवार को रथ यात्रा के लिए सुरक्षा समीक्षा बैठक की। DGP ने कहा कि भुवनेश्वर के पास उत्तरा स्क्वायर को पुरी से जोड़ने वाली सड़क और पुरी-कोणार्क रोड पर CCTV कैमरे लगाए जा रहे हैं।
DGP ने बताया कि भीड़ और ट्रैफिक पर नजर रखने के लिए इंटिग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर बनाया जाएगा। रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए पुरी के अहम जगहों पर एआई-इनेबल्ड CCTV कैमरे लगाए जा रहे हैं।
रैपिड एक्शन फोर्स, सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (CISF) और विशेष एजेंसियों को भी पुरी में तैनात किया जाएगा। यात्रा के दौरान पुरी में ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम भी तैनात किए जाएंगे।
उधर राज्य के मुख्य सचिव मनोज आहूजा ने रविवार को पुरी का दौरा किया और रथों के निर्माण का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि रथ निर्माण तय समय के अनुसार चल रहा है।

तस्वीर साल 2023 की पुरी जगन्नाथ यात्रा की है। हर साल बलभद्र, सुभद्रा और जगन्नाथ की प्रतिमाओं को रथ में बैठाकर उनकी मौसी के घर गुंडीचा मंदिर ले जाया जाता है।
रथ बनाने वाले कारीगर एक टाइम भोजन करते हैं पुरी में भगवान जगन्नाथ की यात्रा के लिए रथ तैयार करने वाले सैकड़ों कारीगर दिन में केवल एक बार भोजन करते हैं। उनके भोजन में प्याज-लहसुन भी नहीं होता है। ऐसा रथ बनने निर्माण पूरा होने तक चलता है। इन कारीगरों को ‘भोई’ कहा जाता है।
रथ निर्माण कार्यशाला जगन्नाथ मंदिर के मुख्य द्वार से सिर्फ 70-80 मीटर दूर है। दैनिक भास्कर से बातचीत में भोइयों के मुखिया रवि भोई ने बताया- हम दिन में फल या हल्का-फुल्का कुछ खा लेते हैं। काम खत्म करने के बाद मंदिर की ओर से महाप्रसाद मिलता है।
उन्होंने बताया कि हम उमस और 35-40 डिग्री की तपती धूप में हर दिन 12 से 14 घंटे काम कर रहे हैं। आलस न आए और हम बीमार न पड़ें इसलिए सख्त दिनचर्या का पालन करते हैं।

800 साल से 20 इंच की ‘जादू की छड़ी’ से बन रहा रथ भगवान जगन्नाथ के रथ का नाम नंदी घोष या गरुड़ ध्वज, उनके बड़े भाई बलभद्र जी के रथ का नाम ताल ध्वज और बहन सुभद्रा के रथ को दर्प दलन कहते हैं। इन्हें लकड़ी के 812 टुकड़ों से बनाया जा रहा है।
नंदी घोष रथ के मुख्य विश्वकर्मा विजय महापात्र बताते हैं कि तीनों रथ अत्याधुनिक औजार से नहीं, बल्कि 20 इंच के लकड़ी के डंडे से नाप लेकर बनते हैं। यह 800 साल पुरानी परंपरा है। इस डंडे में तीन अंगुल, चार अंगुल और आधा अंगुल के मार्क हैं।
दर्प दलन रथ के मुख्य विश्वकर्मा कृष्ण चंद्र महाराणा ने बताया कि इस छोटी सी लकड़ी को रथ बनाने के लिए आई लकड़ियों के ऊपर रखकर नाप लेते हैं। पहिया, ध्वज, सीढ़ियां, दीवारों की लकड़ी के नाप अंगुलियों से तय हैं। हम इसे जादू की छड़ी कहते हैं, क्योंकि इससे आज तक एक इंच भी इधर से उधर नहीं हुआ।
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जगन्नाथ पुरी में स्नान पूर्णिमा- सोने के 108 घड़ों से स्नान करते हैं भगवान, फिर 15 दिन बीमार रहते हैं

ओडिशा के जगन्नाथ पुरी में भगवान जगन्नाथ हर साल ज्येष्ठ पूर्णिमा पर अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ श्री मंदिर में भक्तों के सामने स्नान करते हैं। पूरे साल में सिर्फ इसी दिन भगवान जगन्नाथ को मंदिर में ही बने सोने के कुएं के पानी से नहलाया जाता है, इसलिए इसे स्नान पूर्णिमा कहते हैं।
स्नान के बाद भगवान बीमार हो जाते हैं और 15 दिन तक दर्शन नहीं देते। 16वें दिन नवयौवन श्रंगार के साथ दर्शन देते हैं। उसके अगले दिन रथयात्रा होती है। भगवान गुंडीचा मंदिर अपनी मौसी के यहां जाते हैं। पूरी खबर पढ़ें…
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