
Iran-China Secret Deal: 2025 की शुरुआत में एक रहस्यमयी घटनाक्रम ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों की नींद उड़ा दी. दो ईरानी जहाज-गोल्बन और जयरान-चुपचाप चीन के ताइकांग बंदरगाह से रवाना हुए और तीन सप्ताह बाद ईरान के बंदर अब्बास पोर्ट पर आकर लंगर डाला. जहाजों पर लदे थे 1,000 टन ऐसे रासायनिक पदार्थ, जिनका इस्तेमाल युद्ध के मैदान में तबाही मचाने वाले हथियारों के निर्माण में होता है. शुरू में इसे आम औद्योगिक शिपमेंट माना गया, लेकिन जैसे-जैसे परतें खुलीं, दुनिया को एहसास हुआ कि यह खेप महज सामान नहीं-बल्कि भविष्य के युद्धों का ईंधन है.
चीन से 1,000 टन सोडियम परक्लोरेट ईरान पहुंचा
फरवरी और मार्च 2025 में चीन से भेजे गए इस रसायन को लेकर रिपोर्ट्स में कहा गया कि इससे 1,300 टन सॉलिड रॉकेट प्रोपेलेंट तैयार हो सकता है. यह मात्रा 260 मध्यम दूरी की मिसाइलें-जैसे कि खैबर शेकन और हाज कासेम-बनाने के लिए पर्याप्त है. ये वही मिसाइलें हैं जिनका इस्तेमाल हाल के महीनों में इजराइल पर किए गए हमलों में हुआ था.
IRGC के लिए शिपमेंट, अमेरिकी प्रतिबंधों की अनदेखी
यह पूरा ऑपरेशन इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के लिए किया गया, जो ईरान की सबसे शक्तिशाली सैन्य इकाई मानी जाती है. दोनों जहाज ईरान की IRISL कंपनी से जुड़े थे, जो पहले से ही अमेरिकी प्रतिबंधों के तहत है. रिपोर्ट में बताया गया कि गोल्बन जहाज पर 34 कंटेनर और जयरान पर 24 कंटेनर लदे थे.
वॉल स्ट्रीट जर्नल का बड़ा खुलासा
5 जून को वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि ईरान की एक निजी कंपनी ने हांगकांग की एक चीनी फर्म से अमोनियम परक्लोरेट का भारी ऑर्डर दिया है. इससे 800 बैलिस्टिक मिसाइलों का ईंधन तैयार किया जा सकता है. यह डील ऐसे समय पर हुई है जब ईरान क्षेत्रीय संघर्षों में बार-बार अपने प्रॉक्सी गुटों के ज़रिए मिसाइल हमले कर रहा है.
शहीद रजाई पोर्ट पर विस्फोट और भविष्य की आशंका
अप्रैल 2025 में ईरान के शहीद रजाई पोर्ट पर एक बड़ा विस्फोट हुआ था, जिसमें कई लोगों की मौत हुई. रिपोर्ट में इस धमाके को उसी केमिकल शिपमेंट से जोड़ा जा रहा है. अमेरिका पहले ही ईरान को मिसाइल तकनीक देने वालों पर प्रतिबंध लगा चुका है, लेकिन यह आपूर्ति दिखाती है कि ईरान अब भी बैलिस्टिक ताकत को गुपचुप तरीके से बढ़ा रहा है.
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