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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का राज भारतीय स्टूडेंट्स पर भारी पड़ रहा है। स्टूडेंट वीजा में सख्ती और डिपोर्ट किए जाने का खतरा बढ़ रहा है। हालात पहले जैसे नहीं रहे हैं। भारतीय स्टूडेंट्स का अमेरिकन ड्रीम अधर में हैं।
अंतरराष्ट्रीय छात्रों, खासकर भारतीयों के लिए सोशल मीडिया की निगरानी, हिरासत और वीसा रद्द करने की घटनाएं आम हो गई हैं। दैनिक भास्कर ने अमेरिका की 12 यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे 25 से ज्यादा भारतीय छात्रों से बातचीत कर हालात जाने। उनके दिल-दिमाग में डर और अनिश्चितता छाया हुआ है।
अमेरिका में अभी लगभग सवा चार लाख भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। अमेरिका में विदेशी छात्रों में भारतीयों की संख्या सबसे अधिक है।
इसलिए भारतीय छात्र को अमेरिका के शिक्षण संस्थानों का लाइव वायर कहा जाता है। कुछ भारतीय छात्र मानते हैं कि यह अस्थायी दौर है, लेकिन ज्यादातर का भरोसा टूट रहा है।

छात्रों का कहना है कि मेंटल स्ट्रेस के कारण पढ़ाई में भी दिमाग नहीं लग रहा है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
छात्र 1- घर जाना टाला, क्योंकि एंट्री नहीं मिलने का डर
मैं पिछले साल ही अमेरिका में मास्टर्स के लिए आया था। इस साल के समर वैकेशन शुरू होने पर यूपी में रहने वाले मेरे परिवार वालों ने आने के लिए मनुहार की। लेकिन मेरी क्लास के कुछ विदेशी छात्रों के साथ ऐसा हुआ कि वे पश्चिम एशिया के देशों में अपने घर गए लेकिन उन्हें फिर अमेरिका में एंट्री नहीं मिली। मुझे भी डर है कि भारत से फिर एंट्री नहीं मिली तो मेरा कोर्स अधूरा रह जाएगा। इसलिए मैंने परिवार वालों को मना कर दिया। -कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के सादिक अहमद (बदला हुआ नाम)
छात्र 2- सोशल मीडिया साइलेंस का पालन कर रहे छात्र
किसी भी सोशल मीडिया पोस्ट पर रिएक्ट करना अमेरिका से डिपोर्टेशन का कारण बन सकता है। हमारे हॉस्टल में रहने वाले कुछ छात्रों को आईसीई की टीम उठाकर ले गई।
बाद में पता चला कि उन्हें सोशल मीडिया पोस्ट पर रिएक्ट करने जैसे लाइक या रीपोस्ट करने पर एजेंसियों ने पकड़ा था। अब भारतीय छात्र सोशल मीडिया साइलेंस का पालन कर रहे हैं।
कुछ ने तो अपने सोशल मीडिया अकाउंट भी बंद कर दिए हैं। अमेरिकी एजेंसियां नजर रख रही हैं।
-कोलंबिया यूनिवर्सिटी के आकाशदीप (बदला हुआ नाम)
छात्र 3- पैरेंट्स लोन भर रहे, पर यहां जॉब अब तय नहीं
पैरेंट्स ने 50 लाख रुपए का लोन लेकर अमेरिका भेजा है। दो साल से मैं यहां पार्ट टाइम जॉब करके खर्च खुद निकाल रही थी। लोन ईएमआई चुकाने में भी पैरेंट्स की मदद कर रही थी। लेकिन अब पांच महीने से मैंने पार्ट टाइम जॉब करना बंद कर दिया है। क्योंकि मैं पिछले दिनों सुपर मार्केट में काम कर रही थी, तभी कुछ श्वेत युवकों ने मुझ पर गैरकानूनी प्रवासी होने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि आईसीई यूनिट को शिकायत कर देंगे। मैं ऐसे किसी झंझट में नहीं पड़ना चाहती हूं। मुझे यहां अपनी पढ़ाई पूरी करनी है। मैं सोच में पड़ गई हूं कि अमेरिका में और दो साल कैसे काट पाऊंगी। कैसे-कैसे सपने लेकर यहां आई थी, कभी सोचा भी नहीं था अमेरिका ऐसा बन जाएगा।
-स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी की मेघना (बदला हुआ नाम)
छात्र 4- उम्मीद है हालात बदलेंगे, यहां बदलाव का दौर
भारतीय छात्रों के लिए अमेरिका में पढ़ाई करने का सपना अभी टूटा नहीं है। ये अमेरिका के लिए भी बदलाव का दौर है। वीसा में सख्ती करने में कोई बुराई नहीं है। छात्र अमेरिका की यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए आएं, प्रदर्शन करने के लिए नहीं। कानून मानने वाले छात्र बेखौफ रहें।
-टैक्सस यूनिवर्सिटी के अखिल कुमार (बदला हुआ नाम)
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