
Indian Currency Value: भारतीय रुपये के अगर वैल्यू की बात करें तो हाल में इजरायल और ईरान तनाव की वजह से जरूर इसकी कीमत में पिछले कुछ दिनों में गिरावट देखने को मिली है. बुधवार को अमेरिकी डॉलर की तुलना में भारतीय करेंसी में 13 पैसे तो वहीं मंगलवार को 30 पैसे की गिरावट आयी. लेकिन आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि दुनियाभर के 26 देशों में भारतीय रुपये का जलवा बरकरार है, जिनमें यूरोपीय देश से लेकर एशियाई देश तक शामिल है. इसमें ईरान के रियाल से लेकर लेबनान पाउंड और वियतनाम का डोंग भी रुपये का सलाम ठोकता हुआ नजर आ रहा है.
भारतीय रुपये का जलवा
अब आइये विस्तार से जानते हैं है कि भारती करेंसी की कहां पर क्या कीमत है. सबसे पहले बात करते हैं ईरान की. यहां पर एक भारतीय रुपया 487.464192 ईरानी रियाल के बराबर है. इसी तरह से एक रुपया 1036.07 लेबनानी पाउंड की वैल्यू के बराबर है. यानी भारतीय रुपये के मुकाबले लेबनानी पाउंड की हालत काफी ज्यादा खराब है.
इसके अलावा, वियतनाम में भी भारतीय रुपया काफी मजबूत स्थिति में है, जहां पर एक रुपया 301.97 वियतनामी डोंग के बराबर है. इंडोनेशिया में भी भारतीय रुपये का जलवा बरकरार है. यहां पर एक भारतीय रुपया 188.027326 इंडोनेशियाई रुपिया के बराबर है. इसी तरह से एक भारतीय रुपया के बराबर 92.30 परागुआयन गुआरानी, 47.418696 कोलंबियाई पेसो, 17.89 नाइजीरियाई नायरा, 15.909256 दक्षिण कोरियाई वोन, 15.15 इराकी दिनार, 13.459343 अर्जेंटीनो पेसो, 10.897184 चिली पेसो है.
पाकिस्तान से जापान तक रुपये की मजबूती
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के साथ भले ही भारत के संबंध अच्छे नहीं हो, लेकिन वहां पर एक भारतीय रुपया 3.276847 पाकिस्तान रुपये के बराबर है. जबकि एक रुपया जापान में जाकर 1.675601 जापानी येन में जाकर कन्वर्ट हो जाता है. नेपाल में एक रुपया के बराबर 1.600750 नेपाली करेंसी हो जाता है. जबकि 1.41 बांग्लादेशी टका हो जाता है. यानी यहां पर ये कहा जा सकता है कि बांग्लादेश के मुकाबले पाकिस्तानी करेंसी की हालत जरूर कुछ बेहतर है.
मिराए एसेट शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी की मानें तो उनका ये कहना है कि वैश्विक बाजारों में जोखिम से बचने की धारणा और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंता से रुपया नकारात्मक रुख के साथ कारोबार करेगा. उन्होंने आगे कहा कि वेस्ट एशिया में बढ़ते तनाव का असर रुपये पर पड़ सकता है.हालांकि तनाव में किसी भी तरह की कमी से वैश्विक जोखिम वाली परिसंपत्तियों में सुधार देखने को मिल सकता है.
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