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भारतीय मूल के अमेरिकी नेता जोहरान ममदानी डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से मेयर उम्मीदवार बनने की रेस में आगे निकल गए हैं। 33 साल के ममदानी ने मंगलवार रात न्यूयॉर्क टाउन के मेयर पद के लिए डेमोक्रेटिक प्राइमरी चुनाव में पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो को हराकर बढ़त बना ली है।
प्राइमरी चुनाव का अंतिम परिणाम जुलाई में रैंक्ड‑चॉइस की अंतिम गिनती के बाद आएगा। हालांकि, जोहरान का डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से मेयर उम्मीदवार बनना लगभग तय है। नवंबर में मेयर पद के जनरल चुनाव में भी उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है।
जोहरान ममदानी भारतीय-अमेरिकी फिल्ममेकर मीरा नायर के बेटे हैं। ममदानी का जन्म युगांडा में हुआ, लेकिन अमेरिका में पले-बढ़े है। अगर ममदानी मेयर चुनाव जीतते हैं, तो वे न्यूयॉर्क टाउन के इतिहास में पहले मुस्लिम, भारतीय मूल के मेयर बन जाएंगे।
2018 में जोहरान को अमेरिका की नागरिकता मिली थी जोहरान की मां मीरा नायर भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक और हिंदू वंशज की हैं। उनके पिता महमूद ममदानी भारतीय मूल के युगांडा नागरिक और मुस्लिम हैं। महमूद कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं।जोहरान का जन्म 18 अक्टूबर 1991 को युगांडा के कंपाला में हुआ था।
जब वे पांच साल के थे, तब उनका परिवार दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन चले गए। जब ममदानी सात साल के थे, तब परिवार न्यूयॉर्क शिफ्ट हो गया। जोहरान ने 2014 में मेन के बोडोइन कॉलेज से अफ्रीकाना स्टडीज में स्नातक की ली थी।
इस साल की शुरुआत में जोहरान ने 27 साल की सीरियाई आर्टिस्ट रामा दुवाजी से शादी की। रामा एक इलस्ट्रेटर और एनिमेटर हैं। उनका काम द न्यू यॉर्कर, द वॉशिंगटन पोस्ट और वाइस जैसे बड़े पब्लिकेशन में छप चुका है।

मां मीरा, पत्नी रामा और पिता महमूद (बाएं से दाएं) के साथ जोहरान ममदानी।
2020 में पहली बार न्यूयॉर्क असेंबली के लिए चुने गए कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 2018 में जोहरान को अमेरिका की नागरिकता मिल गई। उन्होंने क्वींस और ब्रुकलिन में डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों के लिए काम करके राजनीति सीखी।
दो साल बाद, 2020 में वे पहली बार न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली के चुनाव में क्वींस के एस्टोरिया से जीते थे। वे क्वींस के एस्टोरिया और आसपास के इलाकों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
एक डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट के तौर पर उन्होंने एक पायलट प्रोग्राम शुरू किया है। इस प्रोग्राम के तहत शहर की कुछ बसें एक साल के लिए मुफ्त कर दी गई हैं। उन्होंने एक कानून भी प्रस्तावित किया है। इस कानून के तहत गैर-लाभकारी संस्थाओं को इजराइली बस्तियों का समर्थन करने से रोका जाएगा।
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