
चौबे का ये आरोप हाल ही में एएफसी एशियाई कप क्वालिफाइंग दौर के मैच में हांगकांग से भारत की चौंकाने वाली हार के बाद भूटिया द्वारा एआईएफएफ प्रमुख के पद से इस्तीफा मांगने के जवाब में था। भूटिया ने कहा था कि चौबे ने भारतीय फुटबॉल को नष्ट कर दिया है। चौबे से जब भूटिया की टिप्पणियों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह अपने नाम से एक व्यावसायिक फुटबॉल स्कूल चलाते हैं। वह 20 अलग अलग शहरों में हैं। इस फुटबॉल स्कूल में खिलाड़ी 1000 से एक लाख रुपये तक का भुगतान करते हैं। उनसे एक हजार से 10000 रुपये तक महीना लिया जाता है।
चौबे बाईचुंग भूटिया फुटबॉल स्कूल का जिक्र कर रहे थे जिसकी देश भर में कई अकादमियां हैं। एआईएफएफ अध्यक्ष ने कहा कि ये पूरी तरह से निहित स्वार्थ है पूरी तरह से व्यावसायिक है। वे परिवारों की भावनाओं, लोगों की भावनाओं के साथ खेलकर अनुचित लाभ उठा रहे हैं। लोग सोचते हैं कि उस व्यक्ति ने भारतीय फुटबॉल के उच्चतम स्तर पर पहुंच बनाई है और अगर मैं उनकी अकादमी का हिस्सा बन सकता हूं तो मैं भी एक फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में अपना जीवन बना सकता हूं।
वहीं भूटिया ने चौबे के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि चौबे को इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि अकादमी कैसे चलाई जाती है। उन्होंने कहा है कि उन्होंने अपने फुटबॉल स्कूल अपनी मेहनत की कमाई से खोले हैं। भूटिया ने सिक्किम से पीटीआई से कहा कि, चौबे ऐसे व्यक्ति हैं जिनके पास जानकारी का आभाव है। वह बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। उन्हें फुटबॉल अकादमी के बारे में कुछ भी नहीं पता। मैंने 14 साल पहले अपनी मेहनत की कमाई से फुटबॉल स्कूल खोले हैं। राज्यों, केंद्र और कॉरपोरेट्स से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिली।
साथ ही उन्होंने कहा कि, पिछले दो सालों में बच्चों की मदद के लिए केवल कुछ ही प्रायोजक आए हैं। देश भर में मेरे स्कूलों में हर दिन 6000 से ज्यादा बच्चे खेलते हैं। एआईएफएफ भी ऐसा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि, वह फीस की बात कर रहे हैं लेकिन मेरे स्कूलों में 150 योग्य कोच और उनके द्वारा इस्तमेला किए जा रहे मैदानों का खर्च कौन उठाएगा, कोई भी मुझे वित्तीय रूप से मदद नहीं कर रहा है। अकादमी चलाने के लिए मुझे फीस तो लेनी ही होगी। लेकिन मुझे नहीं पता कि वह कहां से 10000 रुपये प्रति बच्चा प्रति माह की फीस की बात कर रहे हैं हम इतना शुल्क नहीं लेते हैं।
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