

भारतीय वायुसेना एक बार फिर फर्स्ट रिस्पांडर की भूमिका निभाते हुए संकट के इस समय में न सिर्फ देशवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है। बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही है। भारतीय वायुसेना का ये कदम दर्शाता है कि जब भी दुनिया में कहीं संकट आता है, भारत पीछे नहीं हटता और सबसे पहले मदद के लिए पहुंचता है। इसे देखा भी जा सकता है। जिस दिन से ईरान और इजरायल के बीच माहौल बिगड़ा। उसके बाद से ही लगातार उस क्षेत्र में फंसे भारतीयों को निकाला जा रहा है।
इजरायल से भारतीयों की वापसी लगातार जारी है। ऑपरेशन सिंधु के तहत ये वापसी हो रही है। इजराइल से बाहर निकाले गए 443 भारतीय नागरिकों का दूसरा जत्था सोमवार को 175 और 268 लोगों के दो समूहों में जॉर्डन और मिस्र के रास्ते स्वदेश के लिए रवाना हुए। इसी के साथ युद्धग्रस्त देश से दो दिनों में निकाले गए भारतीयों की कुल संख्या 603 हो गई है। जॉर्डन के लिए 160 लोगों का पहला जत्था रविवार को रवाना हुआ था जहां से वे आज स्थानीय समयानुसार दोपहर 2:15 बजे विमान में सवार हुए। यह जानकारी विमान पर सवार एक व्यक्ति ने प्रस्थान से पहले ‘पीटीआई-भाषा’ को दी। इजराइल की सीमा पार करने वाले 443 लोग सोमवार को जॉर्डन और मिस्र से उन दो अलग-अलग विमानों में सवार होंगे जिनका प्रबंध विदेश मंत्रालय ने उन देशों में भारतीय मिशनों के समन्वय से किया है।
नयी दिल्ली और तीनों मिशनों के बीच जटिल और समन्वित प्रयास ने इजराइल में भारतीयों को बड़ी राहत दी है, जो लगातार गूंजते सायरन से जूझ रहे थे और ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमले से बचने के लिए अक्सर बंकरों और सुरक्षित कमरों में शरण ले रहे थे। स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए तेल अवीव में भारतीय दूतावास ने निकासी प्रयास के सभी पहलुओं की देखरेख के लिए पिछले सप्ताह सातों दिन 24 घंटे काम करने वाला एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया था। नियंत्रण कक्ष ने बदलती स्थिति के अनुसार सलाह जारी कर, भारतीय नागरिकों को एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण करने का निर्देश दिया और पूरे इजराइल में भारतीय नागरिकों की विस्तृत जानकारी जुटाई और हजारों फोन कॉल और ईमेल का जवाब दिया।
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