
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइदोंग के साथ बातचीत की और इस दौरान दोनों पक्षों ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा एवं जन-केंद्रित सहभागिता को प्राथमिकता देते हुए संबंधों को ‘‘स्थिर और पुन:निर्मित’’ करने पर सहमति व्यक्त की। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को हुई इस बैठक के बारे में बताया है कि दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच सीधी हवाई सेवाएं फिर से शुरू करने के लिए आवश्यक उपायों में तेजी लाने पर भी सहमति जताई। मिसरी ने इससे पहले 27 जनवरी को बीजिंग में सुन के साथ बातचीत की थी। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि सुन 12-13 जून को भारत की यात्रा पर यहां आए हैं। हम आपको बता दें कि सुन वेइदोंग भारत में चीन के पूर्व राजदूत और दक्षिण एशिया मामलों के लिए बीजिंग के प्रभारी हैं। अप्रैल में हुए पहलगाम आतंकी हमले और मई में भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष के बाद, यह चीन के किसी उच्चस्तरीय अधिकारी की पहली भारत यात्रा है।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि बैठक के दौरान ‘‘दोनों पक्षों ने 27 जनवरी, 2025 को बीजिंग में अपनी पिछली बैठक के बाद से भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में हुए विकास की समीक्षा की और लोगों को ध्यान में रखते हुए संबंधों को स्थिर बनाने और उनका पुनर्निर्माण करने पर सहमति जताई।’’ विदेश सचिव ने इस साल कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने में चीनी पक्ष के सहयोग की सराहना की। विदेश मंत्रालय ने कहा कि उन्होंने सीमा पार नदियों को लेकर सहयोग के लिए विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र की अप्रैल में बैठक के दौरान हुई चर्चा का उल्लेख किया और इस पर प्रगति की उम्मीद जताई। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच सीधी हवाई सेवाओं को फिर से शुरू करने संबंधी कदमों में तेजी लाने पर सहमति जताई। विदेश सचिव ने एक नए हवाई सेवा समझौते के जल्द ही संपन्न होने की उम्मीद जताई।’’ भारत और चीन ने वीजा सुविधा और मीडिया एवं ‘थिंक-टैंक’ के बीच आदान-प्रदान के लिए ‘‘व्यावहारिक कदम’’ उठाने पर भी सहमति जताई। बयान में कहा गया कि ‘‘दोनों पक्षों ने भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ के तहत नियोजित गतिविधियों का सकारात्मक तरीके से मूल्यांकन किया और इन्हें पूरा करने पर सहमति जताई।”
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हम आपको यह भी बता दें कि चीन ने दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर भारत के साथ बातचीत का संकेत देते हुए कहा है कि वह औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर रखने के लिए संबंधित देशों के साथ बातचीत और सहयोग बढ़ाने को तैयार है। हम आपको बता दें कि चीन ने प्रमुख दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर हाल में प्रतिबंध लगा दिए हैं। इस वजह से भारत सहित कई देशों में वाहन एवं सेमीकंडक्टर चिप के निर्माण में व्यापक व्यवधान उत्पन्न हुआ है। इस बारे में चीनी विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, ‘‘हम वैश्विक औद्योगिक और आपूर्ति श्रृंखलाओं की स्थिरता को संयुक्त रूप से बनाए रखने के लिए संबंधित देशों और क्षेत्रों के साथ बातचीत और सहयोग बढ़ाने को तैयार हैं।’’
हम आपको बता दें कि चीन के पास दुर्लभ पृथ्वी खनिजों का एकाधिकार है लिहाजा निर्यात पर पाबंदी लगाने से वाहन एवं अन्य उद्योगों में दुर्लभ धातुओं की कमी हो गई है। इसे लेकर उद्योग जगत ने चिंताएं जताई हैं। वहीं, नयी दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह व्यापार के लिए आपूर्ति श्रृंखला को लेकर अंतरराष्ट्रीय चलन के अनुरूप स्थिरता एवं विश्वसनीयता लाने के लिए चीनी पक्ष के संपर्क में है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक प्रश्न के उत्तर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम चीनी पक्ष के संपर्क में हैं। चीनी वाणिज्य मंत्रालय और सीमा शुल्क के सामान्य प्रशासन ने अप्रैल की शुरुआत में पृथ्वी से संबंधित कुछ दुर्लभ वस्तुओं पर निर्यात नियंत्रण लागू करने के निर्णय की घोषणा की थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम व्यापार के लिए आपूर्ति श्रृंखला में अंतरराष्ट्रीय चलन के अनुरूप विश्वसनीयता एवं स्थिरता लाने के लिए, दिल्ली और बीजिंग दोनों में चीनी पक्ष के संपर्क में हैं।”
इसके अलावा, चीन ने पाकिस्तान के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों के कारण आतंकवाद से निपटने में अपनी ओर से कोई भी अस्पष्टता या दोहरा मापदंड रखने की बात खारिज करते हुए कहा है कि इस खतरे से निपटना अंतरराष्ट्रीय समुदाय की साझा जिम्मेदारी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘‘मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि आतंकवाद से निपटने में चीन का रुख पहले की तरह तथा स्पष्ट है।’’ लिन ने कहा कि आतंकवाद मानवता का साझा दुश्मन है और इससे लड़ना अंतरराष्ट्रीय समुदाय की साझा जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि चीन अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय शांति व सौहार्द की रक्षा करने तथा सभी प्रकार के आतंकवाद का दृढ़ता से मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कोई तथाकथित अस्पष्टता या दोहरा मापदंड नहीं है।’’ हम आपको बता दें कि लिन, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा फ्रांसीसी अखबार ले फिगारो को दिये गए साक्षात्कार पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। हाल में हुए पहलगाम आतंकी हमले और चीन द्वारा पाकिस्तान को दिए जा रहे समर्थन के संदर्भ में आतंकवाद के खिलाफ भारत के कड़े रुख पर पूछे गए सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा था, ‘‘दशकों से उनके बीच घनिष्ठ संबंध रहे हैं।’’ जयशंकर ने साक्षात्कार में कहा, ‘‘लेकिन आतंकवाद जैसे मुद्दे पर आप अस्पष्टता या दोहरे मापदंड बर्दाश्त नहीं कर सकते। अंतत: यह एक ऐसी समस्या है जो हम सभी के लिए चिंता का विषय है।’’ लिन ने कहा कि वर्तमान चीन-भारत संबंध सुधार और विकास के महत्वपूर्ण चरण में है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि भारत पिछले साल अक्टूबर में कज़ान में राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच हुई बैठक में बनी महत्वपूर्ण आम सहमति को लागू करने के लिए हमारे साथ काम करेगा और द्विपक्षीय संबंधों को एक मजबूत और स्थिर राह पर आगे बढ़ाएगा।’’ लिन की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइदोंग बृहस्पतिवार से नयी दिल्ली की दो दिवसीय यात्रा पर हैं।
हम आपको यह भी बता दें कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संदेश भेजकर अहमदाबाद में विमान दुर्घटना के कारण हुए जानमाल के नुकसान पर संवेदना व्यक्त की है। सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ की खबर के अनुसार, शी ने चीन सरकार और लोगों की ओर से जानमाल के नुकसान पर गहरी संवेदना व्यक्त की, घायलों व शोक संतप्त परिवारों के प्रति सहानुभूति जाहिर की तथा घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग ने भी प्रधानमंत्री मोदी को शोक संदेश भेजा। शी ने ब्रिटेन के महाराजा चार्ल्स तृतीय को भी एक अलग शोक संदेश भेजा, जिसमें उन्होंने विमान दुर्घटना में मारे गए ब्रिटिश लोगों के प्रति दुख व शोक व्यक्त किया। साथ ही चीन के प्रधानमंत्री ली ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री केअर स्टारमर को शोक संदेश भेजा।
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