
नारायणगढ़। संस्कृतभारती हरियाणा के सौजन्य से श्रीमद्भगवद्गीता वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, नारायणगढ़ (अम्बाला) में सात दिवसीय आवासीय संस्कृत प्रबोधन वर्ग का भव्य शुभारंभ हुआ। उद्घाटन समारोह में हरियाणा के पूर्व शिक्षामंत्री श्री कंवरपाल गुर्जर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “भारतीय वेशभूषा, संस्कृत एवं संस्कृति ही भारत की वास्तविक पहचान हैं। संस्कृत न केवल भाषा है, बल्कि भारत की समृद्ध ज्ञान परम्परा की आधारशिला भी है। यह भाषा नैतिकता, संस्कारों और सांस्कृतिक मूल्यों की वाहक है।” उन्होंने आगे बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 में भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृत के संरक्षण हेतु विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिससे इस दिशा में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिलेंगे।
कार्यक्रम का आयोजन एवं उद्देश्य
कार्यक्रम का संयोजन संस्कृतभारती द्वारा किया गया जिसमें डॉ. जोगेन्द्र सिंह ने मंच संचालन करते हुए अतिथियों का परिचय एवं सम्मान प्रस्तुत किया। उद्घाटन समारोह में संस्कृतभारती उत्तर क्षेत्र के संगठन मंत्री श्री नरेन्द्र कुमार ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि “संस्कृत ज्ञान और विज्ञान की सार्वभौमिक भाषा है। संस्कृतभारती इसे जन-जन की भाषा बनाने हेतु भारत सहित 28 देशों में कार्यरत है।”
उन्होंने बताया कि संगठन द्वारा विभिन्न राज्यों एवं विदेशों में संस्कृत सम्भाषण हेतु प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाते हैं, जिनमें दस दिनों के अभ्यास से ही प्रतिभागी संस्कृत बोलने एवं लिखने में सक्षम हो जाते हैं।
विज्ञान और संस्कृति का संगम
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उद्योगपति श्री विजय अग्रवाल ने संस्कृत में छिपे वैज्ञानिक तथ्यों को उजागर किया। वहीं हरियाणा प्रान्त सहमंत्री भूपेन्द्र जी ने शिविर का प्रास्ताविक भाषण प्रस्तुत किया।
डॉ. नवीन शर्मा (प्रान्त प्रशिक्षण प्रमुख) ने जानकारी दी कि अम्बाला के नारायणगढ़ और झज्जर के बेरी में दो आवासीय संस्कृत प्रबोधन वर्ग आयोजित किए जा रहे हैं। नारायणगढ़ में 13 से 21 जून तक चल रहे इस शिविर में 62 शिक्षार्थियों ने भाग लिया है। ये प्रतिभागी अम्बाला, कुरुक्षेत्र, पंचकूला, करनाल, पानीपत, कैथल और हिसार से आए हैं।
शिविर की विशेषताएँ और सहभागिता
शिविर में उत्तर क्षेत्र गीता शिक्षण प्रमुख डॉ. जोगेन्द्र सिंह, साहित्य प्रमुख पुष्पेन्द्र आत्रेय, सहमंत्री ईशम सिंह, मुख्य प्रशिक्षक गुरजीत सिंह, तथा सहप्रशिक्षक अजय शास्त्री, सुरेश, राजेश, नीरज, दीपक सरकार, सत्यप्रकाश, बलजिंद्र, अनिल शास्त्री सहित अनेक विद्वान उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का समापन प्रान्ताध्यक्ष डॉ. सोमेश्वर दत्त के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
डॉ. नवीन शर्मा ने बताया कि दूसरा शिविर 21 से 29 जून तक लाला दयाराम तिगड़ानिया सरस्वती शिशुमन्दिर, बेरी (झज्जर) में आयोजित होगा। इसमें गुरुग्राम, सिरसा, फरीदाबाद, पटौदी आदि से प्रतिभागी भाग लेंगे।
ग्रीष्मकालीन अवकाश का सार्थक उपयोग
संस्कृतभारती के प्रान्ताध्यक्ष डॉ. सोमेश्वर दत्त ने बताया कि ग्रीष्मकालीन अवकाश में इन शिविरों का आयोजन छात्रों के समय का सदुपयोग सुनिश्चित करता है। इन शिविरों में प्रतिभागियों को व्यावहारिक संस्कृत, संस्कृत व्याकरण तथा बोली व लेखन कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे उनके भीतर संस्कृत के प्रति रुचि विकसित होती है और वे शास्त्राध्ययन के योग्य बनते हैं।
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