
<p style="text-align: justify;">चीन ने अपने यहां से छह रेयर अर्थ यानी दुर्भल खनिज मैग्नेज सप्लाई पर रोक लगा दी है. उसके इस कदम ने पूरी दुनिया की बेचैनी बढ़ाकर रख दी है. चीन के इस कदम से भारत की ऑटो इंडस्ट्री संकट भी में आ गई है. चीन की तरफ से बड़े पैमाने पर इन दुर्लभ खनिज की सप्लाई दूसरे देशों में किया जाता है. </p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल, रेयर अर्थ की सप्लाई रुकने की स्थिति में वाहन कंपनियां प्रोडक्शन नहीं कर पाएंगी. अप्रैल के महीने में चीन की तरफ से दुर्लभ खनिजों और मैग्नेट के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया गया है. इससे भारत में भी वाहन और अन्य क्षेत्रों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>चीन के कदम ने बढ़ाई मुसीबत</strong></p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल, इस साल चीन की तरफ से चार अप्रैल को चीन की तरफ से 35 रेयर अर्थ का आयात करने वालों को बीजिंग ने सप्लाई रोक दी है. वहां की सरकार ने रेयर अर्थ के लिए इन आयातकों को आवेदनों को मंजूरी नहीं दी. ऐसी स्थिति में हालांकि, कंपनी अगर चाहे तो दोबारा आवेदन तो कर सकती है. इन सभी के अलावा भी रेयर अर्थ का आयात चीन से जो भी कंपनियां करती हैं वो कॉन्टिनेंटल, बॉश इंडिया इत्यादि है.</p>
<p style="text-align: justify;">इस रेयर अर्थ का इस्तेमाल हथियारों को बनाने से लेकर क्लीनटेक तक में इस्तेमाल किया जाता है. ऐसी स्थिति में सबसे ज्यादा प्रभावित अगर कोई उद्योग हुआ है तो वो इलेक्ट्रिक वाहन इंडस्ट्री है. चीन के ऊपर कितनी निर्भरता है इसका अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि गाड़ियों के बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले दुनिया के 90 फीसदी रेयर अर्थ मैग्नेट्स का प्रोडक्शन चीन ही करता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>रेयर अर्थ में कैसे चीन की मोनोपॉली</strong></p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल चीन ने रेयर अर्थ माइनिंग और रिफाइनिंग को एक स्ट्रेटिजिकल इंडस्ट्री के तौर पर स्थापित किया है. साल 2000 के शुरुआत दशक तक रेयर अर्थ को लेकर चीन के सामने दुनियाभर में कई सारे प्रतिस्पर्धी देश थे. लेकिन रेयर अर्थ के अग्रणी उत्पादकों में से एक कैलिफोर्निया के पास माउंटेन के पास की माइन को साल 2002 में पर्यावरण और आर्थिक दबाव की वजह से बंद करना पड़ा था. इसकी वजह से चीन न सिर्फ रेयर अर्थ मैग्नेट के मामले में प्रमुख सप्लायर बन गया बल्कि वो बैटरी और इलेक्ट्रोनिक्स, मैग्नेट और अन्य उपयोगी सामान बदलने वाली ग्लोबल रिफाइनरी भी बन गया.</p>
<p style="text-align: justify;">हालांकि, रेयर अर्थ में चीन के इस दबदबे के बीच भारत ने अब इसकी उपलब्धता अपने यहां बढ़ाने पर जोर दे रहा है. इसके माइनिंग के अधिनियमों में तेजी के साथ बदलाव किए जा रहे हैं. पिछले दिन केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जर्मनी में पत्रकारों से बात करते हुए खुद कहा था कि रेयर अर्थ मिनरल्स से हासिल किए जाने वाले मैग्नेट को लेकर भारत अपने अन्य विकल्पों पर काम कर रहा है.</p>
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