
महाराष्ट्र के रावेर निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार लोकसभा सांसद रह चुकी 38 वर्षीय खड़से ने पीटीआई को दिए विशेष साक्षात्कार में इस आलोचना को खारिज कर दिया कि देश को ओलंपिक की मेजबानी जैसे खर्चीले आयोजन का लक्ष्य रखने से पहले देश को खेल महाशक्ति बनाने पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने यहां अपने कार्यालय में बातचीत में कहा, ‘‘ओलंपिक 2036 याराष्ट्रमंडल खेल 2030 जैसी प्रतियोगिताओं की मेजबानी की तैयारी का मतलब है विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे, आर्थिक निवेश और एक ऐसी प्रणाली को तैयार करना है जिसका फायदा सीधे खिलाड़ियों को मिलेगा।’’
खड़से ने कहा, ‘‘खेल अवसाद और यहां तक कि नशीली दवाओं की लत जैसी कई समस्याओं से निपटने का एक तरीका है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए जब आप ओलंपिक जैसी प्रतियोगिताओं की मेजबानी करते हैं तो वह समाज के लिए प्रेरक शक्ति का काम करती हैं।’’
खेलों की मेजबानी के लिए भारत की दावेदारी अगले महीने गति पकड़ लेगी, जब खेल मंत्रालय और भारतीय ओलंपिक संघ के अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल पिछले साल अपना आशय पत्र सौंपने के बाद अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आइओसी) के साथ चर्चा के लिए लुसाने जाएगा।
खड़से ने कहा, ‘‘इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ओलंपिक की मेजबानी करके हम एक संदेश देंगे। यह इस बात का संकेत है कि आप एक विकसित देश हैं। लेकिन साथ ही, यह युवाओं को राष्ट्र-निर्माता के रूप में नेतृत्व करने का अवसर भी देता है।’’
उन्होंने कहा कि खेलों की मेजबानी और भारतीय खेलों के विकास को अलग-अलग करके नहीं देखा जाना चाहिए।
खेल मंत्रालय का कार्यभार संभालने वाली दूसरी महिला और सबसे कम उम्र की खड़से ने कहा, ‘‘हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि खर्च किया गया प्रत्येक रुपया देश को भविष्य में लाभ पहुंचाए। ’’
पेरिस ओलंपिक 2024 की लागत नौ अरब डॉलर से ज़्यादा थी, जबकि लॉस एंजिल्स में होने वाले 2028 के खेलों के लिए सात अरब अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा खर्च होने का अनुमान है। कई बार ऐसा होता है कि अनुमानित लागत अंतिम खर्च से काफ़ी ज़्यादा होती है।
ओलंपिक की बोली को सफल बनाने के लिए आपसी सहयोग बेहद महत्वपूर्ण होगा लेकिन भारत के राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) अक्सर एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में उलझे रहते हैं, जिसके कारण अदालती मामले सामने आते हैं, जिससे खिलाड़ियों को नुकसान पहुंचता है।
खडसे ने कहा, ‘‘इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए और खिलाड़ियों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। महासंघों को स्वायत्तता होनी चाहिए, लेकिन एनएसएफ और मंत्रालय के बीच अधिक सामंजस्य भी होना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह लक्ष्य हासिल करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारा लक्ष्य 2036 में ओलंपिक की मेजबानी करना है। इसके लिए सभी को एकजुट होना होगा। मंत्रालय, एनएसएफ और आईओए अलग-अलग दिशाओं में नहीं जा सकते, उनके लक्ष्य एक जैसे होने चाहिए। ’’
स्वायत्तता के विषय पर मंत्रालय और आईओए के बीच मतभेद हैं।
खड़से ने कहा, ‘‘मनसुख भाई (खेल मंत्री मनसुख मांडविया) ने सभी एनएसएफ से बात की है और उनकी कठिनाइयों और मुद्दों को समझने की कोशिश की है। हम मुकदमेबाजी को कम करने की दिशा में भी काम कर रहे हैं ताकि प्रशासन को नुकसान न हो। हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि खिलाड़ियों को सर्वश्रेष्ठ माहौल मिले।’’
भारत में डोपिंग की समस्या पर खेल राज्य मंत्री ने कहा, ‘‘हम खिलाड़ियों, कोचों और अभिभावकों के लिए अनिवार्य डोपिंगरोधी शिक्षा शुरू करना चाहते हैं। इसके साथ हम राज्य और जूनियर स्तर पर परीक्षण भी करना चाहते हैं। जो लोग नाबालिगों को ड्रग्स या डोपिंग की सुविधा देते हैं, उन्हें सख्त कानून के तहत दंडित किया जाना चाहिए।
डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
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