उत्तरी जिले ताई पो में स्थित वांग फुक कोर्ट आवासीय परिसर में बुधवार को स्थानीय समयानुसार दोपहर 3 बजे से ठीक पहले आग लगी. इस आवासीय परिसर में 2,000 अपार्टमेंट और आठ इमारतें हैं जबकि 4,600 से ज्यादा लोग रहते थे. त्रासदी के समय वहां मरम्मत का काम चल रहा था. जब आग लगी और तेजी से फैली तब यहां की इमारतें बांस के मचान और हरे जाल से ढकी हुई थीं. ये अपार्टमेंट ब्लॉक 31 मंजिला हैं और उन्हें 1983 में रहने के लिए खोला गया था. आवासीय परिसर को तबाह करने वाली आग पर अग्निशमन कर्मियों ने लगभग काबू पा लिया है. हांगकांग के अग्निशमन अधिकारियों ने कहा कि वे खोज और बचाव अभियान को समाप्त करने की उम्मीद कर रहे हैं. आग लगने का सटीक कारण अभी भी अज्ञात है.
बांस के मचान शहर की पहचान
बांस का मचान सदियों से इस शहर की पहचान रहे हैं, लेकिन क्यों? इसका जवाब कुछ हद तक इतिहास, कुछ हद तक इंजीनियरिंग और कुछ हद तक अर्थशास्त्र में छिपा हुआ है. लेकिन हाल की त्रासदी ने अग्नि सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित कर दिया है, और यह भी कि बांस का उपयोग कब और कहां किया जाना चाहिए. बांस एक तेजी से बढ़ने वाली घास है जिसके खोखले, नलीनुमा तने (जिन्हें कलम्स कहते हैं) होते हैं. ये नलियां इसे उच्च शक्ति-भार अनुपात प्रदान करती हैं. एक डंडा इतना हल्का होता है कि सीढ़ियों तक ले जा सकता है. फिर इसे सही तरीके से बांधा जाए तो वह इतना मजबूत होता है कि वह प्लेटफार्मों और कामगारों को सहारा दे सकता है.
हांगकांग के ताई पो स्थित वांग फुक कोर्ट हाउसिंग एस्टेट में कई इमारतों में लगी बांस कॉे मचान आग की चपेट में आ गए. रॉयटर्स
कारीगर खंभों को एक-दूसरे से कसकर बांधते हैं और उन्हें ब्रैकेट और एंकर की मदद से इमारतों से बांध देते हैं. सही ढंग से डिजाइन किया गया बांस का मचान हवा और कामगार के भार को झेलने में सक्षम होता है. हांगकांग का भवन विभाग और श्रम विभाग बांस के मचानों के डिजाइन और निर्माण पर स्पष्ट दिशानिर्देश प्रकाशित करता है. बांस के मचान का उपयोग मुख्य भूमि चीन, भारत और दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में भी किया जाता है.
सस्ती और लचीली सामग्री
हांगकांग में बांस के मचानों का उपयोग किए जाने के तीन मुख्य कारण हैं. सबसे पहले, गति. एक अनुभवी टीम किसी इमारत को जल्दी से ‘रैप’ कर सकती है क्योंकि खंभे हल्के होते हैं और उन्हें अनियमित आकार में फिट करने के लिए काटा जा सकता है. यह बात तंग गलियों में मायने रखती है जहां क्रेन की पहुंच सीमित होती है. दूसरा, लागत. बांस की कीमत धातु के पोल की तुलना में बहुत कम होती है, इसलिए ठेकेदार बोली कम रख सकते हैं. यह सामग्री स्थानीय स्तर पर आसानी से मिल जाती है, जिससे नियमित मरम्मत और रंगाई-पुताई का काम बजट में रहता है. तीसरा, परंपरा और कौशल. हांगकांग बांस के मचान बनाने वालों को प्रशिक्षित और प्रमाणित करता है और यह शिल्प शहर की निर्माण संस्कृति का हिस्सा बना हुआ है. ये कारक बताते हैं कि क्यों बांस शहर के होराइजन यानी क्षितिज पर दिखाई देता रहा है, जबकि अन्य स्थानों पर धातु प्रणालियां हावी हैं.
क्या हैं इसके खतरे?
बांस के मचान के दो मुख्य खतरे हैं. पहली घटना, जैसा कि हांगकांग की इस त्रासदी में उजागर हुआ है आग है. सूखा बांस ज्वलनशील होता है और मचानों पर अक्सर बिछाई जाने वाली हरी प्लास्टिक की जाली भी शीघ्रता से जल सकती है. ताई पो अग्निकांड में फुटेज और रिपोर्ट से पता चलता है कि आग तेजी से मचान और जाल तक पहुंच गयी और इमारतों के सामने के हिस्से तक पहुंच गयी. कब्जे वाले टावरों पर अस्थायी निर्माण के लिए गैर-दहनशील सामग्री की मांग की जाती है. यदि बांस का उपयोग किया जाता है, तो कम से कम अग्निरोधी जाल या उपचारित बांस का उपयोग किया जाना चाहिए. मचान के डिजाइन में ऐसे अंतराल होने चाहिए कि आग एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में आसानी से न फैल सके. हांगकांग ने इस जोखिम को नियंत्रित करने के लिए अपने दिशानिर्देशों को अपडेट किया है.
कितनी गंभीर यह आग?
आग लगने के तुरंत बाद आग लगने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गयीं और स्थानीय मीडिया ने यहां तक बताया कि इमारत के अंदर विस्फोटों की आवाज सुनी जा सकती थी. हांगकांग के अग्निशमन विभाग के अनुसार इस आग को स्तर पांच की श्रेणी में रखा गया है, जो कि सबसे ज्यादा भीषण है. दरअसल, हांगकांग में स्तर पांच की आग लगने के 17 साल बाद ऐसा हुआ है. आग लगने की जगह पर कुल 128 दमकल गाड़ियां, 57 एम्बुलेंस और लगभग 400 पुलिस अधिकारी तैनात किए गए थे. हालांकि, मार्च में सरकार ने कहा था कि वह सुरक्षा चिंताओं के कारण बांस के इस्तेमाल को धीरे-धीरे बंद कर देगी. 2018 से बांस के मचानों से जुड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में कम से कम 23 लोगों की मौत हो चुकी है.


