
मंगलवार को मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए पवार ने यह भी कहा कि छात्रों को पहली कक्षा से ही मराठी सीखनी चाहिए ताकि वे इसे अच्छी तरह से पढ़ और लिख सकें।
राज्य सरकार ने पिछले सप्ताह एक संशोधित आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवी कक्षा तक के विद्यार्थियों को हिंदी सामान्यतः तीसरी के रूप में पढ़ाई जाएगी, जिसके बाद इस पर विवाद पैदा हो गया।
सरकार ने कहा कि हिंदी अनिवार्य नहीं होगी तथापि उसने हिंदी के अलावा किसी अन्य का अध्ययन करने के लिए स्कूल में प्रत्येक कक्षा में कम से कम 20 छात्रों की सहमति अनिवार्य कर दी।
पवार ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री ने सोमवार को इस मुद्दे पर एक बैठक बुलाई। मेरा मानना है कि हिंदी को पहली कक्षा से चौथी कक्षा तक शुरू नहीं किया जाना चाहिए। इसे पांचवीं कक्षा से शुरू किया जाना चाहिए। छात्रों को पहली कक्षा से मराठी सीखनी चाहिए और इसे धाराप्रवाह पढ़ने और लिखने में सक्षम होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हालांकि कोई भी किसी विशेष को पढ़ाने के खिलाफ नहीं है, लेकिन युवा छात्रों पर शुरुआती चरण में एक अतिरिक्त का बोझ डालना अनुचित है।
इस बीच, अभिनेता सयाजी शिंदे ने भी पहली कक्षा से हिंदी पढ़ाने का विरोध किया।
उन्होंने कहा, ‘‘छात्रों को मराठी सीखने की अनुमति दी जानी चाहिए, जो एक बहुत ही समृद्ध है। उन्हें कम उम्र में ही मराठी में पारंगत होना चाहिए और उन पर किसी अन्य का बोझ नहीं डालना चाहिए। अगर इसे अनिवार्य बनाना ही है, तो इसे पांचवीं कक्षा के बाद ही पढ़ाया जाना चाहिए।
डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
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