
शतावरी में विटामिन के, ई सी, आयरन, कैल्शियम, फाइबर, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, मैंगनीज, सेलेनियम, जिंक, एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं.
-शतावरी देखने में झाड़ीदार पौधा होता है. मुख्य रूप से इसकी जड़ का उपयोग किया जाता है. सुश्रुत संहिता के अनुसार, यह एक रसायन औषधि मानी जाती है और इसका उपयोग विभिन्न रूपों में किया जाता है. ज्यादातर इसका उपयोग स्तनपान को बढ़ावा देने, गर्भाशय को स्वस्थ रखने और रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है.
-पाचन में सुधार करता है. अल्सर का इलाज करता है. इम्यूनिटी बूस्ट करता है. आधुनिक शोध शतावरी को महिला प्रजनन स्वास्थ्य, हार्मोन संतुलन और मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करने में काम करता है. आयुर्वेद के अनुसार, शतावरी में एडाप्टोजेनिक गुण होते हैं, जो शरीर के तनाव को अनुकूल बनाने में मदद करते हैं. इसका सेवन करने से मोनोपॉज के दौरान होने वाले हार्मोनल असंतुलन को संतुलित करने में मदद मिलती है.
-शतावरी का सेवन सर्दी-जुकाम, बवासीर, बुखार के इलाज में वरदान है. शतावरी की जड़ से बने काढ़े के सेवन से लाभ मिलता है. महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान होने वाली समस्याओं में भी इसके सेवन से लाभ मिलता है.
-पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द, पेट के तनाव और ऐंठन में भी इससे राहत मिलती है. पाचन तंत्र को मजबूत करता है, जिससे कब्ज, वात, जलन जैसी समस्याएं खत्म हो जाती हैं.
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