
Saharanpur news in hindi : बिना भूख के भोजन करना, बिना प्यास के पानी पीना दोनों ही खतरनाक है. उसी तरह से प्यास लगने पर पानी न पीना और भूख लगने पर खाना नहीं खाना भी शरीर भी डेंजर है.
आयुर्वेद में भूख को “जठराग्नि” के रूप में जाना जाता है, जो पाचन की अग्नि है. जब जठराग्नि प्रज्वलित होती है, तो इसका मतलब है कि शरीर को भोजन की आवश्यकता है. यदि आप भूख लगने पर नहीं खाते हैं, तो यह जठराग्नि को कमजोर कर सकता है और पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है. सहारनपुर के आयास आयुर्वेदिक चिकित्सालय से बीएएमएस, एमडी डॉ. हर्ष लोकल 18 से कहते हैं कि परमात्मा ने हमारे शरीर में एक ऐसा मेकैनिज्म बनाया है, जिसको हम प्यास कहते हैं. प्यास का मतलब है कि हमें पानी की आवश्यकता है. ऐसा ही एक मेकैनिज्म है भूख. बिना भूख के भोजन करना, बिना प्यास के पानी पीना दोनों ही शरीर के लिए बहुत हानिकारक है. उसी तरीके से प्यास लगने पर पानी न पीना और भूख लगने पर खाना नहीं खाना भी शरीर के लिए हानिकारक है. इससे कई प्रकार के रोग पैदा हो सकते हैं.
डॉ. हर्ष के अनुसार, अगर आपको प्यास नहीं लगी है फिर भी पानी का सेवन कर रहे हैं तो आपका डाइजेशन सिस्टम कमजोर हो सकता है. भोजन के पाचन करने की क्षमता कम हो सकती है. दस्त लग सकते हैं. ग्रहणी रोग हो सकता है. एनीमिया हो सकता है. लिवर डिसऑर्डर हो सकता है. बिना प्यास के पानी पीना और बिना भूख के भोजन करना आयुर्वेद के हिसाब से ठीक नहीं है.
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