
हाट-बाजारों में छाई रौनक, जंगलों से शहरों तक पहुंची बोड़ा
जगदलपुर के संजय बाजार से लेकर दूर-दराज के गांवों तक, हर जगह बोड़ा की धूम है. आदिवासी महिलाएं, जो इसे जंगल से चुनकर लाती हैं, सुबह से ही बाजारों में पहुंच जाती हैं. बाजार में बोड़ा देखते ही लोग थैले लेकर पहुंच जाते हैं “दाम चाहे जो हो, स्वाद नहीं छोड़ेंगे!”
बोड़ा ना सिर्फ स्वाद में लाजवाब है, बल्कि औषधीय गुणों से भरपूर है.
डॉ. नवीन दुल्हानी, बस्तर जिला अस्पताल से बताते हैं कि बोड़ा में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में होते हैं. खासकर डायबिटीज़ के मरीजों के लिए यह बहुत लाभदायक है.” इसलिए यह सिर्फ एक सब्जी नहीं, सेहतमंद आहार भी है.
साल में सिर्फ कुछ ही हफ्ते मिलता है बोड़ा
बोड़ा की सबसे बड़ी खासियत है इसकी सीमित उपलब्धता. यह केवल मानसून की शुरुआती बरसातों में ही साल पेड़ों के नीचे उगता है. इसलिए लोग सालभर इसका इंतजार करते हैं. जून-जुलाई आते ही ग्रामीण जंगलों में निकल पड़ते हैं, और यह बन जाता है अस्थायी लेकिन मजबूत आय का स्रोत.
बस्तर का दौरा करने वाले विदेशी पर्यटक जब बोड़ा का स्वाद चखते हैं, तो इसके मुरीद हो जाते हैं. स्थानीय व्यंजनों की खुशबू और बोड़ा की अनोखी बनावट उन्हें कुदरत से सीधे जुड़े अनुभव देती है. हर साल दर्जनों पर्यटक सिर्फ इस खास स्वाद के लिए बस्तर का रुख करते हैं.
गांववालों की आर्थिक रीढ़
महुआ, तेंदूपत्ता और फिर बोड़ा ये जंगल के उपहार ही आदिवासी जीवन को सहारा देते हैं. बोड़ा को बेचकर ग्रामीणों को अच्छा लाभ मिलता है, और यह बनता है उनकी गर्मियों के बाद की कमाई का सबसे अहम जरिया.
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
Discover more from हिंदी न्यूज़ ब्लॉग
Subscribe to get the latest posts sent to your email.