स्वस्थ रहना है तो योग करना बेहद जरूरी है. योग से शरीर एक्टिव रहने के साथ ही लचीला भी बनता है. प्रतिदिन योग करने से फिटनेस बनी रहती है. शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं. योग में आप कई बीमारियों से बचे रहने के लिए ढेरों अलग-अलग योग कर सकते हैं. इनमें से एक है ‘मत्स्यासन’. ये नाम दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है- ‘मत्स्य’ मतलब मछली और ‘आसन’ मतलब बैठने की मुद्रा. इस आसन का अभ्यास करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है. पेट साफ होता है. गले और आंखों को भी फायदा पहुंचाता है.
मत्स्यासन के फायदे
-आयुष मंत्रालय के मुताबिक, मत्स्यासन उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है जो लोग कब्ज, पीठ दर्द या सांस संबंधित परेशानियों से जूझ रहे हैं. पेट की मांसपेशियां और पाचन तंत्र में सुधार होता है. इससे कब्ज ठीक होता है..
-फेफड़े खुलते हैं, जिससे सांस लेने में आसानी होती है. सांस संबंधित समस्याएं ज्यादा परेशान नहीं करतीं. ये आसन पीठ की ऊपरी मांसपेशियों को भी आराम देता है. रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है, जो लोग पीठ दर्द से परेशान हैं, उनके लिए यह आसन वरदान की तरह है.
-गर्भाशय की समस्याओं या डायबिटीज से जूझ रही महिलाओं को भी लाभ पहुंचाता है. पेट की मांसपेशियों पर मसाज देने जैसा काम करता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. पीरियड्स के दौरान जो दर्द और बेचैनी होती है, उसे भी यह कम करने में मदद करता है.
-जब पेट की नसों और मांसपेशियों को आराम मिलता है, तो पीरियड्स के दौरान होने वाली ऐंठन से राहत मिलती रहती है. आसन हार्मोन बैलेंस बनाने में भी सहायक माना जाता है.
-मत्स्यासन करने से मानसिक शांति भी मिलती है. इसे करते हैं तो गहरी सांस लेते हुए एक खास मुद्रा में लेटना होता है. इससे मन को शांति मिलती है. सोचने-समझने की क्षमता बेहतर होती है. ये आसन तनाव, चिंता और डर जैसी भावनाओं को भी कंट्रोल करता है.
-इसके अलावा, यह पेट की चर्बी घटाने के लिए भी असरदार माना जाता है. पेट की मांसपेशियां पर असर पड़ता हैं, जिससे पेट की चर्बी कम करने में मदद मिलती है.
कैसे करें मत्स्यासन
सबसे पहले पीठ के बल सीधे लेट जाएं. दोनों पैरों को आपस में जोड़ें. हाथों को धीरे-धीरे शरीर के नीचे ले जाएं, उनका रुख जमीन की तरफ हो. इसके बाद अपनी कोहनियों को कमर के पास लाते हुए एक-दूसरे के नजदीक लाएं. अब पैरों की पालथी मार लें. गहरी सांस लेते हुए अपने सीने को ऊपर की ओर उठाएं. सिर को पीछे की ओर झुकाएं, ताकि सिर का ऊपरी हिस्सा फर्श से हल्का स्पर्श करे. इस स्थिति में शरीर को संतुलित और आरामदायक बनाए रखें.