
यह वॉकिंग टैक्नीक जापान के शिंशु विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हिरोशी नोज़ और एसोसिएट प्रोफेसर शिज़ू मसुकी द्वारा विकसित की गई थी. इसमें 3 मिनट तेज़ चाल से चलना होता है, फिर 3 मिनट धीमी चाल से. इस सायकल को कुल 6 बार दोहराया जाता है यानी पूरा सेशन 30 मिनट का होता है.
तेज़ चाल वाला हिस्सा ऐसा होना चाहिए कि आप ठीक से बात तो कर सकें, लेकिन ज़ोर से गाना गाना मुश्किल हो जाए. वहीं धीमी चाल वाली वॉक हल्की और आरामदायक होती है-कुछ वैसी जैसी आप मॉल में खिड़की शॉपिंग करते समय करते हैं.
जापान में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि जिन्होंने इस टैक्नीक से चलना शुरू किया, उन्होंने न सिर्फ़ वजन घटाया, बल्कि उनकी फिटनेस, ब्लड प्रेशर और सहनशक्ति में भी सुधार हुआ. यहां तक कि उम्रदराज़ लोगों में भी यह तरीका ताकत बनाए रखने में मददगार साबित हुआ.
असल में यह टैक्नीक सिर्फ़ कदम गिनने की बजाय चाल की क्वालिटी पर ध्यान देती है. 10,000 कदम चलना अच्छा है, लेकिन अगर चाल में तेज़ी और ठहराव न हो तो असर कम हो सकता है. जापानी वॉकिंग इसी अंतर को भरती है.
जब इसे पहली बार बुज़ुर्गों पर आज़माया गया, तो पाया गया कि तीन मिनट तेज़ चलने पर थकान महसूस होने लगती है. इसलिए तीन-तीन मिनट के ब्लॉक बनाए गए ताकि दिल को चुनौती भी मिले और शरीर को ज़्यादा थकान भी न हो. अगर आप ज़्यादा फिट हैं, तो समय को बढ़ा सकते हैं. शुरुआती लोग 1-2 मिनट से भी शुरू कर सकते हैं.
किसके लिए है यह टैक्नीक?
यह खासकर उनके लिए बढ़िया है जो जिम जाने से झिझकते हैं, या जिन्हें घुटनों या कमर में दर्द की परेशानी है. वॉशिंगटन के एक विशेषज्ञ के अनुसार, यह उन लोगों के लिए मददगार है जो दौड़ने या भारी एक्सरसाइज़ नहीं कर सकते.
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