
Iran Israel Pollution: ईरान-इजरायल युद्ध में हजारों मिसाइलों से एक-दूसरे पर हमले हो रहे हैं, इसमें हजारों टन पॉल्यूशन के कण भी हवा में बिखर रहे हैं. इसका हमारी सेहत पर क्या असर पड़ेगा.

हाइलाइट्स
- ईरान-इजरायल युद्ध से हानिकारक गैसें निकल रही हैं.
- भारत पर इन गैसों का असर होने की कितनी आशंका है.
- युद्ध से लंग्स डिजीज और काला दमा जैसी बीमारियां हो सकती हैं.
Iran Israel Pollution: ईरान-इजरायल युद्ध बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है. हर रोज सैकड़ों मिसाइलें एक-दूसरे के देशों में गिराई जा रही है. एक-एक मिसाइल का वजन 100-100 किलो होता है जो सबसे छोटा है. दुनिया ने 55 से 60 हजार किलो तक की मिसाइलें बना ली हैं. इन मिसाइलों का मुख्य काम आग का गोला बनना है. जब बहुत वेग के साथ मिसाइलें छोड़ी जाती है तो इसमें से बहुत ताकत के साथ बल लगता है और बम ब्लास्ट होता है. ब्लास्ट के समय में इसमें से कई तरह के हानिकारक रसायनें निकलती हैं. इनमें सबसे ज्यादा कार्बन डायऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डायऑक्साइड प्रमुख गैस है. इसके लिए लेड, बेंजिन, मर्करी जैसी जहरीली गैसें भी होती हैं. जो लोग इन मिसाइलों के दायरे में आते हैं, उनकी मौत तो होती ही है. इसके अलावा आसपास का वातवरण इस तरह जहरीला हो जाता है कि कई सालों तक कई तरह की जानलेवा बीमारियों का खतरा बना है. ईरान हमसे 4500 किलोमीटर की दूरी पर है. ऐसे में क्या इन हानिकारक रसायनों का खतरा हम पर है. इस विषय पर हमने फोर्टिस अस्पताल, मानेसर में पल्मोनोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. कर्ण मेहरा से बात की.
डॉ. कर्ण मेहरा ने कहा कि जब युद्ध होता है तो इसमें इस्तेमाल हुए बमों से धुओं का गुब्बार निकलने लगता है. यह धुआं वास्तव में अपने आप में हानिकारक रसायनों से भरा होता है. इनमें कई तरह के रसायन होते हैं जो सीधे फेफड़े को परेशानी में डाल सकते हैं. आपेन सुना होगा कि जब जापान पर परमाणु हमला किया गया तो हिरोशिमा और नागासाकी में आज भी लोग बीमार पड़ रहे हैं. निश्चित तौर पर परमाणु बम धरती का सबसे रासायनिक बम है. इसके मुकाबले मिसाइलों से आने वाले बम कहीं नहीं टिकते हैं लेकिन इन मिसाइलों के बम बरसाने से भी जहरीली गैसें निकलती है और हमें नुकसान पहुंचाती है. लेकिन आमतौर पर यह नुकसान उन जगहों पर होती है जहां मिसाइलें गिराई जाती हैं. चूंकि भारत और ईरान के बीच की दूरी हवाई मार्ग से 4500 किलोमीटर के आसपास है. इसलिए भारत में इसका कोई खास प्रभाव है, इसकी आशंका कम है. लेकिन भारत-पाक युद्ध के दौरान ऐसी आशंकाएं सामने आ सकती है. इसका सेहत पर प्रभाव पड़ सकता है. यह अच्छी बात है कि हमारा युद्ध ज्यादा समय तक चला नहीं.
मिसाइलों की गैसों से कौन सी बीमारी
डॉ. कर्ण मेहरा ने बताया कि कई ऐसी रिसर्च की गई है जिसमें पाया गया है कि जहां लंबा युद्ध चला है वहां के लोगों के लंग्स में बहुत ज्यादा पार्टिकुलेट मैटर होता है. इनमें कई तरह की लंग्स डिजीज, copd बीमारी भी होती हैं. इसलिए यह युद्ध बीमारियों को कई तरह से बढ़ा देता है. जब युद्ध के कारण लंग्स में परेशानी होती है तो इसे काला दमा कहते हैं. इसका इलाज जरूरी हो जाता है. लंग्स में किसी तरह की दिक्कत होने पर इसका इलाज अवश्य कराना चाहिए. हालांकि जब युद्ध चल रहा हो तो वहां से बचना कठिन है. इसका एक मात्र उपाय है कि उन जगहों पर जाने से बचना चाहिए और जहां तक संभव हो N 95 मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए.
Excelled with colors in media industry, enriched more than 16 years of professional experience. Lakshmi Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. he professed his contribution i…और पढ़ें
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