
Child Sexual Abuse: छोटे बच्चों या टीनएजर्स का यौन शोषण उनके मानसिक विकास, भावनात्मक सुरक्षा और पूरी जिंदगी पर असर डालता है. कई बच्चे यौन शोषण के कारण शराब, ड्रग्स और अन्य गलत आदतों को अपना सकते हैं.

हाइलाइट्स
- टीनएजर्स में यौन शोषण से डिप्रेशन और आत्महत्या के विचार आ सकते हैं.
- छोटे बच्चे यौन शोषण का शिकार हो जाएं, तो जिंदगीभर ट्रॉमा रह सकता है.
- शोषण करने वाले अधिकतर परिचित होते हैं, ऐसे में पैरेंट्स सावधानी बरतें.
इस तरह का मामला पहली बार सामने नहीं आया है. इससे पहले बीती मई में गुजरात के सूरत में इसी तरह का केस दर्ज किया गया था. गुजरात में 23 साल की महिला टीचर 13 साल के स्टूडेंट को भगाकर ले गई थी. इस दौरान दोनों के बीच शारीरिक संबंध बन गए और बाद में जब वह लौटी, तो प्रेग्नेंट हो गई थी. इन दोनों मामलों से पैरेंट्स की चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि स्कूल को बच्चों के लिए सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है और वहीं ऐसी वारदात की जा रही हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो इस तरह के यौन शोषण की घटनाएं बच्चों की मेंटल हेल्थ को बुरी तरह प्रभावित करती हैं. कई बार बच्चे यह ट्रॉमा पूरी जिंदगी झेलते हैं.
इस बारे में क्या है साइकेट्रिस्ट की राय?
डॉक्टर प्रेरणा के अनुसार स्कूल जाने वाले बच्चे यानी 6 से 12 साल के बच्चे यौन शोषण की घटना की गंभीरता समझने लगते हैं. वे इसका शिकार होने पर खुद को दोषी समझने लगते हैं. वे डर, शर्म, चुप्पी और अंधेरे में पकड़े जाने जैसी भावनाओं से प्रभावित होते हैं. गुस्सा, चिड़चिड़ापन, पढ़ाई में गिरावट, सिर या पेट दर्द जैसी परेशानियां इस उम्र के बच्चों में कॉमन हो जाती हैं. 13 से 18 साल तक के टीनएजर्स के साथ यौन शोषण जानलेवा भी हो सकता है. किशोर भावनात्मक बोझ से जूझ सकते हैं. वे उदासी, चिंता के साथ आत्महत्या की कोशिश करने जैसे खौफनाक कदम उठा सकते हैं. कुछ टीएनजर्स यौन शोषण के कारण शराब या ड्रग्स की ओर मुड़ जाते हैं या असुरक्षित संबंध बनाते हैं. इससे उनका आत्म-सम्मान, भरोसा और सुरक्षा की भावना खत्म हो जाती है.
अक्सर भरोसेमंद लोग करते हैं बच्चों का शोषण
बच्चों को यौन शोषण से कैसे बचाया जाए?
इस पर साइकेट्रिस्ट ने बताया कि बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए सबसे जरूरी है उन्हें उम्र के अनुसार सही जानकारी देना. इससे बच्चे गुड टच और बैड टच में फर्क समझ सकेंगे. माता-पिता को बच्चों से खुलकर बात करनी चाहिए, ताकि बच्चा किसी गलत व्यवहार को बिना डरे बता सके. बच्चों को यह सिखाना जरूरी है कि उनका शरीर उनका है और कोई भी व्यक्ति उन्हें गलत तरीके से छूने का हक नहीं रखता है. चाहें वह जान-पहचान वाला ही क्यों न हो. किसी भी असहज स्थिति में भरोसेमंद शख्स से तुरंत बात करने की हिम्मत देना बहुत जरूरी है. साथ ही स्कूलों में यौन शिक्षा और सेल्फ डिफेंस जैसी ट्रेनिंग को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें
अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें
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