Adrak Masala Kadha Recipe: सर्दियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर अदरक, मसाले और काढ़े जैसे देसी नुस्खे बेहद असरदार माने जाते हैं. ये शरीर को गर्माहट देने के साथ संक्रमण, खांसी-जुकाम और वायरल बीमारियों से बचाते हैं. आयुर्वेद के अनुसार यह प्राकृतिक उपाय कई औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं और नियमित सेवन शरीर को अंदर से मजबूत बनाता है.
सीकर. सदियां शुरू होते ही जुकाम, खांसी, गले खराश और सांस लेने में दिक्कत जैसी परेशानियां आम हो जाती हैं. ठंडी हवाएं शरीर का ताप कम कर देती हैं और ऊपर से बढ़ते प्रदूषण का असर फेफड़ों पर अलग से पड़ता है. दमा, एलजी या सांस की पुरानी बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए यह मौसम किसी चुनौती से कम नहीं होता. ऐसे समय में घर में मौजूद मसाले, गर्माहट देने वाले काढ़े और अन्य घरेलू उपचार बहुत राहत देते हैं और कई बार दवाइयों की जरूरत पड़ने ही नहीं देते.

अदरक और मसालों के नुस्खे: आयुर्वेदिक डॉक्टर नरेंद्र कुमार ने बताया कि अदरक की चाय, अदरक-शहद या तुलसी-अदरक का काढ़ा गले की जकड़न को बीला करता है और बलगम को बाहर निकालने में मदद करता है. काली मिर्च, लौंग, दालचीनी, इलायची और हल्दी शरीर की गर्मी बढ़ाते हैं और सूजन कम करते हैं. इसके अलावा हल्दी वाले दूध में एक चुटकी काली मिर्च मिलाकर पीने से सीने की जकड़न में राहत मिलती है. वहीं, मुलेठी भी बेहद लाभदायक है, इसे चूसने से गले में तुरंत आराम मिलता है और खांसी शांत होती है.

गर्माहट देती है मालिश: उन्होंने बताया कि सर्दी के मौसम में गुनगुने सरसों तेल की मालिश जाड़े का पुराना और प्रभावी उपचार है. सीने, पीठ और गले पर हल्की मालिश करने से शरीर में गर्मी फैलती है और ठंडक मिटती है. इसके अलावा तेल में लहसुन की 2 से 3 कलियां गर्म करके यह तेल लगाने से फ़ायदा दोगुना हो जाता है. यह मसाज खासकर उनके लिए उपयोगी है जिन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है. रात को तलवों पर सरसों तेल लगाने से सदर्दी-जुकाम में जल्दी आराम मिलता है.
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डिटॉक्स पेय का महत्व: आयुर्वेदिक डॉक्टर नरेंद्र कुमार ने बताया कि सर्दियों के मौसम में शरीर में जमा विषैले तत्वों को बाहर निकालना भी जरूरी होता है. इसके लिए घरेलू नुस्खे सबसे कारगर तरीका है. इसके लिए गुनगुना नींबू पानी, अदरक-हल्दी का पेय, दालचीनी पानी, ग्रीन टी, तुलसी पानी, मुनक्का बाला पानी और जीरा-धनिया-सौंफ का काढ़ा उपयोगी हैं. ये पेय फेफड़ों की सूजन कम करते हैं और शरीर को अंदर से साफ रखते हैं.

भाप और सूंघने वाले उपाय: अजवाइन, पुदीना, सरसों तेल, कपूर और नीलगिरि का तेल सर्दियों में सांस के लिए खासतौर पर उपयोग किए जाते हैं. ये नाक की जकड़न हटाकर श्वसन मार्ग को साफ करते हैं. अजवाइन की छोटी-सी पोटली बनाकर सूंघने से बंद नाक मिनटों में खुल जाती है. गर्म पानी में नीलगिरी या अजवाइन के तेल की कुछ बूंदें डालकर ली गई भाप फेफड़ों का दबाव कम करती है और सांस लेने में सहायक होती है. वहीं, दमा या एलर्जी वाले लोगों के लिए यह उपाय और भी फायदेमंद माना जाता है. भाप लेने के लिए सिर को तौलिए से ढककर 8 से 10 मिनट तक गहरी सांस लेते हुए गर्म पानी की भाप ले.

ऊर्जा के लिए पौष्टिक आहार: सर्दी में बीमारियों से बचने के लिए खाने का भी विशेष महत्व है. इस मौसम में गुड़, तिल, चना, मूंगफली, सूखे मेवे, अखरोट, खजूर, मिश्री व अलसी खाना बहुत फायदेमंद रहता है. इसके अलावा हल्दी वाला दूध, हर्बल टी, तुलसी-पिपरमिंट की चाय, मेथी पानी और गर्म सूप फेफड़ों को मजबूत करते हैं. इसके अलावा आंवला, नींबू, जैसे फ्लॉ से विटामिन-सी मिलता है. आयुर्वेदिक डॉक्टर के अनुसार, पालक, चुकंदर से जिंक, आयरन व मैग्नीशियम भी मिलता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है.

प्रोटीन का सेवन ज़रूरी है: आयुर्वेदिक डॉक्टर के अनुसार, ठंड के मौसम में प्रोटीन का सेवन प्रतिरक्षा को मजबूत करके शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए जरूरी है. इसके लिए, दालें, अंडे, पनीर, दोपहर में लिया दही, बने, राजमा, सोया और चिकन सूप जैसे विकल्प शरीर को ताकत देते हैं और फेफड़ों को मजबूत रखते हैं. इसके अलावा इस मौसम में कुछ चीजों से परहेज भी रखना चाहिए. इस समय ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक्स और फ्रिज से निकली हुई चीजों का सेवन सर्दियों में परेशानी बढ़ा सकता है. रात में दही खाने से परहेज करें, अगर खाना हो तो दोपहर में और उसमें काली मिर्च मिलाकर खाएं.


