
आगरा के वकील हरेश चतुर्वेदी ने पारंपरिक योग को जल से जोड़ते हुए एक अनोखी साधना को जन्म दिया है—जल योग. बीते 30 साल से वह पानी की सतह पर सूर्य नमस्कार से लेकर शीर्षासन तक 40 से अधिक आसनों का अभ्यास कर रहे हैं. देखें तस्वीरें……..

योग साधना का स्वरूप भले ही पारंपरिक रूप से ज़मीन पर होता हो, लेकिन आगरा के हरेश चतुर्वेदी ने योग को एक नई ऊंचाई दी है—या यूं कहें कि एक नई गहराई, क्योंकि वह योग करते हैं पानी पर.

पेशे से वकील हरेश चतुर्वेदी पिछले 30 साल से जल पर योग कर रहे हैं और अब वह सूर्य नमस्कार से लेकर शीर्षासन तक लगभग 40 प्रकार के योगासन पानी पर कर लेते हैं.

यह सुनने में जितना कठिन लगता है, करने में उससे कई गुना अधिक चुनौतीपूर्ण है. हरेश बताते हैं कि पानी पर योग करना ज़मीन की तुलना में कहीं ज़्यादा लाभदायक है, क्योंकि इसमें शरीर का संतुलन बनाए रखना और सांसों को नियंत्रित करना कठिन होता है.

भगवान शंकर को गुरु मानकर हरेश ने यह योग मार्ग चुना और तप, साधना व संयम से इसे साध लिया. पानी पर लेटना, बैठना और बिना किसी सहारे लंबे समय तक टिके रहना, एक तैराक के लिए भी मुश्किल हो सकता है, लेकिन हरेश इसे बेहद सहजता से कर लेते हैं.

उनका मानना है कि यदि सरकार अनुमति दे तो जिन स्कूलों में स्विमिंग पूल है, वहां बच्चों को भी यह जल योग सिखाया जा सकता है. इससे बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ेगा और संकट की स्थिति में वे न सिर्फ खुद को बल्कि दूसरों को भी बचा सकेंगे. युवाओं में भी उनके इस जल योग के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है, जिससे यह परंपरा आगे बढ़ने की संभावना रखती है.

हरेश चतुर्वेदी बताते हैं कि उन्होंने भगवान शंकर की प्रेरणा से योग की शुरुआत की और आज वो 40 से ज्यादा योगासन पानी पर कर सकते हैं. सूर्य नमस्कार, शीर्षासन या फिर कठिन प्राणायाम—पानी पर ये सब करना आम इंसान के लिए सपना लग सकता है, लेकिन हरेश के लिए ये दिनचर्या का हिस्सा है.

आज की युवा पीढ़ी भी हरेश से प्रेरणा ले रही है और उनके साथ योग सीखने की इच्छा जता रही है. हरेश मानते हैं कि ध्यान, संयम और सही खानपान से कोई भी इस कला में माहिर हो सकता है.
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