
Health Tips: बिहार में पश्चिमी चंपारण के आयुर्वेदाचार्य भुवनेश पांडे के अनुसार, गिलोय एक अमृत तुल्य औषधीय पौधा है जो विटामिन-A, C, आयरन, कैल्शियम आदि पोषक तत्वों से भरपूर है. इसका सेवन इम्यूनिटी बूस्ट करता है और कई रोगों के लिए फायदेमंद है.

<strong>पश्चिमी चंपारण:</strong> आयुर्वेद में गिलोय को अमृत तुल्य बताया गया है. आयुर्वेदाचार्यों का कहना है कि ये एक ऐसा औषधीय पौधा है, जिसमें शरीर के लगभग सभी रोगों को नाश करने क्षमता होती है. सुबह सवेरे इसके सेवन से आपको विटामिन ए, सी, आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, जिंक और पोटैशियम सहित अन्य कई पोषक तत्वों की प्राप्ति हो जाती है.

पिछले 40 वर्षों से आयुर्वेदाचार्य के रूप में कार्यरत भुवनेश पांडे बताते हैं कि गिलोय का सबसे खास और दुर्लभ गुण यह है कि ये जिस पौधे के संपर्क में आता है, उसे अपने रूप में ढाल देता है. अर्थात, इसके संपर्क में आने वाले पौधे में भी गिलोय जैसे गुण पनपने लगते हैं.

सुबह सवेरे खाली पेट यदि इसके रस का सेवन कर लिया जाए, तो इम्यूनिटी बूस्ट होने के साथ साथ पाचन तंत्र में सुधार, शुगर लेवल में नियंत्रण, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या और त्वचा संबंधित रोग सहित अन्य कई समस्याओं का निवारण हो सकता है.

बकौल आयुर्वेदाचार्य, गिलोय का सेवन कई तरीकों से किया जा सकता है. आप इसे जूस, चूर्ण या टैबलेट के रूप में भी ले सकते हैं. ध्यान रहे कि गर्भावस्था, ऑटोइम्यून बीमारी, रक्त चाप, एलर्जी और संवेदनशीलता इत्यादि कुछ ऐसे मामले हैं, जिनमें गिलोय के किसी भी रूप में सेवन से पहले किसी अच्छे चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए.

इतना ही नहीं, यदि आप पहले से किसी खास दवाई का सेवन करते आ रहे हैं, तो उस स्थिति में भी बिना चिकित्सक की सलाह के इसका सेवन नहीं करना चाहिए. हालांकि यह एक प्राकृतिक औषधी है, जिसका उपयोग लोग सदियों से करते आ रहे हैं, लेकिन बदलते दौर में किसी भी चीज के सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए.
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