क्या आप जानते हैं ? धीरे-धीरे धुंधला दिखना या साइड विजन कम होना काला मोतिया का शुरुआती संकेत हो सकता है. नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार यह बीमारी बिना दर्द के विजन लॉस करती है. जब तक पता चलता है तब तक देर हो जाती है. 40 की उम्र के बाद नियमित इंट्राऑकुलर प्रेशर जांच जरूरी है ताकि समय रहते उपचार हो सके.
देखिए नजर का धुंधलापन या दृष्टि धीरे-धीरे जाना एक आंखों से जुड़ी कई बीमारियों का संकेत हो सकता है. नजर का धीरे-धीरे धुंधलाना सिर्फ उम्र का असर नहीं, एक गंभीर नेत्र रोग ‘काला मोतिया’ का संकेत भी हो सकता है. लोकल 18 हेल्थ में आज हम इसी बीमारी पर नेत्र रोग विशेषज्ञों की विस्तृत सलाह के साथ चर्चा कर रहे हैं.
आइए समझते हैं क्या है काला मोतिया
दृष्टि का धीरे-धीरे कम होना, साइड विजन का घटना और देखने के क्षेत्र में कमी ये सभी संकेत अक्सर लोगों को देर से समझ आते हैं. नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.अनीश प्रकाश ने लोकल 18 से जो जानकारी दी उसके अनुसार काला मोतिया (Glaucoma) दुनिया में स्थायी विजन लॉस का सबसे बड़ा कारण माना जाता है. यह बीमारी बेहद ‘साइलेंट’ तरीके से आंखों की रोशनी को प्रभावित करती है और जब तक मरीज को पता चलता है, स्थिति कई बार काफी गंभीर हो चुकी होती है.
डॉ. अनीश बताते हैं कि आंख के अंदर एक जेली जैसी द्रव सामग्री 2.3 माइक्रो लीटर प्रति मिनट की दर से स्रावित होती है, जो आंख का प्राकृतिक आकार और कार्य क्षमता बनाए रखती है. लेकिन जब इसका आउटफ्लो अवरुद्ध हो जाता है, तब आंख का इंट्राऑकुलर प्रेशर (IOP) लगातार बढ़ने लगता है. इसी बढ़े हुए दबाव के कारण ऑप्टिक नर्व—जो आंख से मस्तिष्क तक सिग्नल पहुंचाती है. धीरे-धीरे सूखने और कमजोर पड़ने लगती है. यह प्रक्रिया आगे चलकर कपिंग ऑफ डिस्क को बढ़ाती है और मरीज स्थायी रूप से दृष्टि खो सकता है.
काला मोतिया में होने वाली परेशानी को समझिए
काला मोतिया में परेशानी यह है कि इसमें शुरुआती चरणों में दर्द नहीं होता. बहुत अधिक दबाव बढ़ने पर ही आंख में तेज दर्द या लालिमा दिखाई देती है. इसके दो प्रमुख प्रकार—ओपन एंगल ग्लूकोमा और क्लोज़ एंगल ग्लूकोमा—सबसे आम हैं, लेकिन दोनों ही बिना लक्षण के रोशनी कम करते हैं.
कैसे पहचानें?
डॉ. अनीश के अनुसार सामान्य आंख की फील्ड ऑफ विजन के कुछ माप हैं ऊपर की ओर लगभग 60°, नाक की ओर 60°, कान की तरफ 90°, नीचे की ओर करीब 70° . जब काला मोतिया होता है, तो यह फील्ड धीरे-धीरे घटने लगता है. मरीज को चारों तरफ कम और सिर्फ सामने की ओर देखने में ज्यादा परेशानी होती है. अंतिम चरण में सामने भी धुंधलापन आने लगता है.
सबसे जरूरी 40 के बाद हर व्यक्ति की जांच
विशेषज्ञों की राय में 40 वर्ष से अधिक उम्र वाले सभी लोगों को साल में एक बार इंट्राऑकुलर प्रेशर और ऑप्टिक नर्व परीक्षण जरूर कराना चाहिए. इससे बीमारी समय रहते पकड़ में आ जाती है और स्थायी विजन लॉस से बचाव संभव होता है. काला मोतिया पूरी तरह ‘क्योर’ नहीं होता, लेकिन समय पर इलाज शुरू हो जाए तो इसे कंट्रोल कर विजन बचाया जा सकता है. ऐसे में आंखों में हर छोटा बदलाव नजरअंदाज करना खतरा बढ़ा सकता है.
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